महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण को हर संभव कोशिश का लिया संकल्प, अलग अंदाज में मनाएंगी वट सावित्री व्रत
कोरोनाकाल में आक्सीजन की कमी ने आमजन को झकझोर कर रख दिया। कई लोग ने दावा किया कि अगर हमारे आसपास पर्याप्त पेड़ पौधे होते तो नियमित रूप से आक्सीजन हमें मिलती और शरीर में आक्सीजन की कमी नहीं होती।
जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोनाकाल में आक्सीजन की कमी ने आमजन को झकझोर कर रख दिया। कई लोग ने दावा किया कि अगर हमारे आसपास पर्याप्त पेड़ पौधे होते तो नियमित रूप से आक्सीजन हमें मिलती और शरीर में आक्सीजन की कमी नहीं होती। इन दावों की सच्चाई पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन यह जरूर है कि इस स्थिति को देखते हुए आमजन ने पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
देहरादून की महिलाओं ने भी पर्यावरण संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प किया है। दून की महिलाओं ने वट सावित्री व्रत को इस साल कुछ अलग अंदाज में मनाने का निर्णय लिया है। इस बार वट सावित्री व्रत पर महिलाएं बड़े स्तर पर वट पौधे रोपने की तैयारी कर रही हैं। महिलाओं ने वट के पेड़ की पूजा करने, रोपने और पौधा दान करने का संकल्प लिया है। महिलाएं इंटरनेट मीडिया के जरिए भी आमजन को पौधारोपण के लिए जागरूक कर रही हैं। बता दें कि वट एक ऐसा पौधा है जो सबसे अधिक आक्सीजन देता है।
जीएमएस रोड निवासी कल्पना अग्रवाल कहती हैं, पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत करती हूं। इस बार भगवान से कोरोना महामारी से मुक्ति और जनजीवन सामान्य होने की प्रार्थना भी करूंगी। विकास के नाम पर जिस तेजी से पर्यावरण का दोहन हो रहा है उसके प्रति सचेत होने की जरूरत है। मैंने खुद हर साल वट सावित्री के दिन एक वट का पौधा लगाने और उसकी देखभाल करने का संकल्प ले लिया है।
लक्खीबाग निवासी रीना मित्तल ने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी का सही अंदाजा हमें हो गया है। अब भी नहीं संभले तो भविष्य में न जाने और क्या-क्या दिन देखने पड़ेंगे। वट सावित्री पर महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए पूजा कर तीनों देव की आराधना करती हैं। इस साल मैंने सकंल्प लिया है कि सड़क किनारे और पार्क में वट के पौधे रोपे जाएंगे और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी ली जाएगी।
विजय पार्क निवासी मधु जैन कहती हैं कि वट सावित्री के व्रत की खास मान्यता है कि पति की लंबी उम्र और परिवार के सुख के लिए इस दिन विधिवत वट के वृक्ष की पूजा की जाती है। खास बात यह भी है कि वट सबसे ज्यादा आक्सीजन देने वाले पेड़ों में शुमार है, इसलिए इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। इस साल मैंने और मेरे परिवार की दूसरी महिलाओं व मेरी सहेलियों ने व्रत के अवसर पर एक वट का पौधा लगाने और उसकी देखभाल करने का संकल्प लिया है, आने वाले समय में भी यह सिलसिला जारी रहेगा।
सहारनपुर चौक निवासी अपर्णा गोयल ने कहा, बीते 10 वर्ष से वट सावित्री व्रत पर एक पौधा रोपती हूं। अब तक अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती थी, लेकिन इस साल पति की लंबी उम्र के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक अतिरिक्त पौधा लगाऊंगी। कोरोना संक्रमण ने हमें आक्सीजन की कीमत बता दी है। कोरोनाकाल खत्म होने के बाद सभी को एक-एक पौधा बांटा जाएगा। उनकी देखभाल का भी संकल्प लिया जाएगा।
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