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    देहरादून एसएसपी ने नकारी 'नारी' की रिपोर्ट, बोले - 'दून में महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित'

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 04:15 PM (IST)

    एसएसपी देहरादून ने नारी संस्था की रिपोर्ट को गलत बताया है जिसमें देहरादून को महिलाओं के लिए असुरक्षित बताया गया था। एसएसपी ने कहा कि संस्था ने केवल 400 महिलाओं से फोन पर बात करके रिपोर्ट बनाई है जो कि सही नहीं है। राज्य महिला आयोग ने भी इस रिपोर्ट को नकार दिया है और कहा है कि देहरादून में महिलाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

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    जल्द ही संस्था को कानूनी नोटिस जारी किया जाएगा। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, देहरादून। देहरादून शहर महिलाओं के असुरक्षित होने का दावा करने वाली गैर सरकारी संस्था नेशनल एनुअल रिपोर्ट इंडेक्स (नारी) के दावे को एसएसपी ने न सिर्फ तथ्यों के साथ खारिज किया है, बल्कि अब संस्था पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी भी कर ली है।

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    जल्द ही संस्था को कानूनी नोटिस जारी किया जा रहा है। वहीं, राज्य महिला आयोग ने भी रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है। कहा कि देहरादून में महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। संस्था ने टेलीफोन के जरिये केवल 400 महिलाओं से बात कर यह रिपोर्ट बना दी।

    वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून अजय सिंह ने बताया कि एक निजी सर्वे कंपनी/डेटा साइंस कंपनी 'पी वेल्यू एनालिटिक्स' की ओर से 'नारी-2025' शीर्षक के साथ एक सर्वे रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। जिसमें देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में शामिल किया गया है।

    राज्य महिला आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह सर्वेक्षण न तो राष्ट्रीय महिला आयोग या राज्य महिला आयोग ने कराया है और न ही किसी अन्य सरकारी सर्वेक्षण संस्थान की ओर से किया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी आयोग स्तर से किसी भी प्रकार का सर्वेक्षण कराए जाने का खंडन किया है।

    उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट के अध्ययन से स्पष्ट है कि सर्वेक्षण देश के 31 शहरों में किया गया है, जोकि कंप्यूटर अस्टिेड टेलीफोनिक इंटरव्यू व कंप्यूटर अस्टिेड पर्सनल इंटरव्यू पर आधारित है। सर्वेक्षण कंपनी ने महिलाओं से भौतिक रूप से सीधा संवाद नहीं किया।

    मात्र 12,770 महिलाओं से टेलीफोनिक वार्ता के आधार पर उक्त रिपोर्ट तैयार की गई है। देहरादून में महिलाओं की लगभग नौ लाख की आबादी के सापेक्ष केवल 400 यानि 0.04 प्रतिशत महिलाओं के सैंपल साइज के आधार पर इलेक्ट्रानिकली कनेक्ट करके निष्कर्ष निकाला जाना प्रतीत हो रहा है।

    रिपोर्ट के अनुसार, महज चार प्रतिशत महिलाओं द्वारा एप अथवा तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जबकि महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए गौरा शक्ति एप में महिलाओं के 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। जिसमें से 16,649 रजिस्ट्रेशन मात्र देहरादून जनपद के हैं। इसके अलावा डायल 112, उत्तराखंड पुलिस एप, सीएम हेल्पलाइन, उत्तराखंड पुलिस वेबसाइट के सिटीजन पोर्टल का महिलाओं द्वारा नियमित रूप से प्रयोग किया जा रहा है।

    पुलिस पेट्रोलिंग में भी कोहिमा से ऊपर है देहरादून

    एसएसपी ने कहा कि सर्वेक्षण के मानकों में पुलिस से संबंधित दो बिंदु हैं, इसमें पुलिस पेट्रोलिंग व क्राइम रेट। पुलिस पेट्रोलिंग में सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा का स्कोर 11 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का स्कोर 33 प्रतिशत है।

    इससे यह स्पष्ट होता है कि देहरादून पेट्रोलिंग के आधार पर सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा से भी ऊपर है। वहीं, सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न शीर्षक में पूरे देश का स्कोर सात प्रतिशत है, जबकि देहरादून का छह प्रतिशत है। इससे स्पष्ट है कि देहरादून में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं अन्य शहरों की तुलना में खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं।

    अगस्त में डायल 112 को छेड़खानी की केवल 11 शिकायतें मिलीं

    अगस्त माह में जनपद देहरादून में डायल 112 के माध्यम से कुल 12,354 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से मात्र 2,287 (18 प्रतिशत) शिकायतें महिलाओं से संबंधित हैं। इन 2,287 शिकायतों में से भी 1,664 शिकायतें घरेलू विवादों से संबंधित हैं। शेष 623 शिकायतों में से भी मात्र 11 शिकायतें छेडखानी से संबंधित हैं। स्पष्ट है कि महिला संबंधी कुल शिकायतों में से छेड़छाड़ की शिकायतों का औसत एक प्रतिशत से भी कम है।

    दून में अन्य प्रदेशों के 70 हजार छात्र-छात्राएं कर रहे पढ़ाई

    एसएसपी ने बताया कि वर्तमान में देहरादून में अन्य प्रदेशों के लगभग 70 हजार छात्र व छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। जिनमें से 43 प्रतिशत संख्या छात्राओं की है। छात्र-छात्राओं में बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल हैं।

    वहीं, देहरादून शहर में स्मार्ट सिटी के एकीकृत कंट्रोल रूम के 536, पुलिस कंट्रोल रूम के 216 सीसीटीवी कैमरों के साथ लगभग 14,000 सीसीटीवी कैमरे कार्यशील हैं, जिनकी सहायता से पुलिस द्वारा निरंतर अपराध एवं अपराधियों पर नजर रखी जा रही है। सभी कैमरों की गूगल मैपिंग की जा चुकी है।

    ये सवाल भी उठाए

    सर्वेक्षण में किन लोगों को शामिल किया गया, यह स्पष्ट नहीं है। सर्वेक्षण में भाग लेने वालों की आयु, शिक्षा, रोजगार स्थिति के संबंध में स्पष्टता नहीं है। प्रतिभागी स्थानीय निवासी थे अथवा पर्यटक, यह भी साफ नहीं है, क्योंकि सुरक्षा की धारणा आयु तथा जीवनशैली के आधार पर भिन्न होती है। जहां किशोरियां एक ओर रात्रि में असुरक्षित महसूस कर सकती हैं, वहीं कामकाजी महिलाएं अलग अनुभव रख सकती हैं।

    हम सर्वेक्षण के निष्कर्षों का सम्मान करते हैं, लेकिन नीतिगत निर्णयों के लिए यह आवश्यक है कि किसी भी सर्वे की पद्दति विज्ञानी एवं तथ्यात्मक हो, ताकि उसके निष्कर्ष सार्थक एवं विश्वसनीय बन सकें। - अजय सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून

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