कमजोर हो रही है सिस्टम से सुरक्षा की उम्मीद, बढ़ रही हैवानियत
उत्तराखंड में लगातार महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ता जा रहा है। लेकिन सिस्टम भी इनपर लगामनहीं लगा पा रहा।
देहरादून, जेएनएन। समाज में नैतिक मूल्यों में आई गिरावट, अपराध का बढ़ता ग्राफ और इंटरनेट के दुरुपयोग जैसी चीजें सुकून के शहर दून की फिजा में अब हर तरफ असुरक्षा का भाव पैदा करने लगी है। स्वाभाविक तौर पर इससे स्कूली छात्र-छात्राओं और महिलाओं के खिलाफ अपराध भी बढ़ा है। इंटरनेट और मोबाइल के जाने-अनजाने हुए गलत इस्तेमाल ने आधी आबादी की आबरू को ही खतरे में डाल दिया है। इस स्थिति से वाकिफ तो सभी हैं, लेकिन सिस्टम के जिम्मेदारों से सुरक्षा की उम्मीद हाल के दिनों में कमजोर ही हुई है।
पौड़ी में सिरफिरे ने किशोरी पर ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर जलाने, दून के भाऊवाला स्थित जीआरडी वर्ल्ड स्कूल में हाईस्कूल की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म, मसूरी के एक नामी स्कूल में छात्राओं के साथ अश्लील हरकत और देशभर में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांग और सशक्तीकरण संस्थान (एनआइवीपीईडी, पूर्व में एनआइवीएच) में छात्र-छात्राओं से छेड़छाड़। यह मामले वह हैं, जो इस साल सुर्खियों में रहे।
वैसे स्कूली छात्र-छात्राओं से लेकर महिलाओं पर हुए अपराधों की फेहरिस्त काफी लंबी है। इन अपराधों के घटित होने के पीछे की वजह जो भी हों, लेकिन व्यथित करने वाली बात यह कि इसके बाद भी जिम्मेदारों ने इस तरह की वारदात की पुनरावृत्ति के लिए केवल कागजी खानापूर्ति ही की।
गौरतलब है कि दून शहर में महिलाएं देर रात तक बाजार में खरीदारी करते, घूमते और गली मोहल्लों में बेखौफ टहलती नजर आती रही हैं, मगर अब तो उन्हें दिन के समय भी घर से बाहर निकलने में डर का अहसास होने लगा है। पुलिस की सक्रियता और पुलिस पर लोगों का कम होता ऐतबार भी कहीं न कहीं इसकी एक वजह है।
सतर्क रहें और दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाएं
महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एसएसपी निवेदिता कुकरेती कहती हैं कि बदलते परिवेश में महिलाओं के प्रति हिंसा और अपराध में बढ़ोतरी हुई है। आपराधिक तत्वों से निपटने को पुलिस 24 घंटे तत्पर रहती है। महिलाओं को भी खुद की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। खासकर स्कूली बच्चों को आत्मरक्षा का गुर सिखाने के लिए पुलिस लाइन में अक्सर सेमिनार भी आयोजित किए जाते रहे हैं। वह महिलाओं से यह भी अपील करती हैं कि संदिग्ध नजर आने वाले व्यक्तियों, आपराधिक तत्वों का सामना होने पर शोर मचाएं और पुलिस को सूचित करें। अकेले होने पर साथ में लाल मिर्च का पाउडर जरूर रखें, छेड़छाड़ या दूसरी तरह का अपराध करने वाले की मंशा को भांपते हुए आपराधिक तत्वों से मुकाबला करने की कोशिश करें।
संभलकर करें सोशल मीडिया का प्रयोग
फेसबुक आइडी हैक कर आपत्तिजनक टिप्पणी करने मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। ऐसे में सोशल मीडिया का उपयोग करते वक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। फेक आइडी के प्रति सचेत रहें और ऐसे लोगों की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें, जिसे व्यक्तिगत तौर पर न जानती हों। क्योंकि इसका दुरुपयोग कर असामाजिक तत्व युवतियों-महिलाओं को अपने जाल में फंसाते हैं और फिर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं।
दोस्त बनें अभिभावक
आपराधिक और विकृत मानसिकता वाले बच्चों और अकेली लड़कियों को सॉफ्ट टारगेट बनाते हैं। ऐसे में उन्हें अपराध और अपराधियों से बचाने के लिए सबसे ज्यादा भूमिका माता-पिता और उनके अभिभावकों की हो जाती है। घर से लेकर स्कूल तक बच्चों की सुरक्षा के जरूरी कदम उठाएं। बच्चों से बात करें और यदि उनके व्यवहार में अचानक परिवर्तन दिखे तो उन्हें समझने की कोशिश करें।
दम तोड़ गई सम्मान की सवारी
यातायात निदेशालय की ओर से दून में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू की गई सम्मान की सवारी बीच में ही दम तोड़ गई। इसके जरिये अकेली महिलाओं को घर से बाजार तक लाने और ले जाने की निश्शुल्क सहूलियत देने का वादा किया गया था। घंटाघर समेत कुछ जगहों पर ड्रॉप एंड पिकअप प्वाइंट भी निर्धारित किए गए थे, लेकिन समय बीतने के साथ सम्मान की सवारी रास्ता भटक गई।
एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि महिला सुरक्षा को लेकर आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। सड़क पर पुलिस की मौजूदगी से लेकर दिन के समय गश्ती दलों की तैनाती इसका मुख्य हिस्सा है। साथ ही छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने का अभियान फिर से शुरू किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: यहां अब न घर में सुरक्षित हैं बेटियां और न ही बाहर
यह भी पढ़ें: एमपीएस कंपनी के अफसरों पर महिला ने लगाए यौन उत्पीड़न का आरोप
यह भी पढ़ें: रुड़की आइआइटी की एक और छात्रा ने प्रोफेसर के खिलाफ दी उत्पीड़न की तहरीर