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    यहां अब न घर में सुरक्षित हैं बेटियां और न ही बाहर

    राजधानी देहरादून में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ता ही जा रहा है। तीन साल के भीतर दून में छेड़छाड़ के मामलों में तीन गुना इजाफा हुआ है।

    By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 22 Dec 2018 02:40 PM (IST)
    यहां अब न घर में सुरक्षित हैं बेटियां और न ही बाहर

    देहरादून, जेएनएन। राजधानी में बेटियां न तो घर में सुरक्षित हैं और न ही बाहर। पुलिस के पास दर्ज मामले इस बात की बानगी हैं। साथ ही पुलिस और प्रशासन के महिला सुरक्षा के दावों की हर दिन पोल खोल रहे हैं। पिछले तीन साल के भीतर दून में छेड़छाड़ के मामलों में तीन गुना इजाफा हुआ है। यह घटनाएं प्रदेश में हुई छेड़खानी की कुल 67 घटनाओं में आधी हैं। इसके अलावा महिला अपराध में हत्या, दुष्कर्म, अपहरण और गुमशुदगी के मामले भी बेहद चिंताजनक हैं। 

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    सुरक्षित शहर, महिला सुरक्षा, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे कई स्लोगन राजधानी में पुलिस की कार्यशाला और जन जागरूकता के कार्यक्रमों में सुनाई देते हैं। इसके उलट यदि महिला अपराधों पर नजर डालें तो इन नारों की वास्तविकता का पता चल जाएगा। ताजी घटना शुक्रवार को नेमी रोड में छात्रा से छेड़खानी और अपहरण के प्रयास से जुड़ी है। जबकि दो दिन पहले ही कैंट क्षेत्र में छेड़छाड़ से परेशान छात्रा ने मौत को गले लगा लिया। वहीं, कुछ माह पहले एक नामी स्कूल में छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के मामले ने भी दून को शर्मसार कर दिया था। 

    इसके अलावा आए दिन विक्रम, ऑटो, होटल, रेस्टोरेंट और सार्वजनिक स्थानों पर बेटियों से छेड़खानी के मामले आम हो गए हैं। इन सब के बावजूद पुलिस महिला सुरक्षा को बड़ी-बड़ी योजनाओं का दंभ भरती रहती है। पुलिस में दर्ज मामलों से हटकर ऐसे कई मामले भी होते हैं, जो रिकॉर्ड में नहीं हैं। जबकि कुछ मामलों में लोकलाज, दबंगई या दूसरे कारणों से पीडि़ता का मुंह बंद कर दिया जाता है। एक साल के भीतर जनपद में दुष्कर्म की 110 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं, जो पूरे प्रदेश में दर्ज अपराधों का 30 फीसद से ज्यादा है। इसी तरह दूसरे अपराधों का ग्राफ भी हर माह बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पुलिस पर से भी लोगों का भरोसा उठता जा रहा है। 

    बेटियों ने एक दिन पहले मांगी सुरक्षा 

    तीन दिन पूर्व एमकेपी की छात्रा ने छेड़छाड़ से तंग आकर मौत को गले लगा लिया था। इस मामले में घटना के अगले दिन छात्राएं सड़क पर उतर आई थीं और छात्राओं ने सुरक्षा की मांग की। साथ ही छात्राओं से लेकर महिलाओं की सुरक्षा को बनी सरकारी योजनाओं पर भी सवाल उठाए। एमकेपी की छात्राओं के सवाल पर पुलिस और प्रशासन ने कार्रवाई का भरोसा तो दिया, लेकिन धरातल पर कोई कार्रवाई नजर नहीं आई। अब शुक्रवार को हुई घटना ने महिला सुरक्षा पर फिर से सवाल उठा दिए हैं। 

    दून में प्रमुख महिला अपराध 

    अपराध,   2016, 2017, 2018

    हत्या,       08,    05,     13 

    दुष्कर्म,     51,    72,    110 

    छेड़खानी,  09,    14,     27 

    अपहरण,   23,    29,    21 

    गुमशुदगी, 07,    12,    19 

    शीलभंग,   45,     51,   59 

    अन्य मुकदमे, 45, 34, 38 

    अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि पुलिस अपनी ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करती है। जो मामले संज्ञान में आते हैं उन पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। अपराध में इजाफा चिंता का विषय है। सभी जिलों को अपराधिक प्रवृत्ति के लेागों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। महिलाओं को अपराध छिपाने की बजाए पुलिस को बताने की जरूरत है। ताकि अपराधियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई हो सके। 

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