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युवाओं के बिना कैसे होगा पहाड़ में विकास, रोजगार के लिए कर रहे पलायन

युवा रोजगार के लिए पहाड़ों से पलायन करने को मजूबूर है। अब ऐसे में भला पहाड़ों का विकास कैसे हो पाएगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 03:14 PM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 12:05 PM (IST)
युवाओं के बिना कैसे होगा पहाड़ में विकास, रोजगार के लिए कर रहे पलायन
युवाओं के बिना कैसे होगा पहाड़ में विकास, रोजगार के लिए कर रहे पलायन

देहरादून, [जेएनएन]: पहाड़ खाली हो रहे हैं। पलायन लगातार बढ़ रहा है, लेकिन जिम्मेदार केवल चिंता तक ही सीमित है। हालात यह हैं कि रोजगार के अभाव में युवाओं को मजबूरन पहाड़ से विदाई लेनी पड़ रही है। सरकार के पास पलायन को रोकने के लिए ठोस नीति नहीं है। जिसका खामियाजा पहाड़ को ही भुगतना पड़ रहा है। 

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युवा पीढ़ी चाहती है कि पहाड़ में रोजगार के संसाधन बढ़ाए जाएं, जिससे उन्हें यहां से जाना न पड़े। पहाड़ का विकास हो, यहां की जवानी यहां के काम आए। संसाधनों के अभाव में यहां की प्रतिभाओं को पलायन न करना पड़े। युवाओं का कहना है कि युवा ही प्रदेश का विकास कर सकते हैं। यह सबके प्रयासों से ही संभव हो सकेगा। 

 

छात्र सुरेश राणा का कहना है कि सरकार स्वरोजगार की बात करती है, लेकिन इसके लिए कोई ऐसी ठोस योजना नहीं बनाती। सरकारी विभागों की नियुक्तियों में भी लंबा समय लग जाता है। बेरोजगारों की स्थिति पर भी कोई खास ध्यान नहीं देता। 

सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि पहाड़ में नशे की गिरफ्त में आकर युवा अपनी ही परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। हमारी पहचान हमारी संस्कृति और आध्यात्मिक दर्शन से है। पहाड़ को भविष्य बचाना है तो विरासत को आगे बढ़ाना होगा। 

रंगकर्मी अखिलेश राणा ने बताया कि राज्य के कई युवाओं ने एक्टिंग के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। लेकिन राज्य में रंगमंच कला के प्रति सरकार की ओर से कोई खास बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है। इससे युवा कलाकारों का भी हौंसला टूट रहा है। 

वहीं पांडवाज़ ग्रुप के क्रिएटिव डायरेक्टर कुणाल डोभाल ने बताया कि हम पहाड़ से लेना तो जानते हैं, पर उसे देते नहीं। मैंने खुद काम करने के लिए अपने क्षेत्र रुद्रप्रयाग को चुना। लेकिन अपने क्षेत्र में व्यवसाय की कमी के चलते युवाओं को अपना पहाड़ छोड़ना पड़ता है। 

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