देहरादून में तारों का मकड़जाल, स्मार्ट सिटी की सूरत बदहाल; हादसों का भी बना खतरा
देहरादून शहर में तारों का मकड़जाल फैला हुआ है जिससे शहर की सूरत बदरंग हो रही है और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है। इंटरनेट टेलीफोन और केबल कंपनियों के तारों से सड़कें पटी पड़ी हैं। ऊर्जा निगम और नगर निगम द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है जिससे स्थिति जस की तस है। पहले भी नगर निगम ने तारों को व्यवस्थित करने के निर्देश दिए थे।

विजय जोशी, जागरण देहरादून। ‘स्मार्ट सिटी’का सपना देख रहा देहरादून तारों के मकड़जाल में उलझा हुआ है। इंटरनेट, टेलीफोन और केबल कंपनियों के तारों से शहर की सड़कें पटी हुई हैं। हर गली, हर सड़क, हर चौराहा झूलते, उलझे और बिखरे तारों का जंजाल से घिरा है।
इससे शहर की सूरत तो बदरंग हो ही रही है, साथ ही हादसों का भी खतरा बना हुआ है। बिजली के खंभों में शार्ट-सर्किट की घटनाएं तो आए दिन होती हैं, जगह-जगह लटके क्षतिग्रस्त तार वाहन सवारों के लिए भी खतरा बना हुआ है।
दून में इंडस्ट्रियल एरिया पटेलनगर से लेकर सहारनपुर रोड, जीएमएस रोड, घंटाघर, राजपुर रोड, चकराता रोड, कांवली रोड, प्रिंस चौक, रिस्पना पुल और हरिद्वार बाईपास तक, बिजली के खंभे तारों से लदे नजर आते हैं।
कुछ जगह तारों के गुच्छे लटक रहे हैं, तो कुछ जगह पर यह सड़क पर बिछे हुए हैं। हालात इतने खराब हैं कि पैदल चलने वालों को सिर झुकाकर या सड़क बदलकर चलना पड़ता है। कई इलाकों में ये तार कभी भी जानलेवा हादसे का कारण बन सकते हैं।
झूलते तारों के खिलाफ कार्रवाई के लिए न तो ऊर्जा निगम गंभीर है और न ही नगर निगम ही शहर को संवारने के लिए कोई कदम उठा रहा है। जिससे बेखौफ सर्विस आपरेटर मनमर्जी पर उतारू हैं। ऊर्जा निगम को ‘राइट आफ वे पालिसी’ के तहत कार्रवाई करनी की आवश्यकता महसूस नहीं होती है। अधिकारियों का तर्क है कि पालिसी में जुर्माने और निगरानी का स्पष्ट प्रविधान नहीं है, जिससे कोई विभाग इस जिम्मेदारी को लेने को तैयार नहीं है।
ऐसे बिगड़ रही शहर की सूरत
पटेलनगर के लाल पुल चौक से कारगी चौक के बीच मेन रोड पर कई जगह खंभों पर तारों के गुच्छे लटके हैं और कई केबल सड़क पर लटके हुए हैं। झंडा बाजार में खंभों पर इस कदर तार लिपटे हैं कि यह पता लगाना मुश्किल है कि कौन सी तार लीगल है और कौन सी अवैध।
सहारनपुर रोड पर केबल के गुच्छे जमीन तक झूल रहे हैं, जिससे ट्रैफिक प्रभावित हो रहा है और राहगीरों के लिए खतरा बना हुआ है। कांवली रोड पर खंभों पर इतना भार है कि कुछ पोल झुकने लगे हैं। गांधी रोड पर भी खंभे तारों के जाल से ढके हैं, सर्विस आपरेटर बिजली के पोल के साथ ही टेलीफोन के निष्प्रयाेज्य खंभों पर भी तारों का अंबार लगा दे रहे हैं।
अवैध तारों पर नहीं हो पा रही ठोस कार्रवाई
ऊर्जा निगम भी मानता है कि कई जगह बिना अनुमति खंभों पर तार लगाए गए हैं, जिनके खिलाफ छिटपुट अभियान चलाए गए, लेकिन केबल आपरेटर फिर से तार जोड़ देते हैं। इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सख्त और निरंतर एनफोर्समेंट की जरूरत है, जो अब तक नदारद है।
शहरवासी ही नहीं पर्यटकों को चुभते हैं ये तार
दून की करीब आठ लाख आबादी तारों के जाल की प्रत्यक्ष पीड़ित है। हर रोज़ सड़कों पर निकलते लोग जगह-जगह तारों के जाल में उलझते हैं। वहीं, बाहर से आने वाले पर्यटक भी दून की इस बदरंग तस्वीर को देख हैरान होते हैं।
दो साल पहले नगर निगम ने की कार्रवाई, फिर वही हालात
करीब दो वर्ष पहले शहर की इस बदहाली को लेकर नगर निगम ने चिंता जताई थी। नगर निगम की ओर से सभी केबल और इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाले आपरेटरों के साथ बैठक की गई और केबल को व्यवस्थित करने के निर्देश दिए।
हालांकि, इसके बाद भी ज्यादातर आपरेटर बाज नहीं आए और नगर निगम ने खंभों पर चढ़कर तार काटना शुरू कर दिया। जिससे हड़कंप मच गया और शहर के तमाम क्षेत्रों में इंटरनेट से लेकर केबल टीवी प्रभावित हो गया। वहीं, इसका सकारात्मक असर भी देखने को मिला और आपरेटर अपने तार व्यवस्थित करने लगे्र लेकिन कुछ ही माह के भीतर स्थिति जस की तस हो गई। अब शहर का वही बुरा हाल है।
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