Delhi-Dehradun Expressway पर फर्राटा भरने के लिए अभी इंतजार, लेकिन वन्यजीवों ने शुरू की कदमताल
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे पर वन्यजीवों की चहलकदमी शुरू हो गई है। 12 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड के नीचे हाथी हिरण जैसे वन्यजीव स्वच्छंद विचरण कर रहे ...और पढ़ें

सेंट्रल, मेरठ,, एक्सप्रेस-वे पर अभी इंतजार, वन्यजीवों ने शुरू की कदमताल
- दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे की 12 किलोमीटर एलिवेटेड रोड के नीचे के कारीडोर पर उम्मीद के अनुरूप वन्यजीवों का स्वछंद विचरण
- भारतीय वन्यजीव संस्थान ने एलिवेटेड रोड के निर्माण के बाद वन्यजीवों के व्यवहार के अध्ययन के लिए लगाए हैं 160 कैमरा ट्रैप
सुमन सेमवाल, जागरण देहरादून। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे के तहत दून के डाटकाली से गणेशपुर तक बनी 12 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड पर फर्राटा भरने के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन, इसके नीचे के भाग पर वन्यजीवों की कदमताल शुरू हो गई है।
एलिवेटेड रोड के नीचे हाथियों के झुंड से लेकर हिरण और सांभर आदि वन्यजीव स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। वन्यजीवों की चहलकदमी की जानकारी भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) की ओर से लगाए गए कैमरा ट्रैप के माध्यम से सामने आई है।
एक्सप्रेस-वे की यह एलिवेटेड रोड एशिया के सबसे बड़े ग्रीन कारीडोर के रूप में भी पहचान बना चुकी है। नाम के अनुरूप शिवालिक वन क्षेत्र और राजाजी टाइगर रिजर्व का हिस्सा होने के चलते यहां वन्यजीवों के बड़े कारीडोर हैं। पूर्व में यहां पर एलिवेटेड रोड के निर्माण की जगह पहले से निर्मित सड़क को चौड़ा करने की योजना थी। लेकिन, वन्यजीवों के स्वछंद विचरण की चिंता को समेटते हुए डब्ल्यूआइआइ के विशेषज्ञों से अध्ययन करवाया गया।
विज्ञानियों के सुझाव पर एलिवेटेड रोड के निर्माण की तरफ कदम बढ़ाए गए। ताकि ऊपर से वाहन चल सकें और नीचे वन्यजीव स्वच्छंद विचरण कर पाएं। अब जब एलिवेटेड रोड बनकर तैयार है तो भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने डब्ल्यूआइआइ के सहयोग से पूरे 12 किलोमीटर के दायरे में कैमरा ट्रैप लगवाए। ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं वन्यजीवों के कारीडोर पर कोई प्रतिकूल असर तो नहीं पड़ा है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा. बिलाल हबीब के अनुसार करीब एक माह पहले एलिवेटेड रोड के सभी स्थलों पर कुल 160 कैमरा ट्रैप लगाए गए। अब इनसे प्राप्त तस्वीरों का विश्लेषण किया गया तो सुखद परिणाम सामने आए। कमरा ट्रैप की तस्वीरों में दिख रहा है कि सभी कारीडोर पर वन्यजीव स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं।
पांच साल तक किया जाएगा अध्ययन
वरिष्ठ वन्यजीव विज्ञानी डा. हबीब के अनुसार करीब 40 लाख रुपये से कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं। इनसे वन्यजीवों की स्वच्छंदता पर पांच वर्ष तक अध्ययन किया जाएगा। ताकि लंबी अवधि के परिणाम से एक स्पष्ट निष्कर्ष निकाला जा सके।
मां के साथ हाथी के बच्चों का विचरण बड़ा संकेत
डब्ल्यूआइआइ के वरिष्ठ विज्ञानी डा. बिलाल के अनुसार मां हाथी अपने बच्चों के साथ तभी निकलती है, जब वह उनकी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह संतुष्ट होती है। कैमरा ट्रैप में देखा गया है कि मादा हाथी अपने बच्चों के साथ एलिवेटेड रोड के नीचे के कारीडोर को पार करते हुए आगे बढ़ रही है। जिसका आशय यह हुआ कि उसे अपने कारीडोर की सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है। इस तरह देखें तो एलिवेटेड रोड वन्यजीवों के विचरण के लिए कारगर साबित हो रही है।
एलिवेटेड रोड परियोजना का संक्षिप्त विवरण
- कुल लंबाई – 12 किमी
- कुल बजट – 1500 करोड़ रुपये
- कुल पिलर – 575
ऐसे पूरा होगा दून और सहारनपुर के बीच का सफर
एलिवेटेड रोड उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के गणेशपुर से शुरू हो रही है। जो पिलर पर 12 किलोमीटर लंबी है और उत्तराखंड के देहरादून में डाटकाली क्षेत्र पर जुड़ रही है। सहारनपुर से आने के लिए डाटकाली पर नई टनल बनाई गई है, जबकि जाने के लिए पहले से टनल बनी है। इसके बाद आरटीओ चेकपोस्ट तक फ्लाईओवर बनाया गया है। आगे का सफर देहरादून-हरिद्वार राजमार्ग से तय किया जाएगा।
11 हजार 970 करोड़ की है पूरी परियोजना
एनएचएआइ अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली-दून एक्सप्रसे-वे का निर्माण 213 किलोमीटर पर कुल 11 पैकेज में गतिमान है। यह कार्य प्राधिकरण के अलग-अलग परियोजना कार्यालय देख रहे हैं। माना जा रहा है कि जुलाई के अंत तक परियोजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनता को समर्पित कर सकते हैं। यह पूरी परियोजना 11 हजार 970 करोड़ की है।
अक्टूबर 2021 में शुरू हुआ काम
एलिवेटेड रोड का काम अक्टूबर 2021 में शुरू किया गया था। हालांकि, पेड़ कटान और वन्यजीवों की स्वच्छंदता बाधित होने जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर एनएचएआइ को भारी विरोध झेलना पड़ा। विभिन्न संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर किया और नैनीताल हाई कोर्ट में भी दो जनहित याचिका दायर की गई।
दूसरी तरफ एनजीटी ने विशेषज्ञ समिति गठित कर मानक तय किए। शुरुआत में प्राधिकरण 24 घंटे कार्य कर रहा था। जिसे बाद में वन्यजीवों की स्वच्छंदता के मद्देनजर 12 घंटे तक सीमित कर दिया गया। इसके अलावा एलिवेटेड रोड के पिलर नदी क्षेत्र में होने के कारण प्रत्येक मानसून सत्र के तीन माह कार्य भी बंद रहा।
80 हजार की जगह काटे गए 11 हजार पेड़
पूर्व में एलिवेटेड रोड की जगह सड़क को ही चौड़ा करने की योजना थी। लेकिन, इसमें 80 से 90 हजार पेड़ों का कटान हो रहा था। हालांकि, एलिवेटेड रोड की परियोजना पर आगे बढ़ने के बाद निर्माण की जद में 11 हजार पेड़ ही आए। वहीं, नीचे का पूरा वन क्षेत्र अब वन्यजीवों के स्वछंद विचरण के लिए खाली है। जिसके सुखद परिणाम भी सामने आने लगे हैं।

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