उत्तराखंड में लॉकडाउन को किस बात का था इंतजार, जानिए क्या है लॉकडाउन
उत्तराखंड में लॉकडाउन में देरी पर सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि तीन ऑइएफएस प्रशिक्षु अधिकारियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी थी।
देहरादून, जेएनएन। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद देहरादून समेत पूरे प्रदेश में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है, मगर क्या दून को प्रधानमंत्री की घोषणा का इंतजार करना चाहिए था? अगर यह घोषणा नहीं भी की जाती, तो हमारी सरकार और प्रशासन को लॉकडाउन के लिए और किस बात का इंतजार था? क्या इतना काफी नहीं था कि विदेश से लौटे तीन ऑइएफएस प्रशिक्षु अधिकारियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है और दून के रहने के बाद 12 दिन पहले फरीदाबाद लौटी महिला में कोरोना वायरस पाया गया है।
दून में क्यों पहले ही लॉकडाउन घोषित कर दिया जाना चाहिए था, इसका जवाब प्रशासन के ही निर्णय में छिपा है। एफआरआइ में एक प्रशिक्षु में वायरस की पुष्टि के बाद जैसे ही दो और प्रशिक्षु पॉजिटिव पाए गए तो पूरे एफआरआइ परिसर को लॉकडाउन करना पड़ गया। एफआरआइ एक छोटी जगह है और बेहद बड़े दून में वहां जैसी तमाम परिस्थितियां पहले से मौजूद हो सकती हैं। क्योंकि दून से लौटी जो महिला फरीदाबाद में पॉजिटिव पाई गई, उसका पता चलने में भी 10 दिन का समय लग गया।
इस बीच भले ही एहतियात के तौर पर पूरे होटल को सील कर यहां 22 स्टाफ को क्वारंटाइन कर दिया, मगर ये स्टाफ अब तक किन-किन लोगों से मिल चुके हैं, इसका कुछ भी पता नहीं है।
दून के लिए कोरोना वारयस का खतरा इससे भी कहीं बढ़कर है। क्योंकि इस जैसे केस या तो कई दिन बाद पता चल रहे हैं या संभवत: उनके बारे में अभी भी हमारे पास पुख्ता जानकारी नहीं है। वैसे भी दून में राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान हैं।
वीआइपी व वीवीआइपी मूवमेंट भी यहां रहता है। जब तक हमारी मशीनरी हाई-अलर्ट मोड में नहीं आई थी, तब तक कितने लोग विदेश से लौटे और पकड़ में आने से पहले कहां-कहां घुले-मिले, कुछ नहीं कहा जा सकता। वैसे भी दून में आए दिन यह बात सामने आ रही है कि फलां जगह कोई व्यक्ति विदेश से लौटा और बिना किसी ऐहतियात के यहां-वहां घूम रहा है।
इन तमाम स्थिति व परिस्थितियों में सिस्टम को चाहिए था कि यहां लॉकडाउन का निर्णय पहले ही कर लिया जाता। अब भी तो जनता कर्फ्यू खत्म होने से पहले ही लॉकडाउन के आदेश जारी कर दिए गए हैं। अगर आपदा और महामारी जैसे हालात में भी राज्य केंद्र का मुहं ताकते रहेंगे तो यह ठीक बात नहीं। हमारी परिस्थितियों से हमें ही जूझना है और हमें ही निर्णय करना चाहिए कि कौन से कदम कब उठाने हैं। क्योंकि संकट आएगा तो सबसे पहले हम ही उससे प्रभावित होंगे। अब बस इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि लॉकडाउन के साथ कोरोना का संक्रमण जहां कहीं भी है, उस पर वहीं विराम लग जाए।
आपातकालीन व्यवस्था होती है लॉकडाउन
प्रदेश सरकार ने कोराना से निबटने के लिए प्रदेश में लॉकडाउन कर दिया है। ऐसी स्थिति पहली बार आई है। आइए जानते हैं कि लॉकडाउन में क्या होता है। दरअसल, लॉकडाउन एक इमरजेंसी, यानी आपातकालीन व्यवस्था होती है। अगर किसी क्षेत्र में लॉकडाउन हो जाता है तो उस क्षेत्र के लोगों को घरों से निकलने की अनुमति नहीं होती है। जीवन के लिए आवश्यक चीजों के लिए ही बाहर निकलने की अनुमति दी जाती है।
अगर किसी को दवा या अनाज की जरूरत है तो बाहर जा सकता है या फिर अस्पताल और बैंक के काम के लिए अनुमति मिल सकती है। छोटो बच्चों और बुजुगोर्ं की देखभाल के लिए भी व्यक्ति को बाहर निकलने की अनुमति मिल सकती है। इन्सान अथवा किसी इलाके को किसी तरह के खतरे को देखते हुए यह कदम उठाया जाता है।
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कोरोना के संक्रमण को देखते हुए कई भारत के कई राज्यों के साथ ही कई देशों में लॉकडाउन किया गया है। कोरोना वायरस का संक्रमण एक-दूसरे इन्सान में न हो इसके लिए जरूरी है कि लोग घरों से बाहर कम निकले। बाहर निकलने की स्थिति में संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा। इसीलिए एहतियाती कदम उठाते हुए उत्तराखंड में भी लॉकडाउन किया गया है।
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