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    ...जब किशोर क्रांतिवीर जगदीश प्रसाद वत्स ने गोलियां लगने के बावजूद फहराया था तिरंगा

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Fri, 13 May 2022 02:01 PM (IST)

    सहारनपुर जिले के ग्राम खूजरी अकबरपुर निवासी जगदीश वत्स का शव भी पुलिस ने उनके पिता पंडित कदम सिंह शर्मा को नहीं दिया गया। उलटे दुस्साहसी अंग्रेजों ने जगदीश वत्स को गोली मारने वाले पुलिस इंस्पेक्टर प्रेम शंकर को गोल्ड मेडल दिया।

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    'आजादी के अनोखे व रोमांचक प्रसंग' से साभार संपादित अंश

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार। हरिद्वार के 17 वर्षीय बालक जगदीश प्रसाद वत्स (25 जुलाई 1925-14 अगस्त 1942) ने ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज, हरिद्वार में पढ़ते हुए आजादी का बिगुल बजाया था। कालेज के छात्रों का नेतृत्व करते हुए जगदीश प्रसाद वत्स ने तिरंगा झंडा हाथ में लेकर अंग्रेज पुलिस को चुनौती देने का साहस किया था। 13 अगस्त, 1942 की रात्रि में छात्रावास में छात्रों की एक बैठक हुई थी, जिसमें अगले दिन तमाम इमारतों पर तिरंगा फहराने के लिए निकलने की योजना बनाई गई।

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    निर्णय को अमली जामा पहनाते हुए छात्रों का दल 14 अगस्त को सवेरे ही हरिद्वार की सड़कों पर भारत माता की जय और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाता हुआ निकल पड़ा। पुलिस के कड़े पहरे के बीच जब छात्र जगदीश प्रसाद वत्स ने सुभाष घाट पर तिरंगा फहराया तो अंग्रेज पुलिस की एक गोली उनके बाजू को चीरती हुई निकल गई। घायल जगदीश ने धोती को फाड़कर घाव पर बांध लिया और फिर दूसरा तिरंगा फहराने के लिए डाकघर की तरफ दौड़ लगा दी।

    पुलिस की गोली चलने से बाकी छात्र तो तितर-बितर हो गए, लेकिन 17 वर्षीय जगदीश तिरंगा फहराने की जिद पर अडिग रहे। उन्होंने दूसरा तिरंगा डाकघर पर फहरा दिया। वहां भी पुलिस ने गोली चलाई, जो जगदीश के पैर में लगी। जगदीश ने फिर पट्टी बांधी और रेलवे लाइन के रास्ते रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर पाइप के रास्ते ऊपर चढ़कर तीसरा तिरंगा फहरा दिया। जैसे ही जगदीश तिरंगा फहराकर नीचे उतरे तो जीआरपी इंस्पेक्टर प्रेम शंकर ने उन्हें घेर लिया।

    जगदीश वत्स ने ताव में आकर एक थप्पड़ प्रेम शंकर को रसीद कर दिया, जिससे वह धरती पर गिर पड़ा। इंस्पेक्टर ने जमीन पर पड़े-पड़े ही उन पर गोली चला दी। तीसरी गोली लगते ही जगदीश मूर्छित हो गए। उन्हें इलाज के लिए देहरादून मिलिट्री अस्पताल लाया गया। बताते हैं कि वहां जगदीश को एक बार होश आया था और उनसे माफी मांगने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने जब ऐसा नहीं किया तो उन्हें जहर का इंजेक्शन देकर कथित रूप से मार डाला गया।

     [जादी के अनोखे व रोमांचक प्रसंग' से साभार संपादित अंश]