Uniform Civil Code क्या है? विस्तार से जानिए कैसे मिलेंगे समान अधिकार
Uniform Civil Code समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट बनाने के लिए 27 मई 2022 को सेवानिवृत्त जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी। उत्तराखंड स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश का ऐसा पहला प्रदेश बनने जा रहा है जहां नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होंगे। इसमें सभी मत-समुदायों की महिलाओं को विवाह तलाक गुजारा भत्ता संपत्ति में समान अधिकार देते हुए सशक्त बनाया गया है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। Uniform Civil Code: उत्तराखंड स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश का ऐसा पहला प्रदेश बनने जा रहा है, जहां नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होंगे। समान नागरिक संहिता के रूप में कानूनी पहल असमानता दूर कर लैंगिक न्याय की दृष्टि से महत्वपूर्ण है ही, सामाजिक सद्भावना बढ़ाने की दृष्टि से बड़े कदम के रूप में देखी जा रही है।
इसमें सभी मत-समुदायों की महिलाओं को विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, संपत्ति में समान अधिकार देते हुए सशक्त बनाया गया है। साथ ही बहु विवाह और बाल विवाह प्रतिबंधित किए गए हैं।
सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास
प्रदेश में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है। राज्य विधानसभा ने सात फरवरी, 2024 को समान नागरिक संहिता विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर इतिहास रच दिया था।
इसके साथ ही स्वतंत्र भारत में उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने संविधान निर्माताओं के समान नागरिक संहिता के लिए देखे गए स्वप्न को धरातल पर उतारने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाए। यह विधेयक राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद अब एक्ट बन चुका है।
इसी माह प्रदेश में क्रियान्वित करने की तैयारी
राज्य मंत्रिमंडल इस एक्ट के क्रियान्वयन के लिए नियमावली को स्वीकृति दे चुका है। सरकार की तैयारी समान नागरिक संहिता को इसी माह प्रदेश में क्रियान्वित करने की है। इस कानून के क्रियान्वयन के लिए संबंधित विभागों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके लिए नियमावली व आनलाइन पंजीकरण को पोर्टल बन कर तैयार हो चुका है।
नियमावली में लिव इन में रहने के लिए सक्षम प्राधिकारी, यानी रजिस्ट्रार के समक्ष लिव इन में आने की तिथि से एक माह के भीतर पंजीकरण कराना होगा। यह भी व्यवस्था की गई है कि यदि पुरुष साथी महिला साथी को छोड़ता है तो वह सक्षम न्यायालय के समक्ष भरण-पोषण की मांग कर सकती है। साथ ही इस दौरान पैदा हुई संतान को भी पूरे अधिकार मिलेंगे।
चार खंडों में तैयार हुई समान नागरिक संहिता की रिपोर्ट
समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट बनाने के लिए 27 मई, 2022 को सेवानिवृत्त जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी। विशेषज्ञ समिति ने चार खंड में अपनी रिपोर्ट दी। चार खंड की रिपोर्ट में खंड-दो व चार समान नागरिक संहिता कानून के हिंदी व अंग्रेजी अनुवाद हैं। खंड-एक में
समान नागरिक संहिता लागू करने के पीछे अवधारणा और उसके सामाजिक, ऐतिहासिक, सामयिक और संवैधानिक संदर्भों और पहलुओं को सामने रखा गया है। इसमें 180 पृष्ठ और 11 अध्याय हैं। खंड-दो में समिति की ओर से ड्राफ्ट तैयार करने की प्रक्रिया में विस्तार से प्राप्त किए गए फीडबैक की जानकारी दी गई है। समिति ने 43 जन संवाद कार्यक्रम और विभिन्न माध्यमों से 2.33 लाख व्यक्तियों से सुझाव प्राप्त किए।
समान नागरिक संहिता: कब क्या हुआ
- जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई विशेषज्ञ समिति का गठन-27 मई, 2022
- विशेषज्ञ समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट-02 फरवरी, 2024
- विधानसभा में पारित हुआ समान नागरिक संंहिता विधेयक-07 फरवरी, 2024
- विधेयक को राष्ट्रपति से स्वीकृति-11 मार्च, 2024
- समान नागरिक संहिता अधिनियम की अधिसूचना-12 मार्च, 2024
- समान नागरिक संहिता अधिनियम की नियमावली को स्वीकृति-20 जनवरी, 2025
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