उत्तर भारत पर क्यों टूट रहा आपदा का पहाड़? सामने आई ये बड़ी वजह
वरिष्ठ भूविज्ञानी के अनुसार बंगाल की खाड़ी से उठने वाली मानसूनी हवा अब सीधे पश्चिमी हिमालय से टकरा रही हैं जो जलवायु परिवर्तन का संकेत है। पहले पूर्वी हिमालय से टकराने वाली हवाएँ अब सीधे पश्चिमी हिमालय पर भारी वर्षा का कारण बन रही हैं। संकरी घाटियों में बादल फटने की घटना बढ़ रही हैं जिससे उत्तराखंड और आसपास के क्षेत्रों में आपदा का खतरा बढ़ गया है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। जलवायु परिवर्तन कहें या जलवायु का स्थान परिवर्तन, जो कुछ भी इस मानसून सीजन में उत्तराखंड और उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों में घट रहा है, वह बड़े बदलाव के संकेत दे रहा है।
यह कहना है वरिष्ठ भूविज्ञानी और एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विद्यालय के भूविज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट का। उनका कहना है कि बंगाल की खाड़ी से हिंद महासागर से उठने वाली मानसूनी हवाएं अब सीधे पश्चिमी हिमालय से आकर टकरा रही हैं।
वरिष्ठ भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट के अनुसार बीते कुछ वर्षों में मैग्नेटिक पोलेरिटी देखने को मिल रही है। यह एक तरह से चट्टानों से घुलकर आने वाले खनिज की दिशा में बदलाव का भी सूचक है। इसे पोलर वांडरिंग थ्योरी भी कहा जाता है।
वैश्विक जलवायुवीय बदलाव
वैश्विक जलवायुवीय बदलाव के अंतर्गत यह सब कुछ घटित हो रहा है और वर्ष 2025 के मानसून में इसने रफ्तार पकड़ी है। इस बदलाव से पहले मानसूनी हवाएं पहले पूर्वी हिमालय में आकर टकराती थीं, जिससे उकसा प्रभाव कम हो जाता था।
इससे उत्तर पूर्व के राज्यों में भारी वर्षा और प्राकृतिक त्रासदी देखने को मिलती थी। जबकि अब बदली परिस्थितियों में मानसूनी हवाएं पूर्वी क्षेत्र में न टकराकर सीधे पश्चिमी हिमालय में आ रही हैं।
यही वजह है कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और फिर जम्मू और कश्मीर जैसे राज्यों में भारी से भारी वर्षा हो रही है। चूंकि, उच्च हिमालय में बादल संकरी घाटियों में अधिक फंस जाते हैं तो यहां बादल फटने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
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