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लोकसभा चुनाव 2019: यहां मौसम प्रत्याशियों के साथ प्रशासन की भी लेगा परीक्षा

लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड की विषम परिस्थितियां और मौसम कदम कदम पर प्रत्याशियों और दलों के साथ ही प्रशासनिक अमले की परीक्षा लेगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 12:52 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 08:29 AM (IST)
लोकसभा चुनाव 2019: यहां मौसम प्रत्याशियों के साथ प्रशासन की भी लेगा परीक्षा

देहरादून, केदार दत्त। विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में पहले चरण में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के दरम्यान यहां की विषम परिस्थितियां और मौसम कदम-कदम पर प्रत्याशियों, दलों के साथ ही प्रशासनिक अमले की परीक्षा लेगा। खासकर, पहाड़ के हिमाच्छादित और दुर्गम इलाकों में, जहां गांवों तक पहुंचने को कई-कई किलोमीटर का सफर पगडंडियों से तय करना होगा तो बर्फीली बयार से भी सामना होगा। इस परिदृश्य के बीच अगले एक महीने तक प्रदेश के इन क्षेत्रों की सर्द फिजां में चुनावी गर्माहट भी खूब घुलेगी यह तय है।

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पहाड़ी, घाटी और मैदानी भूगोल वाले उत्तराखंड में इस मर्तबा मौसम जैसे रंग दिखा रहा है, उसने नेताजी के चेहरों की हवाइयां भी उड़ाई हुई हैं। हाल में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हुई बर्फबारी और अब फिर से ऐसी संभावना बनने से पहाड़ी क्षेत्रों को लेकर चिंता अधिक है। हालांकि, सियासी दलों के साथ ही संभावित दावेदारों ने चुनाव के मद्देनजर कसरत काफी पहले से शुरू की हुई है, मगर यहां का भूगोल और मौसम के रंग से पेशानी पर बल पडऩा स्वाभाविक है। चिंता ये साल रही कि यदि चुनाव प्रचार के दौरान भी मौसम के तेवर नरम नहीं पड़े फाग के रंगों में खलल पड़ सकता है।

इस लिहाज से देखें तो पांच संसदीय क्षेत्रों वाले उत्तराखंड में हरिद्वार और नैनीताल को छोड़कर टिहरी, पौड़ी और अल्मोड़ा सीटें ऐसी हैं, जहां की विषम परिस्थितियां और मौसम सियासतदां की परीक्षा लेने को तैयार है। इनमें हिमाच्छादित क्षेत्र भी शुमार हैं तो ऐसे इलाके भी, जहां पहुंचने को आज भी रोड हेड से कई-कई किलोमीटर की दूरी पैदल नापनी होगी। फिर चाहे अल्मोड़ा सीट के अंतर्गत आने वाला नामिक गांव हो अथवा टिहरी सीट के अंतर्गत ओसला, वहां तक पहुंचने को क्रमश: 27 व 18 किलोमीटर पैदल चलना होगा। यही नहीं, पौड़ी गढ़वाल सीट के औली समेत अन्य स्थलों तक पहुंचने को भी को सर्द मौसम में खासा पसीना बहाना पड़ेगा। इन क्षेत्रों में हाल में जोरदार बर्फ गिरी थी और चोटियों पर यह अभी भी टिकी हुई है।

हिमाच्छादित एवं दुर्गम क्षेत्र

टिहरी संसदीय क्षेत्र: ओसला, गंगाड़, पवाणी, ढाटमीट, लिवाड़ी, भिताड़ी, सेवार, हर्षिल, मुखवा, धराली, सुक्की, गंगी, गिवाली, पिलस्वाड़, लोखंडी, उदावां आदि।

पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र: जोशीमठ तहसील के औली समेत तीन गांव और थराली तहसील के दो गांव।

अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र: नामिक, कनास, कर्मी समेत अन्य गांव।

शुक्र है अभी मूल गांवों को नहीं लौटे लोग

अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत धारचूला के उच्च हिमालयी क्षेत्र की व्यासघाटी के सात व दारमा घाटी के 11 और जौहार घाटी के 13 गांव सर्दियों में निचले इलाकों में आ जाते हैं। इन 31 गांवों के लोग गर्मियों में वहां वापस जाते हैं। इस लिहाज से देखें तो मौसम के रुख को देखते हुए यहां के लोग अभी निचले क्षेत्रों में ही रुके हैं। ऐसे में चुनाव प्रथम चरण में होने के कारण उनके लिए ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बूथ बनाने की नौबत नहीं आएगी। यह व्यवस्था निचले क्षेत्रों में ही होगी। इससे दावेदारों के साथ ही प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। निचले क्षेत्रों से इन गांवों के लोगों की वापसी मई में होती है।

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