Move to Jagran APP

उत्तराखंड में सूख गए पारंपरिक जल स्रोतों में फिर से बहेगी जल धारा

उत्तराखंड में अब सूख गए पारंपरिक जल स्रोतों को फिर से रिचार्ज किया जाएगा। इसके लिए चार करोड़ 18 लाख की योजना को स्वीकृत दी जा चुकी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 08:00 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jun 2018 05:25 PM (IST)
उत्तराखंड में सूख गए पारंपरिक जल स्रोतों में फिर से बहेगी जल धारा
उत्तराखंड में सूख गए पारंपरिक जल स्रोतों में फिर से बहेगी जल धारा

देहरादून, [दीपिका नेगी]: स्वजल परियोजना के तहत जल्द ही प्रदेश के प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने के लिए ठोस प्रयास किए जाएंगे। राज्य में सूख रहे पारंपरिक जल स्रोतों के संवर्धन और उनके पुनर्जीवन के लिए चार करोड़ 18 लाख की योजना को स्वीकृत दी जा चुकी है। योजना के तहत 11 जिलों की 104 ग्राम पंचायतों के 110 जल स्रोतों को चिह्नित किया गया है। ये जल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं। खास बात यह कि पहले चरण में एनआरडीडब्ल्यूपी (नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम) के तहत इन कार्यों को संबंधित ग्राम पंचायतें स्वयं अपनी उप समिति के माध्यम से करेंगी। 

loksabha election banner

राज्य में प्राकृतिक स्रोतों के कम होते डिस्चार्ज के कारण पेयजल संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में जल संवर्धन के प्रयास बेहद जरूरी हो गए हैं। इसी संकट से निपटने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 25 मई 2017 को पेयजल योजनाओं के जल स्रोत और पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया था। 11 जिलों की योजनाओं में से पांच जिलों के लिए वित्तीय स्वीकृति भी मिल चुकी है। इन जिलों में नैनीताल, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, पौड़ी और टिहरी शामिल हैं। अन्य जिलों के स्रोतों के संरक्षण के लिए भी जल्द वित्तीय स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। 

स्वजल परियोजना के तहत किए जाने वाले कार्य का विवरण 

जनपद,       ग्राम पंचायत,     जल स्रोत,    लागत 

नैनीताल      07                  10              34.17 

पिथौरागढ़    09                  10              38.04 

देहरादून      10                   10              50.44 

रुद्रप्रयाग     10                    10             33.88 

उत्तरकाशी  10                    10             47.66 

बागेश्वर      10                    10             39.38 

चंपावत       10                    10             36.34 

अल्मोड़ा      10                    10             29.81 

पौड़ी           10                    10             40.47 

टिहरी          08                    10             34.24 

चमोली        10                     10            34.14 

योग,           104                  110           418.62 

(नोट: लागत लाख रुपये में) 

जल संवर्धन के लिए इन बिंदुओं पर होगा काम

पौधरोपण, चाल-खाल, रिचार्ज पिट, कंटूर ट्रेंच, चेकडैम, परकुलेशन टैंक, दीवार बंदी बनाकर जल संरक्षण और संवर्धन के लिए काम किया जाएगा। 

681 योजनाओं पर हुआ काम, परिणाम का पता नहीं

राज्य में जल स्रोतों के संवर्धन को लेकर इससे पहले भी स्वजल परियोजना के तहत वर्ष 2010-2016 तक काम किया जा चुका है। स्वजल के सलाहकार डॉ. रमेश बडोला ने बताया कि विश्व बैंक पोषित कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 681 पेयजल योजनाओं के तहत कुल 1700 चेकडैम, 8385 मीटर कंटूर ट्रेंच, 8505 घनमीटर दीवार बंदी, 206 चाल-खाल बनाए गए हैं। 

इसके अलावा दो लाख नौ हजार 790 पौधों का रोपण, 101 परकुलेशन टैंक, 1338 रिचार्ज पिट व 1330 वर्षा जल संग्रहण टैंकों का निर्माण किया जा चुका है। एनआरडीडब्ल्यूपी के तहत अन्य चरण में 1711 जलाशय, 101 चेकडैम, 60 चाल-खाल, 82 परकुलेशन पॉन्ड, 19 पेयजल योजनाओं के पुनरुद्धार के लिए कार्य किया गया है। हालांकि इनसे जल संवर्धन की दिशा में कितना फायदा पहुंचा है, इसकी अभी कोई जानकारी नहीं है। 

यह भी पढ़ें: इस मानसून से सरकारी भवन सहेजने लगेंगे वर्षा जल

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में इस संस्था की पहल से चहक उठे 52 सूखे जल धारे

यह भी पढ़ें: इस गांव का हर शख्स बना मांझी, पहाड़ का सीना चीर खुद लिखी तकदीर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.