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    देहरादून के इस योद्धा ने छुड़ाए थे मुगल सेना के छक्के... कहलाया 'गुलदार'... वीरता के किस्‍से भर देंगे जोश

    By chandram rajguruEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Tue, 08 Nov 2022 02:59 PM (IST)

    Warrior Nantram Negi Guldar मलेथा निवासी वीर नंतराम नेगी नाहन रियासत की सेना में सिपाही थे और उनके चाचा भूप सिंह नेगी राजा के दरबार में सलाहकार रहे। नाहन की रानी ने मुगल सेना से मुकाबला करने के लिए वीर नंतराम नेगी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी।

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    Warrior Nantram Negi Guldar : मलेथा निवासी वीर नंतराम नेगी।

    चंदराम राजगुरु, त्यूणी : Warrior Nantram Negi Guldar : सैकड़ों वर्ष पूर्व जौनसार-बावर का इलाका सिरमौर-नाहन राजा की रियासत के अधीन रहा। उस वक्त जौनसार के मलेथा निवासी वीर नंतराम नेगी नाहन रियासत की सेना में सिपाही थे और उनके चाचा भूप सिंह नेगी राजा के दरबार में सलाहकार रहे।

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    मुगलकाल में खुंखार माने जाने वाले सूबेदार अब्दुल कादिर रोहिला ने सिरमौर-नाहन रियासत पर कब्जा करने को अपनी सेना के साथ धावा बोला था। रियासत पर छाए संकट से बचने को नाहन की रानी ने मुगल सेना से मुकाबला करने के लिए वीर नंतराम नेगी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी।

    मुगल सेना को परास्त कर जीत का परचम लहराया

    राज परिवार के प्रति समपर्ति वीर नंतराम नेगी ने अपनी युद्ध कौशलता से मुगल सेना को परास्त कर जीत का परचम लहराया। इस युद्ध में वह वीरगति को प्राप्त हुए।

    उनकी युद्ध कौशलता, पराक्रम एवं वीरता की वजह से नाहन के राजा रहे जगत प्रकाश ने वीर नंतराम नेगी को मरणोपरांत गुलदार की उपाधि से नवाजा था। जौनसार के मलेथा गांव में गुलदार वशंजों के 13 परिवार, भंद्रोली में छह, चुणोऊ में पांच, घणता में एक और हिमाचल के मोहराड़ में 14 व कुफोई में एक कुल 40 परिवार मौजूद हैं।

    24 साल पहले तराशा गया नंतराम नेगी गुलदार का चित्र

    18वीं शताब्दी में मुगल सेना के छक्के छुड़ाने वाले जौनसार-बावर के मलेथा निवासी वीर योद्धा नंतराम नेगी गुलदार का चित्र 24 साल पहले तराशा गया था।

    अपने अदम्य साहस एवं पराक्रम से वीरता की मिसाल कायम कर इतिहास रचने वाले इस वीर योद्धा के चित्र को तराशने में सिमोग निवासी श्रीचंद शर्मा की भूमिका महत्वपूर्ण रही। मलेथा व मोहराड़ गांव में वीर योद्धा के वशंजों के पास मुगल काल के प्राचीन हथियार ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सुरक्षित हैं।

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    साहिया में वीर नंतराम नेगी गुलदार की प्रतिमा का अनावरण होने से उनके वशंजों ने गाजे-बाजे के साथ प्राचीन हथियारों की नुमाइश कर अपने पूर्वजों की वीरता के गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया।

    जौनसार-बावर का गौरवशाली इतिहास

    सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। यहां जन्में दो वीर योद्धाओं ने अपने शौर्य-पराक्रम से इतिहास रचा। इनमें मुगलों से लोहा लेने वाले वीर योद्धा नंतराम नेगी गुलदार और देश की आजादी के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले अमर शहीद केसरीचंद ने इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम दर्ज कर समाज में मिसाल कायम की।

    वर्ष 2019 में सेवा प्रकल्प संस्थान ने उनकी प्रतिमा बनाने का कार्य शुरू किया था। इससे पूर्व वर्ष 1998 में लोक पंचायत के संयोजक एवं समाजसेवी श्रीचंद शर्मा और उनके साथी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक विजय ने इसकी पहल की थी। इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती वीर नंतराम नेगी के चित्र बनाने की थी।

    मलेथा गांव में वीर योद्धा के वशंजों से तीन-चार बार मुलाकात होने से बड़े-बुजुर्गों के बताए हुलिए और उनकी परिकल्पना के आधार पर डोईवाला के चित्रकार डा. विजयपाल की मदद से वीर नंतराम नेगी का पहला चित्र बनाया गया।

    बुजुर्गों की कल्पना के आधार पर चित्र को अंतिम रूप दिया गया

    पहली बार वर्ष-1999 को जौनसार-बावर महोत्सव में तत्कालीन जिलाधिकारी पीके मोहंती ने वीर नंतराम नेगी गुलदार के चित्र वाले वार्षिक कलेंडर का विमोचन किया था।

    इतिहास के जानकार श्रीचंद शर्मा ने कहा उनके वशंजों के पास कोई चित्र उपलब्ध न होने से बुजुर्गों की परिकल्पना के आधार पर चित्र को अंतिम रूप दिया गया। जिससे समाज की नई पीढ़ी को वीर योद्धाओं के गौरवशाली इतिहास और संघर्षशील जीवन से प्रेरणा मिल सके।

    वीर नंतराम नेगी के चित्र को तराशने में अहम भूमिका निभाने वाले सिमोग के श्रीचंद शर्मा के साथ साहिया में उनकी विशाल प्रतिमा को स्थापित करने में सेवा प्रकल्प संस्थान से जुड़े क्षेत्र के समाजसेवी रमेश नेगी व दिनेश रावत का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है।

    गुलदार के वशंज सुरेंद्र सिंह नेगी, जगत सिंह नेगी व श्याम सिंह नेगी ने कहा मुगलकाल में वीरता की निशानी के रुप में उनके पास कई प्राचीन हथियार सुरक्षित हैं, जो उनके पूर्वजों की शौर्य गाथा का प्रतीक हैं।