देहरादून-दिल्ली ''नॉन-स्टॉप'' वोल्वो का रास्ते में पौन घंटा स्टॉप, यात्री परेशान; परिवहन निगम पर सवाल
उत्तराखंड परिवहन निगम की वोल्वो बसों की लेटलतीफी से यात्री परेशान हैं। नॉन-स्टॉप सेवा के नाम पर अधिक किराया लिया जा रहा है लेकिन बसें बिना अनुबंध के ढाबों पर रुक रही हैं। साढ़े चार घंटे की यात्रा अब साढ़े पांच घंटे में हो रही है। एसी भी ठीक से नहीं चल रहा जिससे यात्रियों को गर्मी में परेशानी हो रही है। निगम ने कार्रवाई की चेतावनी दी है।

अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून। सुपर डीलक्स वोल्वो बसों के संचालन को लेकर नित नए निर्णय ले रहे उत्तराखंड परिवहन निगम से अब अब यात्रियों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। खासकर उच्च श्रेणी व उच्च मध्यम श्रेणी के वह यात्री, जो करीब एक हजार रुपये खर्च कर परिवहन निगम की वोल्वो बसों से यात्रा करते हैं।
स्थिति यह है कि दून से चल रही निजी वोल्वो व स्लीपर बसों में आधा किराया होने के बावजूद यात्री निगम की बसों पर भरोसा करते हैं, लेकिन जो यात्री 945 रुपये खर्च कर नान-स्टाप वोल्वो बस से साढ़े चार घंटे में दिल्ली पहुंचना चाहता है, अब वही बसें सवा पांच से साढ़े पांच घंटे में दिल्ली पहुंच रही हैं। न ही यह बसें अब नान-स्टाप रहीं। बसें अनुबंध के बगैर ही आधा से पौन घंटा ढाबों पर रुक रहीं और धीमी गति में चल रहीं, जिससे यात्री असहज हो रहे हैं।
यात्रियों की सुविधा के लिए दून-दिल्ली मार्ग पर संचालित हो रही सुपर डीलक्स वोल्वो बस सेवा को नान-स्टाप बताकर परिवहन निगम साधारण बस से ढाई गुना अधिक किराया तो वसूल रहा, लेकिन यह बसें अब जाते हुए मुजफ्फरनगर बाईपास जबकि लौटते हुए खतौली बाईपास पर आधा से पौन घंटा रुक रही हैं।
जून में भी वोल्वो बसों के नान-स्टाप संचालित न होने पर यात्रियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी और इस संबंध में परिवहन निगम मुख्यालय से स्पष्टीकरण भी मांगा गया था। इसके बावजूद परिवहन निगम अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं कर पाया है।
निगम नान-स्टाप सेवा के नाम पर दिल्ली के लिए वोल्वो बस का किराया 945 रुपये वसूल रहा है, जबकि साधारण बस में यह किराया 420 रुपये है। बता दें कि, दून-दिल्ली मार्ग पर परिवहन निगम की 23 वोल्वो सेवा संचालित होती हैं। इनमें 21 बसें दिल्ली कश्मीरी गेट आइएसबीटी जबकि शेष दो बसें दिल्ली होकर गुरुग्राम जाती हैं। वोल्वो बसें मेरठ एक्सप्रेस-वे से नोएडा होकर दिल्ली जाती हैं।
हवा हुए निगम मुख्यालय के आदेश
मुख्यमंत्री कार्यालय से नाराजगी जताए जाने और जवाब-तलब के बाद 12 जून को परिवहन निगम प्रबंधन की ओर से वोल्वो बसों को नान-स्टाप संचालित करने और निर्धारित साढ़े चार घंटे में यात्रियों को दिल्ली पहुंचाने के आदेश दिए गए थे, लेकिन न तो ग्रामीण डिपो के अधिकारी यह आदेश लागू करा पाए, न ही चालक-परिचालक मनमानी से बाज आ रहे।
निगम मुख्यालय की ओर से वोल्वो बसों को केवल 15 मिनट यात्रियों को प्रसाधन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बस रोकने के आदेश दिए थे, लेकिन इसकी आड़ में अब बसों को आधा से पौन घंटा ऐसे ढाबों पर रोका जा रहा, जिनका निगम में अनुबंध भी नहीं है।
गर्मी में बैठे रहते हैं यात्री, नहीं चलाते एसी
वोल्वो बसें निजी आपरेटरों की हैं और यह निगम में अनुबंध पर संचालित होती हैं। अनुबंध की शर्तों के अनुसार बस का एसी बस अड्डे पर प्लेटफार्म पर लगने से आधा घंटे पहले चलाना अनिवार्य है। यही नहीं, मार्ग में कहीं भी एसी बंद नहीं होगा, चाहे बस कहीं खड़ी भी क्यों न हो, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा। यात्रियों का आरोप है कि जब बस अड्डे से बाहर निकलने वाली होती है चालक तब एसी आन करते हैं।
ऐसे में भीतर हो रही घुटन व गर्मी के कारण यात्रियों को बस चलने तक बाहर खड़े रहना पड़ता है। वहीं, बस धीमी गति से चलाने का कारण डीजल चोरी बचाना बताया जा रहा। दिल्ली का फेरा लगाने को निगम प्रति बस 135 लीटर डीजल देता है। पूर्व में यह बसें 80 से 100 किमी प्रतिघंटा गति से दौड़ती थी, लेकिन अब यह 60-65 की गति पर दौड़ती हैं।
पूर्व में वोल्वो बसों को 10 मिनट के लिए छपार टोल प्लाजा पर प्रसाधन की सुविधा के लिए रोका जाता था, मगर शौचालय गंदा होने के कारण यात्री विरोध कर रहे थे। इस कारण बसों को 15 मिनट किसी ढाबे पर प्रसाधन की सुविधा के लिए रोका जाता है। यदि बसें, अधिक देर रुक रही हैं तो चालक-परिचालक पर कार्रवाई की जाएगी।परिचालकों की काउंसिलिंग की जा रही है कि वह बस रुकते ही यात्रियों को बता दें कि बस केवल 15 मिनट के लिए ही रुकेगी। - प्रतीक जैन, सहायक महाप्रबंधक (ग्रामीण डिपो)
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