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    Rishikesh Toursim : चले आइए उत्‍तराखंड के ऋषिकेश में, कम बजट में घूमें इन स्थानों पर; जो कर देंगे आपको रोमांचित

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sat, 14 May 2022 07:31 PM (IST)

    Rishikesh Toursim ऋषिकेश योग अध्यात्म और पर्यटन के लिए पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखता है। यहां के सुकून देने वाले गंगा घाटों के अलावा प्राचीन मंदिर मठ ऐतिहासिक विरासत के अलावा रहस्य गुफाएं भी है। इन स्थलों पर घूमने के लिए आपको ज्यादा खर्च भी नहीं करना होगा।

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    Rishikesh Toursim : छुट्टियां आरंभ होने वाली हैं, आप घूमने का मन बना रहे हैं तो चले आइए ऋषिकेश।

    दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश। गर्मी की छुट्टियां आरंभ होने वाली हैं, ऐसे में यदि आप घूमने का मन बना रहे हैं तो चले आइए ऋषिकेश । बड़े शहरों के शोरगुल से दूर ऋषिकेश में तमाम ऐसे दर्शनीय स्थल हैं, जो आपकी छुट्टियों को यादगार बना सकते हैं। अधिकांश स्थानों पर आप बिना किसी शुल्क चुकाए घूमने का आनंद ले सकते हैं। कुल मिलाकर आपके पास यदि तीन से चार दिन का समय है तो कम बजट में आपका ऋषिकेश का बेहतर ट्रिप बना सकता है।

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    त्रिवेणी घाट: ऋषिकेश की हृदयस्थली

    ऋषिकेश का त्रिवेणी घाट तीर्थनगरी की हृदयस्थली कहा जाता है। गंगा के तट पर स्थित त्रिवेणी घाट तीर्थनगरी का सबसे बड़ा घाट है। त्रिवेणी घाट पर गंगा, यमुना तथा सरस्वती का मिलन माना जाता है।

    यहां त्रिवेणी घाट के निकट स्थित ऋषि कुंड से यमुना की धारा गंगा में पहुंचती है, जबकि सरस्वती की धारा यहां प्रत्यक्ष रूप में गंगा में मिलती है। पौराणिक ग्रंथों में भी इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है। यहां पर गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है।

    आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान त्रिवेणी घाट पर प्रत्येक दिन सायंकाल को होने वाली संगीतमय गंगा आरती आकर्षण का केंद्र होती है। गंगा आरती को देखने के लिए यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।

    त्रिवेणी घाट पर भगवान शंकर की जटाओं में गंगा अवतरण, महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश दिए जाने व मां गंगा की आकर्षक झांकी भी देखने को मिलती है।

    चौरासी कुटी: वास्तुकला का बेजोड़ नमूना

    गंगा के बाएं ओर स्वर्गाश्रम से सटे राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा में चौरासी कुटी स्थिति है। चौरासी कुटी को शंकराचार्य नगर व बीटल्स आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। इस आश्रम की स्थपना भावातीय ध्यान योग के प्रणेता महर्षि महेश योगी ने की थी।

    1968 में पश्चिमी देशों में मशहूर बीटल्स बैंड के चार सदस्य इस आश्रम में आए थे। तब उन्होंने कई यादगार गीत व संगीत की रचना यहां पर की थी। आज भी विदेशों से बड़ी संख्या में पर्यटक बीटल्स की यादों से जुड़े इस स्थान को देखने के लिए पहुंचते हैं। चौरासी कुटी में योग और ध्यान के लिए 84 गुंबदनुमना कुटिया बनाई गई थी, जो आज भी यहां विद्यमान हैं।

    हालांकि, लंबे समय तक बंद रहने के कारण यहां अधिकांश इमारतें खराब हो चुकी हैं। मगर, वास्तुकला के अद्भुत नमूने के रूप में यह निर्माण आज भी प्रासंगिक है। आश्रम परिसर में मंदिर, पुस्तकालय, रसोई, महर्षि योगी का घर और कुटिया हैं, जिनकी दीवारों पर रंगीन भित्तिचित्र मौजूद हैं।

    चौरासी कुटी नेचर ट्रेल व वर्ड वाचिंग के लिए भी उपयुक्त स्थान है। यहां प्रवेश करने के लिए विदेशी पर्यटक को 600 रुपये, भारतीय पर्यटक को 150 रुपये, वरिष्ठ नागरिक को 75 रुपये व विद्यार्थियों को 40 रुपये चुकाने पड़ते हैं।

    गगनचुंबी मंदिरों के देखने के लिए पहुंचे स्वर्गाश्रम

    ऋषिकेश में गंगा के बाएं ओर का क्षेत्र स्वर्गाश्रम-लक्ष्मणझूला के नाम से प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र मठ, मंदिर, आश्रम, कई छोटे-बडे होटल और रेस्टोरेंट के लिए प्रसिद्ध है। यहां प्रसिद्ध परमार्थ निकेतन, गीता भवन, वनप्रस्थ आश्रम, गीता आश्रम के अलावा बहुमंजिला 13 मंजिल, 14 मंजिल व बहुमंजिला भूतनाथ मंदिर स्थित है। 13 मंजिल मंदिर को त्रियंबकेश्वर मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।

    गंगा नदी के तट पर स्थित यह मंदिर में 13 मंजिल का आकर्षक और सुंदर वास्तुकला का नमूना है। यहां से करीब दो किमी की दूरी पर भूतनाथ मंदिर स्थित है। मान्यता है कि भगवान शिव की बरात यहां आकर ठहरी थी। यहां मंदिर के आहते में एक शिवलिंग है, जिसके चारों ओर घंटियां टंगी है। खास बात यह है कि प्रत्येक घंटी से अलग-अलग ध्वनि निकलती है।

    रिवर राफ्टिंग और कैंपिंग है खास

    तीर्थनगरी ऋषिकेश में गंगा का कौडियाला से मुनिकीरेती तक का क्षेत्र इको टूरिज्म जोन है। यहां रिवर राफ्टिंग और कैंपिंग के अलावा तमाम साहसिक गतिविधियां संचालित की जाती हैं।

    ऋषिकेश की यात्रा गंगा की राफ्टिंग के लुत्फ के बिना अधूरी ही रह जाती है। यदि आप साहसी हैं और रोमांच का शौक रखते हैं तो गंगा की लहरें आपके साहस को यहां चुनौती देती हैं। यकीनन आपके रोमांच के शौक को राफ्टिंग की गतिविधि परवान चढ़ा देगी।

    राफ्टिंग के दौरान यहां शांत पानी में लाइफ जैकेट पहनकर तैरना (बाडी सर्फिंग), क्लिफ जंपिंग और राक क्लाइंबिंग जैसी गतिविधि में भी हाथ आजमाने का मौका मिलता है।

    इसके अलावा शिवपुरी, गूलर, व्यासी व हेंवल घाटी क्षेत्र में बीच कैम्पिंग के साथ आप पर्वतारोहण, जंगल की सैर और जंगल ट्रैकिंग गतिविधियों का भी लुत्फ उठा सकते हैं।

    गंगा में रिवर राफ्टिंग के लिए आपको दूरी के हिसाब से 600 रुपये से 1500 रुपये तक, जबकि कैंपिंग के लिए 1500 से 2500 रुपये प्रतिव्यक्ति के हिसाब से चुकाने पड़ेंगे।

    मन को छू जाते हैं गुनगुनाते झरने

    ऋषिकेश से बदरीनाथ जाने वाले मार्ग पर तपोवन से करीब दो किमी आगे एक ठंडे पानी का सुंदर नीर जल प्रपात (झरना) मौजूद है। जंगलों के बीच से पानी की यह धारा चट्टानी क्षेत्र में बहते हुए कई छोटे बड़े जल प्रपात बनाते हुए बहती है।

    इस जल प्रपात तक पहुंचने के लिए मुख्य मार्ग से लगभग एक किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। यहां बीच-बीच में भी कई झरने देखने को मिलेंगे। जबकि मुख्य झरने के नीचे नहाने के लिए सुंदर तालाब और इसके दूसरे छोर पर पहुंचने के लिए लकड़ी का पुल बना है।

    यहां आप चारों ओर सुंदर वनस्पतियों और जीवों के दीदार भी कर सकेंगे। इसके अलावा नीलकंठ मार्ग पर गरुड़चट्टी और पटना वाटरफाल भी देखने लायक है। करीब डेढ़ सौ फीट की ऊंचाई से गिरने वाला पटना जल प्रपात के आसपास भी छतरीनुमा चट्टानों से पानी की बूंदें रिमझिम बारिश की तरह टापकती नजर आती हैं।

    यहां तक पहुंचने के लिए करीब ढाई किमी की खड़ी चढ़ाई पार करना होती है। मगर, यकीनन इस झरने पर पहुंचकर पूरी थकान छूमंतर हो जाती है। पटना और गरुड़चट्टी वाटरफाल राजाजी पार्क की सीमा में पड़ते हैं, जहां अभी पर्यटकों के लिए कोई शुल्क निर्धारित नहीं है। जबकि नीर वाटरफाल में जाने के लिए 20 रुपये का मामूली शुल्क चुकाना पड़ता है।

    कुंजापुरी मंदिर से करें हिमालय के दर्शन

    ऋषिकेश-गंगोत्री मार्ग पर ऋषिकेश से करीब 20 किमी आगे समुद्रतल से 1645 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है कुंजापुरी मंदिर। इस मंदिर से आप उत्तर में हिमालय की चोटियां और दक्षिण में ऋषिकेश, हरिद्वार और दून घाटी के मनोरम दृश्य देख सकते हैं।

    कुंजापुरी मंदिर के लिए ऋषिकेश के तपोवन से भी जंगल के रास्ते शानदार ट्रैक है, यदि आप ट्रैकिंग क शौक रखते हैं तो यह रूट भी आपके लिए बेहतर बन सकता है। मुख्य धार्मिक स्थल होने के कारण, पूरे वर्ष विशेष रूप से नवरात्रों में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

    प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थान इसलिए भी खास है कि यहां से सूर्योदय व सूर्यास्त का बेहतरीन नजारा देखने को मिलता है। बड़ी संख्या में देश-विदेश के पर्यटक यहां सूर्योदय व सूर्यास्त देखने के लिए पहुंचते हैं।

    ऋषिकेश के पौराणिक मंदिरों के करें दर्शन

    ऋषिकेश की पहचान यहां के पौराणिक मंदिरों से भी है। यहां भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर वीरभद्र महादेव, चंद्रेश्वर महादेव और सोमेश्वर महादेव मंदिर स्थित हैं। इन सभी मंदिरों का पौराणिक व धार्मिक महत्व है।

    पौराणिक धर्म ग्रंथों में इन मंदिरों के महत्व को बताया गया है। इसके अलावा ऋषिकेश के ग्राम देवता के रूप में पूजे जाने वाले हृषिकेश नारायण भगवान भरत का पौराणिक मंदिर भी यहां स्थिति है।

    श्री भरत मंदिर में भगवान विष्णु की काली शालिग्राम शिला से निर्मित प्राचीन मूर्ति विराजमान है। एक कालखंड में विदेशी आक्रांताओं ने इस मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था। जिसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य ने 12वीं सदी में इस मंदिर का पुनर्रोद्धार कराया था। इस मंदिर के शिखर भर श्रीयंत्र भी बना हुआ है।

    रहस्यमयी गुफाओं में बिताएं समय

    ऋषिकेश के आसपास क्षेत्र में कुछ रहस्यमयी गुफाएं भी हैं, जो पर्यटकों के नया अनुभव करा जाती हैं। ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर गुलर के समीप वशिष्ठ गुफा स्थित है। ऋषिकेश से इसकी दूरी करीब 22 किलोमीटर है।

    माना जाता है की यह गुफा 3000 साल से भी ज्यादा पुरानी है। इस गुफा के आस पास आज भी बहुत से साधु महात्मा विश्राम और ध्यान लगाए मिलते हैं। यह भी मान्यता है कि यह जगह भगवान राम के कुलगुरु ऋषि वशिष्ठ का निवास स्थल था।

    गुफा के भीतर प्रवेश करबे पर एक शिवलिंग के भी दर्शन होते है। बताया जाता है कि कालांतर में यह गुफा आगे भी खुलती थी, मगर अब भूगर्भीय परिवर्तनों के कारण यह गुफा बंद है।

    यहां से पावकी देवी को जोड़ने वाले मार्ग पर भी एक लोयल गुफा कई रहस्यों को समेटे हुए है। इस गुफा में कैल्सियम और कार्बन से प्राकृतिक रूप से स्टोन फार्मेशन से कई आकृतियां बनी हैं।

    जिससे गुफा के भीतर भगवान गणेश, शिव, हाथी, जैलीफिस, सांप और नाग की आकृतियां बनी हैं। इसी तरह की गुफा नीलकंठ मंदिर के पैदल मार्ग पर झिलमिल गुफा के नाम से प्रसिद्ध है।

    इस गुफा में आगे जाकर आसमान की ओर से एक खोखला हिस्सा है, जिससे सूरज की किरणें गुफा के भीतर आती हैं। खास बात यह है कि इन स्थानों पर घूमने के लिए कोई शुल्क नहीं चुकाना पड़ता।