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आयुर्वेद विवि के तीन वर्षों की गड़बड़ी की होगी विजिलेंस जांच, शैलेश बगोली ने जारी किए आदेश

आयुर्वेद विश्वविद्यालय पिछले लंबे समय से नियम विरुद्ध नियुक्तियों समेत तमाम स्तर पर अनियमितता को लेकर चर्चा में रहा है। वर्तमान में विश्वविद्यालय के कुलपति और शासन के बीच खींचतान चल रही है। कुलपति की नियुक्ति में नियमों के उल्लंघन के मामले पर शासन उनसे स्पष्टीकरण तलब कर चुका है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 01:44 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 01:44 PM (IST)
आयुर्वेद विवि के तीन वर्षों की गड़बड़ी की होगी विजिलेंस जांच, शैलेश बगोली ने जारी किए आदेश
आयुर्वेद विवि के तीन वर्षों की गड़बड़ी की होगी विजिलेंस जांच।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वर्ष 2017 से 2020 तक गलत तरीके से हुई नियुक्तियों, सामान खरीद में गड़बड़ी और वित्तीय अनियमितता की विजिलेंस जांच होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुमोदन के बाद बुधवार को कार्मिक एवं सतर्कता सचिव शैलेश बगोली ने इस संबंध में आदेश जारी किया।

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आयुर्वेद विश्वविद्यालय पिछले लंबे समय से नियम विरुद्ध नियुक्तियों समेत तमाम स्तर पर अनियमितता को लेकर चर्चा में रहा है। वर्तमान में विश्वविद्यालय के कुलपति और शासन के बीच खींचतान चल रही है। कुलपति की नियुक्ति में नियमों के उल्लंघन के मामले पर शासन उनसे स्पष्टीकरण तलब कर चुका है। प्रभारी कुलसचिव को स्थानांतरित करने के आदेश कई बार शासन से जारी होने के बावजूद इनका क्रियान्वयन नहीं हो सका है। विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी अमित जैन को शासन के निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए कारण बताओ नोटिस दिया जा चुका है।

कुलपति की नियुक्ति का मामला राजभवन भी पहुंचा। हालांकि, राजभवन ने इस मामले में शासन के स्तर पर की जा रही कार्यवाही पर भी सवाल उठाए हैं। आयुष विभाग की ओर से आयुर्वेद विश्वविद्यालय में नियुक्तियों से लेकर तमाम गड़बड़ी की विजिलेंस जांच कराने की संस्तुति की गई थी। दरअसल आडिट रिपोर्ट में भी विश्वविद्यालय में नियुक्तियों, फर्नीचर समेत सामान की खरीद एवं वित्तीय अनियमितता सामने आई है। आडिट रिपोर्ट की आपत्तियों को सरकार ने गंभीरता से लिया है।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस को लेकर रुख स्पष्ट कर चुके हैं। आयुर्वेद विश्वविद्यालय में तीन वर्षों में हुई अनियमितता की विजिलेंस जांच कराने के संबंध में पत्रावली को मुख्यमंत्री ने अनुमोदित कर दिया। इसके बाद कार्मिक एवं सतर्कता सचिव ने विश्वविद्यालय में तीन वर्षों में बरती गई अनियमितता की विजिलेंस जांच के आदेश जारी किए। विजिलेंस जांच के बाद विश्वविद्यालय में अनियमितता के लिए दोषियों पर कार्रवाई का रास्ता साफ हो सकेगा।

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