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    चीन के बाद अब नेपाल सीमा से सटे रिहायशी इलाकों में लौटेगी रंगत, बदलेगी उत्‍तराखंड के इन गांवों की तस्वीर

    उत्तराखंड के नेपाल सीमा से लगे 40 गांवों को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम 2.0 में शामिल किया गया है। केंद्र सरकार ने इन गांवों को जीवंत बनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिसके तहत भौतिक सत्यापन कर जानकारी पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। प्रत्येक गांव के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा और विकास के लिए 10 बिंदुओं पर कार्ययोजना बनाई जाएगी।

    By kedar dutt Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 28 Aug 2025 06:00 AM (IST)
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    केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुरूप इन गांवों को जीवंत बनाने के लिए बनेंगी विभिन्न योजनाएं। प्रतीकात्‍मक

    केदार दत्त, जागरण देहरादून। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों को प्रथम गांव मानते हुए इन्हें जीवंत बनाने के उद्देश्य से संचालित वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम 2.0 में सम्मिलित उत्तराखंड के नेपाल सीमा से सटे 40 गांवों की भी रंगत लौटेगी। इस क्रम में केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।

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    इसके तहत गांवों का भौतिक सत्यापन कर वहां से जुड़ी प्रत्येक जानकारी वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के पोर्टल में अपलोड की जाएगी। प्रत्येक गांव के लिए नोडल अधिकारी नामित किया जाएगा। फिर वहां के लिए विभिन्न योजनाओं का खाका खींचा जाएगा। इसी क्रम में शासन भी अब कदम उठाने जा रहा है।

    चीन और नेपाल की सीमा से सटे उत्तराखंड के गांवों का सामरिक महत्व भी है। सीमा पर होने वाली किसी भी हलचल की जानकारी स्थानीय ग्रामीणों से ही सुरक्षा एजेंसियों को सबसे पहले मिलती है। यद्यपि, यह भी सही है कि सीमावर्ती गांव भी पलायन के दंश से अछूते नहीं हैं।

    ऐसे में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम उनके लिए नई उम्मीद लेकर आया है। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के पहले चरण में चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के चमोली, पिथौरागढ़ व उत्तरकाशी के 51 गांवों को शामिल किया गया। प्रथम चरण में वहां 186.16 करोड़ रुपये की लागत की 184 योजनाएं स्वीकृत हैं। इनमें से 162 में काम चल रहा है।

    अब केंद्र सरकार ने चीन के अलावा अन्य देशों से सटी सीमा से लगे गांवों के लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम 2.0 शुरू किया है। इसमें राज्य के नेपाल सीमा से सटे चंपावत, पिथौरागढ़ व ऊधम सिंह नगर जिलों के छह ब्लाक के 40 गांव शामिल किए गए हैं।

    उत्तराखंड की नेपाल से लगभग 275 किलोमीटर की सीमा लगती है। इन गांवों के विकास के दृष्टिगत केंद्र की गाइड लाइन का इंतजार किया जा रहा था। दिल्ली में हुई कार्यशाला में उत्तराखंड समेत उन राज्यों के अधिकारियों के साथ इसे साझा किया गया, जिनके सीमावर्ती गांव इस कार्यक्रम में शामिल हैं।

    'नेपाल सीमा से सटे 40 गांवों का भौतिक सत्यापन कर प्रत्येक गांव का क्षेत्रफल, जनसंख्या, वहां संचालित योजनाएं व उनकी स्थिति समेत अन्य जानकारी वाइब्रेंट विलेज पोर्टल में अपलोड की जाएगी। यह क्रम जल्द शुरू किया जाएगा। संबंधित जिलों के डीएम के माध्यम से प्रत्येक गांव में नोडल अधिकारी नामित करने को कहा गया है। प्रत्येक गांव के लिए बनने वाली योजनाओं को भी पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। - अनुराधा पाल, अपर सचिव एवं राज्य वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की नोडल अधिकारी

    10 बिंदुओं पर बनेगी कार्ययोजना

    इन गांवों को आल वेदर रोड, फोर-जी टेलीकाम व टेलीविजन कनेक्टिविटी व ग्रिड से विद्युतीकरण से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा आजीविका विकास, आवास, कृषि-उद्यान, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन समेत 10 बिंदुओं पर कार्ययोजना बनेगी।

    इन गांवों की बदलेगी तस्वीर

    • पिथौरागढ़:- बगारीहाट, द्वालीसेरा, द्योरा, तितरी, चमतोली, बलतारी, गेथीगारा, हल्दू, जमतारी, कनारी, क्वितार, त्रामिया, तरीगांव, राजुदा, फिलम, कालिका, रमतोली, धारचूला देहात, जुम्मा, स्यांकुरी, जयकोट, पंगला, बुधि, खेत।
    • चंपावत:- पसम, मांडुआ, तारकुली, अम्नी, सैलागाड, तामली, पोलप, देवीपुर, सैलानी गोट, नैघुंट, चूका।
    • ऊधम सिंह नगर :- बनमाहोलिया, नारायण नगर (डाम गारा), कुमराहा, सिसिया-बन्धा, नगला तराई।