Uttarkashi: गंगोत्री धाम के पास फंसे थे गुजरात के 12 यात्री, सुरक्षित पहुंचे ऋषिकेश; बताया खौफ से भरे 52 घंटों का सच
गंगोत्री धाम के समीप आपदा के कारण फंसे गुजरात के 12 यात्रियों का समूह गुरुवार शाम को ऋषिकेश पहुंचा। मोबाइल नेटवर्क ठप होने से परिजन चिंतित थे। यात्रियों ने बताया कि 48 घंटे से अधिक समय से संपर्क नहीं होने के कारण परिवार वाले परेशान थे। प्रशासन ने यात्रियों के लिए ऋषिकेश में अलग-अलग सेक्टर बनाए हैं जहाँ उनके रहने और भोजन की व्यवस्था की गई है।

गौरव ममगाईं जागरण ऋषिकेश। धराली आपदा के कारण गंगोत्री धाम के समीप फंसे गुजरात के 12 यात्रियों का समूह गुरुवार शाम को ऋषिकेश स्थित चारधाम यात्रा ट्रांजिट कैंप पहुंचा तो आपदा के बाद पहली बार घर में फोन से सकुशल होने की सूचना दी।
सदस्यों के सकुशल होने की सूचना पाकर घरवालों की जान पर जान आई। ऋषिकेश पहुंचे लबारा लाकाबाई ने बताया कि उन पर आपदा का कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन पिछले घरवालों की चिंता में पिछले 52 घंटे उनके लिए किसी आपदा से कम नहीं रहे।
गुरुवार शाम को पांच बजे ऋषिकेश स्थित चारधाम यात्रा ट्रांजिट कैंप में गुजरात के 12 यात्रियों का जत्था सकुशल पहुंचा। दैनिक जागरण संवाददाता से बातचीत में चिचोदरा, बनास कांठा निवासी लबारा लकराबाई ने बताया कि आपदा के कारण गंगोत्री के समीप मोबाइल टावर व संचार व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी।
कहा कि आपदा के बाद वे सभी अपने घरों में सकुशल होने की सूचना देने का प्रयास करते रहे, लेकिन मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह ठप था। कहा कि उन्हें अपने घरवालों की चिंता सताती रही। कहा कि मंगलवार दोपहर को आपदा घटित हुई, उसके बाद गुरुवार को शाम पांच बजे ऋषिकेश ट्रांजिट कैंप में उतरने के बाद उन्होंने अपने घरों में पहली बार फोन किया और सकुशल होने की सूचना दी।
कहा कि यह सूचना मिलकर उनके स्वजनों को बड़ी राहत मिली। बताया कि उनके जत्थे में शामिल 12 यात्रियों ने चार अगस्त को सुबह गंगोत्री धाम में दर्शन किए और आपदा के समय वे कुछ दूरी पर होटल में ठहरे थे। आपदा के बाद प्रशासन ने उन्हें होटल में रहने व खाने की निश्शुल्क सुविधा दी।
घरवालों ने नहीं खाया खाना
कहा कि उन्होंने आपदा घटित होने के बाद ऋषिकेश पहुंचने पर जब घर में पहला फोन किया तो घरवाले उन पर गुस्सा हो रहे थे कि उन्होंने 48 घंटे से ज्यादा समय से एक फोन भी क्यों नहीं किया। कहा कि स्वजनों ने कहा कि उनके बच्चों ने पिता की चिंता में दो दिन से सही से खाना नहीं खाया है। वे पिता के फोन का इंतजार कर रहे थे।
जत्थे में शामिल यात्री
भीमा बाई (61), खारी लाजबाई (41), खारी दाना बाई (62), शिवा बाई (56), पेठा बाई (65), चौधरी जगमाल बाई (50), पचान बाई (51), खेम गिरि (61), रामाबाई (56) व दाना बाई (73) निवासी ठाकुर दास, सिसौदरा (बनासकांठा) हैं।
अलग-अलग सेक्टर बनाए
धराली आपदा के प्रभावितों के लिए ऋषिकेश में प्रशासन ने अलग-अलग सेक्टर बनाए हैं। उपजिलाधिकारी ऋषिकेश योगेश मेहरा ने बताया कि चारधाम यात्रा ट्रांजिट कैंप में लोनिवि के अधिशासी अभियंता बीएन द्विवेदी को जिम्मेदारी दी गई है। जबकि आपदा प्रभावितों के लिए आवास एवं भोजन व्यवस्था के लिए जयराम आश्रम सेक्टर में परियोजना प्रबंधक पेयजल निगम एसके वर्मा व कबीर चौरा आश्रम में ईई सिंचाई विभाग दीक्षांत गुप्ता को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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