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    Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड में बड़ा खतरा ग्लेशियर झीलें, 1266 में से 13 बरपा सकती हैं कहर

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 12:04 PM (IST)

    उत्तराखंड में उच्च हिमालयी क्षेत्र में 1266 ग्लेशियर झीलें हैं जिनमें से एनडीएमए ने 13 को खतरनाक माना है। मुख्यमंत्री ने झीलों की निगरानी के लिए तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हैं। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को डीपीआर तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है। यह कदम 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद उठाया गया है जिसके बाद ग्लेशियर झीलों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

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    उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में हैं 1266 ग्लेशियर झील। फाइल फोटो

    केदार दत्त, जागरण देहरादून। उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा किस वजह से आई, इसे लेकर तो जांच पड़ताल के बाद ही तस्वीर साफ होगी, लेकिन इस घटना के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर झीलों के बढ़ते खतरे का विषय फिर से चर्चा के केंद्र में है।

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    राज्य में लगभग 1266 ग्लेशियर झीले हैं। यद्यपि, ऐसी झीलों की बड़ी तादाद हैं, जो विभिन्न कारणों से टूटती बनती रहती हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र की यह झीलें कभी भी बड़े खतरे का सबब बन सकती हैं। एनडीएमए (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी) ने उत्तराखंड में ऐसी 13 ग्लेश्यिर झीलें चिह्नित की हैं, जो खतरनाक हैं। इनमें भी पांच को उच्च जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया है।

    यद्यपि, इनमें से चमोली जिले में वसुधारा ताल का अध्ययन किया जा चुका है और अब पिथौरागढ़ की झीलों का अध्ययन कराने की तैयारी है। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी ग्लेशियर झीलों की निगरानी के लिए तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हैं। इस कड़ी में शासन अब वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को ग्लेशियर झीलों की डीपीआर तैयार करने का जिम्मा सौंपने जा रहा है।

    केदारनाथ जलप्रलय के बाद आया चर्चा में

    दरअसल, ग्लेशियर झीलों का विषय जून 2013 में आए केदारनाथ जलप्रलय के बाद चर्चा के केंद्र में आया। केदारनाथ के ठीक ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर की झील फटने से यह तबाई आई थी। इसके बाद उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित ग्लेशियर झीलों पर नजर रखने के साथ ही इनसे बचाव के दृष्टिगत अध्ययन कराने की दिशा में कदम बढ़ाए गए। इस लिहाज से उत्तराखंड की तस्वीर देखें तो यह बेहद संवेदनशील है।

    वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने उत्तराखंड में 1266 ग्लेशियर झीलें चिह्नित की हैं।  इस बीच एनडीएमए ने भी विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से ग्लेशियर झीलों की संवेदनशीलता को लेकर अध्ययन कराया। इसमें उत्तराखंड की 13 झीलें खतरनाक श्रेणी में चिह्नित की गई हैं। इनमें चमोली जिले में वसुधारा और पिथौरागढ़ जिले में माबान, प्युंग्रू व दो अनाम झीलें उच्च जोखिम वाली श्रेणी में रखी गई हैं। यानी ये कभी भी खतरनाक साबित हो सकती हैं।

    इनकी संवेदनशीलता को देखते हुए उच्च जोखिम वाली इन झीलों का अध्ययन कराया जा रहा है। प्रथम चरण में चमोली की वसुधारा झील का अध्ययन कराया जा चुका है और पिथौरागढ़ जिले की झीलों का सर्वे कराने की तैयारी है।

    अपर सचिव एवं राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद स्वरूप के अनुसार सभी संवेदनशील झीलों का अध्ययन कराया जाएगा। इनमें उपचारात्मक कार्यों के दृष्टिगत डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान को दी जा रही है। ग्लेशियर झीलों की निगरानी के लिए भी विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से तंत्र विकसित करने को मंथन जारी है।