उत्तरकाशी आपदा की आपबीती: पहाड़ी से आ रही थीं चट्टानें और मलबा, घुटने-कोहनी के बल रेंगकर खुद को बचाया
Uttarkashi Cloudburst जोशीमठ के मोहित दिल्ली के दोस्तों संग गंगोत्री से लौटते वक़्त धराली में भूस्खलन में बाल-बाल बचे। चट्टानें गिरने पर ड्राइवर ने गाड़ी रोकी और वे कूदकर भागे। आईटीबीपी व सेना ने मदद की। मुखबा के रास्ते आर्मी कैंप पहुंचे। मोहित को हेलीकॉप्टर से जौलीग्रांट लाया गया। उन्होंने बताया कि भगवान की कृपा से वे बच गए।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। मंगलवार को दिन के करीब सवा एक बजे का समय होगा, मैं और मेरे दो दोस्त गंगोत्री दर्शन के बाद धराली बाजार पहुंचने वाले थे। ऊपर से चट्टान खिसकने की तेज आवाजें आ रही थी। लोग चिल्ला कर रुकने को कह रहे थे। गाड़ी में दोस्तों के साथ ड्राइवर था। अचानक ड्राइवर ने गाड़ी रोकी और बैक करने लगा।
मलबा हमारे बिल्कुल करीब तक पहुंच चुका था। हम गाड़ी से लगभग कूदकर उतरे और भागने लगे। घुटने और कोहनी के बल पर गिरते पड़ते मलबे से खुद को दूर किया। तभी आईटीबीपी और सेना के जवान पहुंच गए। मुखबा के रास्ते पैदल हम आर्मी कैंप में पहुंचे। करीब दस किलोमीटर चले होंगे। यकीन नहीं हो रहा था कि हम बच गए।
दिल्ली के दो दोस्तों के साथ गंगोत्री गए थे जोशीमठ निवासी मोहित
चारों तरफ बस मलबा ही मलबा नजर आ रहा था। ग्राम गोरंग, जोशीमठ चमोली निवासी 27 वर्षीय मोहित सकलानी अपने दिल्ली निवासी दो दोस्तों अभिषेक और सुरेंद्र के साथ गंगोत्री मंदिर के दर्शन के लिए गए थे। गुरुवार को मोहित को उत्तरकाशी से हेलिकाप्टर से जौलीग्रांट एयरपोर्ट लाया गया। वहां से उसे यात्रा ट्रांजिट कैंप में लाया गया। कोहनी में दर्द के चलते उनका उपचार किया गया।
मंगलवार दोपहर आए जलजले में किसी तरह बचे मोहित घटना के बारे में बताते हैं तो एक बार वह सहम जाते हैं। फिर खुद को संभालते हुए बताते हैं कि कोहनी, घुटने जिसके बल पर बचने के लिए निकल सकते थे वह किया। उन पर भगवान की कृपा रही कि वह और उनके साथी मलबे की चपेट में आने से बच गए।
बताया कि दिल्ली निवासी युवक कुछ समय पहले जोशीमठ आए थे, वहां उनसे दोस्ती हुई थी। इसके बाद उन्होंने गंगोत्री घूमने का प्लान बनाया। स्थानीय गाड़ी में उनके साथ दोस्त थे। दोस्त जौलीग्रांट एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए निकल गए। बताया कि उस दिन उनका हर्षिल में रुकने का प्लान था। लेकिन इस तरह रुकना पड़ेगा इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था।
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