कुमाऊंनी संस्कृति के रंग में सराबोर रहा उत्तरायणी मेला
उत्तरायणी महोत्सव कुमाऊंनी संस्कृति के रंग में सराबोर नजर आया। पारंपरिक लोकगीतों में खास वेशभूषा में महिलाओं ने कुमाऊंनी नृत्य की प्रस्तुतियां दीं।
देहरादून, जेएनएन। शिवालिक कूर्मांचल सांस्कृतिक एवं कल्याण परिषद की ओर से आयोजित उत्तरायणी महोत्सव कुमाऊंनी संस्कृति के रंग में सराबोर नजर आया। पारंपरिक लोकगीतों में खास वेशभूषा में महिलाओं ने कुमाऊंनी नृत्य की प्रस्तुतियां दीं। सांस्कृतिक नृत्य एवं लोकगीतों के जरिये लोगों को कुमाऊंनी संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिला।
रविवार को ऋषि विहार के मैदान (सीमाद्वार) में आयोजित उत्तरायणी मेले की शुरुआत स्कूली छात्राओं गणेश वंदना से की। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत प्रेमनगर शाखा ने झोड़ा सामूहिक लोकगीत से की और पहाड़ी सौंदर्य से रूबरू कराया। ऋषि विहार शाखा की महिलाओं ने कुमाऊंनी लोकगीत पर सामूहिक नृत्य किया। सीमाद्वार (इंदिरा नगर) शाखा की महिलाओं ने गणेश वंदना, झोड़ा समेत कई अन्य प्रस्तुतियां दीं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि जोगेंद्र पुंडीर, विजय बौड़ाई, शाखा अध्यक्ष भोपाल सिंह भोज, वरिष्ठ उपाध्यक्ष मृदुल भास्कर जोशी, उपाध्यक्ष नंदन सिंह बिष्ट, रेवती बिष्ट समेत कई अन्य उपस्थित रहे।
सांस्कृतिक झांकी भी रही खास
इससे पूर्व सीमाद्वार से ऋषि विहार तक सांस्कृतिक झांकी निकाली गईं। इसमें महिलाएं व बच्चियां पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुईं। इस दौरान महिलाओं ने कुमाऊंनी लोकगीत एवं सामूहिक नृत्य पेश किया।
पहाड़ी उत्पादों को भी बढ़ावा
मेले में पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्टॉल भी लगाए गए थे। इसमें मंडुआ, झंगोरा, भट्ट, गहत समेत अन्य पहाड़ी उत्पाद शामिल थे। पहाड़ी उत्पादों के आचार, मुरब्बा, चटनी, बिस्कुट, नमकीन को भी लोगों ने खासा पसंद किया।
यह भी पढ़ें: सोनू निगम ने परिजनों संग तीर्थनगरी का भ्रमण कर की गंगा आरती
यह भी पढ़ें: फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को पूरा सहयोग देगा उत्तराखंड