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उत्तराखंड लोकसभा चुनावः मैदान में थोड़ा दौड़ कर हांफ गया हाथी

राज्य की पांचों सीटों के नतीजों से साफ हो गया कि उत्तराखंड में लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को प्रदेश की जनता ने सिरे से नकार दिया है।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 11:25 AM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 11:25 AM (IST)
उत्तराखंड लोकसभा चुनावः मैदान में थोड़ा दौड़ कर हांफ गया हाथी

देहरादून, राज्य ब्यूरो। राज्य की पांचों सीटों के नतीजों से साफ हो गया कि उत्तराखंड में लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को प्रदेश की जनता ने सिरे से नकार दिया है। मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही सिमट गया, जबकि दो सीटों पर बसपा तीसरे नंबर पर रही। 

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उत्तराखंड में बसपा ने लोकसभा की चार सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि, हरिद्वार में बसपा प्रत्याशी डॉ. अंतरिक्ष सैनी ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्हें लगभग पौने दो लाख वोट मिले। वहीं, समाजवादी पार्टी ने गठबंधन में एक सीट मिलने के बावजूद चुनाव ही नहीं लड़ा। 

राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड में मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच ही रहा है, लेकिन बसपा खुद को प्रदेश की तीसरी बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित करने में सफल रही। यह बात अलग है कि शुरुआती विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली बसपा का प्रदर्शन अब लगातार गिर रहा था। 

राज्य गठन के बाद से बसपा के प्रदर्शन पर नजर दौड़ाएं तो यह दल राज्य बनने के बाद तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरी। वर्ष 2017 से पहले हुए तीन विधानसभा चुनावों में बसपा ने लगातार बेहतर प्रदर्शन किया। पहले विधानसभा चुनाव यानी वर्ष 2002 में बसपा ने 10.93 मत प्रतिशत लेकर सात सीटों पर कब्जा जमाया था। 

दूसरे विधानसभा यानी वर्ष 2007 के चुनाव में बसपा ने 11.76 फीसद मत प्रतिशत के साथ आठ सीटें कब्जाई। वर्ष 2012 में बसपा का मत प्रतिशत तो बढ़ कर 12.19 प्रतिशत तक पहुंचा लेकिन सीटों की संख्या घट कर तीन तक पहुंच गई। वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में बसपा को केवल 6.98 प्रतिशत मत मिले और उसकी झोली खाली रही। अहम यह कि बसपा ने 2017 से पहले जो भी सीटें जीतीं वे मैदानी जिलों तक सिमटी रहीं।

वहीं, अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौरान इस क्षेत्र में सपा की अच्छी खासी पैठ रही, तब तक बसपा यहां अस्तित्व में ही नहीं थी। वर्ष 1996 के विधानसभा चुनावों में सपा ने इस क्षेत्र की तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। 

राज्य गठन के बाद जब उत्तराखंड में अंतरिम विधानसभा का गठन किया गया इसमें सपा के तीन सदस्य शामिल थे। इसके बाद सपा उत्तराखंड में हाशिये पर ही जाती रही। हालांकि वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट सपा के खाते में आई, यह सपा की उत्तराखंड राज्य में एकमात्र चुनावी उपलब्धि है।

मौजूदा लोकसभा चुनाव में सपा व बसपा ने उत्तराखंड में भी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा। सपा तो शुरुआती दौर में बाहर हो चुकी थी, लेकिन चार सीटों पर चुनाव लड़ रही बसपा से समर्थकों को खासी उम्मीदें थी। नतीजों ने साफ कर दिया है कि जनता ने फिलहाल यहां इस गठबंधन को पूरी तरह नकार दिया है।

हरिद्वार सीट पर बसपा बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही थी और ऐसा हुआ भी। पार्टी उम्मीदवार डॉ. अंतरिक्ष सैनी भले ही मुख्य मुकाबले में नहीं रहे, लेकिन उन्हें खासी संख्या में वोट मिले। हालांकि, अन्य सीटों पर केवल नैनीताल में बसपा तीसरे नंबर पर रही। अन्य सीटों पर बसपा का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा।

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