Move to Jagran APP

Election-2019: मोदी मैजिक में उत्तराखंड भाजपा की फिर बल्ले बल्ले

लोकसभा की पांच सीटों वाले हिमालयी राज्य उत्तराखंड ने लगातार दूसरी बार भाजपा पर भरोसा जताया है तो इसके पीछे मोदी फैक्टर ही मुख्य रूप से कारगर रहा।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 10:26 AM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 10:26 AM (IST)
Election-2019: मोदी मैजिक में उत्तराखंड भाजपा की फिर बल्ले बल्ले
Election-2019: मोदी मैजिक में उत्तराखंड भाजपा की फिर बल्ले बल्ले

देहरादून, विकास गुसाईं। लोकसभा की पांच सीटों वाले हिमालयी राज्य उत्तराखंड ने लगातार दूसरी बार भाजपा पर भरोसा जताया है तो इसके पीछे मोदी फैक्टर ही मुख्य रूप से कारगर रहा। इसके बूते ही पार्टी दोबारा से जनता का विश्वास जीतने में सफल रही। 

loksabha election banner

पिछले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी लहर पर सवार हो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था। हालांकि, पिछला प्रदर्शन दोहराने के मद्देनजर भाजपा ने चुनाव की घोषणा से करीब दो माह पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। असल फायदा चुनावी जंग के मोदी बनाम अन्य बीच सिमटने से हुआ। देश के अन्य हिस्सों की भांति यहां भी जनता ने मोदी के नाम पर मतदान किया।

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की पांचों लोकसभा सीटें बड़े अंतर से जीतकर अपनी झोली में डाली थीं। तब भी वह मोदी लहर पर सवार थी और इसके बाद हुए राज्य विधानसभा चुनाव समेत अन्य चुनावों में भी मोदी फैक्टर ने कार्य किया। 

जरा याद कीजिए, 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वर्ष 2016 के आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चारधाम के लिए महत्वपूर्ण ऑल वेदर रोड योजना की शुरुआत की। इसके साथ ही आपदा में तबाह केदारपुरी का पुनर्निर्माण, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, भारतमाला परियोजना में सड़कों का निर्माण, आयुष्मान भारत जैसी तमाम योजनाओं ने मोदी के प्रति राज्यवासियों का भरोसे को अधिक मजबूत किया।

इसी का परिणाम रहा कि 2017 के विस चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। इसके बाद हुए नगर निकाय और सहकारिता चुनावों में भी पार्टी को अच्छी सफलता मिली। ऐसे में उसके सामने लोकसभा चुनाव में भी इसी प्रकार का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती थी। 

लोस चुनाव की चुनौती से निबटने के मद्देनजर भाजपा ने राष्ट्रीय नेतृत्व से मिले कार्यक्रमों के आधार पर चुनाव की घोषणा से करीब दो माह पहले से तैयारियां शुरू कर दी थीं। इसके तहत प्रदेश के प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में केंद्र सरकार की उपलब्धियों से तो जनता को अवगत कराया ही गया, केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों के घर पर दीप भी रोशन किए गए। 

इसके जरिये पार्टी ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि राज्यवासी भाजपा के परिवार के सदस्यों की तरह हैं। यही कारण भी रहा कि चुनावी जंग शुरू होने पर विपक्ष पार्टी के इस तीर की काट नहीं ढूंढ पाया।

हालांकि, लोस चुनाव प्रथम चरण में हुआ और चुनाव प्रचार के लिए भी काफी कम वक्त मिला, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ा चुनावी जंग मोदी बनाम अन्य के बीच सिमटकर रह गई। इसका फायदा सीधे तौर पर भाजपा को मिला।

जानकारों के मुताबिक विपक्ष यदि राष्ट्रीय व स्थानीय स्तर के मुद्दों के साथ ही भाजपा सांसदों की परफार्मेंस को हथियार बनाता तो चुनाव में वह टक्कर दे सकता था। इसकी अनदेखी कर विपक्ष का अधिकांश वक्त मोदी पर निशाना साधने में ही बीता। यही नहीं, भाजपा का चुनाव मैनेजमेंट भी विपक्षियों पर भारी पड़ा। पार्टी ने बूथ स्तर तक न सिर्फ संगठन को मजबूत किया था, बल्कि हर बूथ की वोटर लिस्ट के प्रत्येक पन्ने की जिम्मेदारी एक-एक कार्यकर्ता को सौंपी हुई थी।

यह भी पढ़ें: ऐतिहासिक प्रदर्शन: उत्तराखंड में पहली बार, भाजपा 60 फीसद पार

यह भी पढ़ें: Lok Sabh Election 2019: राष्ट्रवाद पर मुहर, उत्तराखंड बना मोदी का मुरीद

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.