उत्तराखंड में बनेंगे पांच नए योग केंद्र, सभी आयुष हेल्थ व वेलनसेंस केंद्रों में योग सेवाएं
उत्तराखंड सरकार ने योग को बढ़ावा देने के लिए नई योग नीति को मंजूरी दी है। इसके तहत 2030 तक पांच नए योग केंद्र खोले जाएंगे और आयुष केंद्रों में योग सेव ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड में योग को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट ने नई योग नीति को मंजूरी दे दी है। योग नीति लाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। नीति के अनुसार सरकार वर्ष 2030 तक पांच नए योग केंद्र स्थापित करेगी।
ये केंद्र जागेश्वर, मुक्तेश्वर, टिहरी झील, चंपावत के कोली ढेक झील क्षेत्र व पिथौरागढ़ की व्यास घाटी में स्थापित होंगे। साथ ही वर्ष 2026 तक राज्य के सभी आयुष हेल्थ और वेलनेस केंद्रों में योग सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। नई योग नीति से राज्य में 13000 से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है।
बुधवार को कैबिनेट में योग नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। नीति में कहा गया है कि पर्वतीय क्षेत्रों में नए स्थापित होने वाले केंद्रों को परियोजना लागत का 50 प्रतिशत, अधिकतम 20 लाख रुपये और मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख का अनुदान दिया जाएगा। एक वर्ष में कुल पांच करोड़ रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा।
नए योग हब के रूप में विकसित किए जाने वाले क्षेत्रों में योग केंद्र खोलने को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। बुधवार को कैबिनेट में पारित योग नीति में योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शोध को प्रोत्साहित करने के लिए 10 लाख प्रति परियोजना का अनुदान दिया जाएगा। यह सुविधा विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, स्वास्थ्य संगठनों, आयुष संस्थाओं और एनजीओ के लिए होगी। इसके अंतर्गत प्रति वर्ष एक करोड़ रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा।
योग अनुदेशक के लिए संस्थाओं को दी जाएगी प्रतिपूर्ति
सरकार ने नीति में मौजूदा संस्थानों में भी योग को बढ़ावा देने की व्यवस्था की है। इसके अंतर्गत राज्य में पहले से चल रहे होम स्टे, रिसार्ट, होटल, स्कूल व कालेज में योग केंद्र स्थापित करने की स्थिति में यहां तैनात होनेे वाले अनुदेशकों को प्रति सत्र 250 रुपये तक की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की है। हर केंद्र में एक अनुदेश के लिए प्रति माह 20 सत्रों की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
योग शिक्षक प्रमाणन पर रहेगा जोर
नीति में एकल प्रमाणन व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए योग सर्टिफिकेशन बोर्ड के प्रमाणनों को प्राथमिकता देने का प्रविधान किया गया है। इसके अंतर्गत बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में सफल होने वाले योग अनुदेशकों को परीक्षक शुल्क की प्रतिपूर्ति दी जाएगी। हर साल 500 ऐसे अनुदेशकों को इसका लाभ मिलेगा, जो योग प्रोटोकाल इंस्ट्रक्टर से लेकर योग थेरेपिस्ट के विभिन्न स्तरों के प्रमाणन पाठ्यक्रमों में उत्तीर्ण होंगे।
योग संस्थानों का होगा शत-प्रतिशत पंजीकरण
नीति में योग संस्थानों का शत-प्रतिशत पंजीकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें एक विशेष आनलाइन योग प्लेटफार्म स्थापित करने और योग को बढ़ावा देने के लिए प्रचार अभियान व अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलनों का आयोजन करने की व्यवस्था की गई है। साथ ही मार्च 2028 तक 15 से 20 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ भागीदारी विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।
योग निदेशालय की स्थापना
नीति के अंतर्गत सरकार योग और प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय की स्थापना करेगी। यह निदेशालय इस नीति के संचालन, नियमन, अनुदान वितरण और विभिन्न गतिविधियों की निगरानी करेगा। निदेशालय में एक निदेशक, संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक, योग विशेषज्ञ, रजिस्ट्रार व अन्य स्टाफ शामिल होंगे।
नीति के क्रियान्वयन में खर्च होंगे 35 करोड़
नीति के क्रियान्वयन में सरकार अगले पांच वर्ष में 35 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसमें योग केंद्र के अनुदान में 35 करोड़, अनुसंधान में एक करोड़, शिक्षक प्रमाणन में 1.81 करोड़ और मौजूदा संस्थानों में योग केंद्र की स्थापना को 7.5 करोड़ का व्यय होगा।

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