Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में बारिश का दौर थमा, समय से पहले हुई मानसून की विदाई; चिंता में मौसम विज्ञानी

    Uttarakhand Weather Update उत्तराखंड में फिलहाल भारी वर्षा का क्रम थमा हुआ है। इससे प्रदेशवासी राहत महसूस कर रहे हैं। लेकिन अचानक मानसून के कमजोर पड़ने से मौसम विज्ञानी चिंता में हैं। वजह यह कि अगस्त के अंतिम सप्ताह में नहीं के बराबर वर्षा हुई। मौसम विभाग के अनुसार सितंबर माह में भी मानसून का यही रुख रह सकता है।

    By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Wed, 30 Aug 2023 08:18 AM (IST)
    Hero Image
    उत्तराखंड में समय से पहले मानसून के विदा होने का अनुमान

    जागरण ऑनलाइन डेस्क, देहरादून: Uttarakhand Weather Update: उत्तराखंड में फिलहाल भारी वर्षा का क्रम थमा हुआ है। इससे प्रदेशवासी राहत महसूस कर रहे हैं। लेकिन, अचानक मानसून के कमजोर पड़ने से मौसम विज्ञानी चिंता में हैं। वजह यह कि अगस्त के अंतिम सप्ताह में नहीं के बराबर वर्षा हुई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मौसम विभाग के अनुसार, सितंबर में भी मानसून का यही रुख रह सकता है। ऐसे में मानसून के समय से पहले विदा होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। साथ ही मानसून की ओवरआल वर्षा भी सामान्य से कम रह सकती है। हालांकि, अब तक यह सामान्य रही है। वर्ष 2002 के बाद यह पहला मौका है, जब मानसून अगस्त में ही कमजोर पड़ गया।

    23 जून को मानसून ने दी थी दस्तक

    इस बार उत्तराखंड में मानसून ने 23 जून को दस्तक दी और जुलाई की शुरुआत से ही भारी वर्षा शुरू हो गई। यह क्रम अगस्त में भी शुरुआती तीन सप्ताह तक जारी रहा। अब तक की बात करें तो मानसून सीजन में सामान्य से नौ प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। लेकिन, अगस्त में सामान्य से चार प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई। ऐसा अगस्त के अंतिम सप्ताह में मानसून के कमजोर पड़ने से हुआ। पिछले पांच दिन में प्रदेश में सामान्य से 70 प्रतिशत कम वर्षा हुई है।

    पिछले साल भी अगस्त के दूसरे पखवाड़ें में थमने लगी थी वर्षा

    मौसम विज्ञानी इसे अलनीनो का प्रभाव बता रहे हैं। ठीक यही स्थिति वर्ष 2002 में भी बनी थी। तब अगस्त के दूसरे पखवाड़े की शुरुआत के साथ ही वर्षा का क्रम थमने लगा था। उस वर्ष मानसून सीजन में सामान्य से 28 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी और मानसून सितंबर मध्य में ही विदा हो गया। जबकि, आमतौर पर उत्तराखंड में मानसून सीजन एक जून से 30 सितंबर तक माना जाता है। सितंबर अंत में मानसून की विदाई होती है। बीते वर्ष तो मानसून आठ अक्टूबर को विदा हुआ था।

    इस वर्ष अभी मानसून की विदाई को लेकर कोई सटीक अनुमान नहीं है, लेकिन इसके सितंबर के तीसरे सप्ताह तक विदा होने की संभावना जताई जा रही है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, सितंबर में भी वर्षा सामान्य से कम रहने के आसार हैं।

    उत्तराखंड में आपदा से हुई क्षति पहुंची 1300 करोड़ के पार

    मानसून में इस बार उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है। जनहानि के साथ ही सड़कों, कृषि भूमि समेत सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंची है। सरकार की ओर से विभागवार कराए जा रहे क्षति के आकलन में यह आंकड़ा 1300 करोड़ के पार जा पहुंचा है। अभी आकलन चल रहा है और इसमें और वृद्धि हो सकती है। विभागवार हुई क्षति के ब्योरे के साथ ही सरकार के आगामी कदमों पर केंद्रित एक रिपोर्ट।

    टिहरी में मानसून में वर्षा ने जमकर बरसाया कहर

    वहीं टिहरी में इस बार मानसून में वर्षा ने जमकर कहर बरपाया। भारी वर्षा के कारण जिले में भूस्खलन होने से दस व्यक्तियों की मौत हुई जबकि तीन घायल हुये। भूस्खलन के दौरान 11 मकान पूरी तरह ध्वस्त हाे गये जबकि 75 भवन आशिंक रूप से क्षतिग्रस्त हुये। टिहरी जिले में वर्षा के कारण लगभग दस गांवों में भूस्खलन की घटनायें हुई।

    गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों के दरकने का सिलसिला जारी

    वहीं इस बार वर्षाकाल के दौरान गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सक्रिय हुए भूस्खलन क्षेत्रों के दरकने का सिलसिला अभी थमा नहीं है। साथ ही चिन्यालीसौड़ से लेकर गंगोत्री तक 140 किमी हिस्से में सड़क भी जर्जर हो चुकी है। राजमार्ग पर आधा दर्जन से अधिक क्षेत्र ऐसे हैं, जहां भूधंसाव की समस्या बनी है। कई स्थानों पर तो भूस्खलन और भूधंसाव के कारण सड़क का आधा हिस्सा ध्वस्त हो चुका है।

    इन हालात में सितंबर और अक्टूबर में गंगोत्री धाम की यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों को इस राजमार्ग पर चुनौतियों से जूझना पड़ेगा। इस बार धाम के कपाट 22 जून को खोले गए थे। अब तक छह लाख 76 हजार 610 श्रद्धालु गंगोत्री दर्शन कर चुके हैं।