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    विधानसभा का भर्ती प्रकरण: बर्खास्त कर्मियों की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, विस अध्यक्ष ने जताया आभार

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sat, 20 May 2023 10:20 AM (IST)

    विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किए गए तदर्थ कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई है। सर्वाेच्च अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मात्र डेढ़ मिनट की सुनवाई में एसएलपी को निरस्त कर दिया।

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    विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किए गए तदर्थ कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई है।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून: विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किए गए तदर्थ कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई है। उनकी विशेष अनुग्रह याचिका (एसएलपी) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

    विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कहा कि सर्वाेच्च अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मात्र डेढ़ मिनट की सुनवाई में एसएलपी को निरस्त कर दिया। उन्होंने अदालत के निर्णय का स्वागत करते हुए आभार जताया है।विधानसभा सचिवालय में हुई तदर्थ भर्तियों में गड़बड़ी का मामला तूल पकड़ने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सेवानिवृत्त आइएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की थी।

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    कमेटी की रिपोर्ट के बाद विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2016 से 2021 तक तदर्थ आधार पर नियुक्त 228 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। विधानसभा अध्यक्ष के इस निर्णय को बर्खास्त कर्मचारियों ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिल पाई।

    बाद में वर्ष 2021 में नियुक्त जिन तदर्थ कर्मियों को हटाया गया था, उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई। एसएलपी पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। इसमें विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अमित तिवारी व अर्जुन गर्ग ने पैरवी की।

    आयोग के माध्यम से होंगी भर्तियां

    विधानसभा सचिवालय में भविष्य में होने वाली नियुक्तियों में पारदर्शिता हो, इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष ने सेवा नियमावली में संशोधन के लिए पहल की है।

    इसके तहत ये प्रस्ताव किया गया कि विधानसभा में सीधी भर्ती के सभी खाली पदों को उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से भरा जाए। शासन ने सेवा नियमावली पर सहमति जताते हुए कुछ संशोधन के साथ यह प्रस्ताव विधानसभा को भेज दिया।

    संशोधित नियमावली में विधायी को फिर से विधानसभा का प्रशासकीय विभाग बनाने का प्रस्ताव भी किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि अब यह प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा। कैबिनेट इस संबंध में निर्णय लेगी।