Uttarakhand Vidhan Sabha: सदन में मर्यादा तार-तार, कांग्रेस विधायकों ने माइक-बलेट तोड़ा; पीठ की ओर उछाले पर्चे
गैरसैंण विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन कांग्रेस विधायकों ने नैनीताल पंचायत चुनाव में कानून व्यवस्था के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। उन्होंने सचिव की मेज पलटी और माइक तोड़े। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हुई और आठ बार स्थगित करनी पड़ी। फिर भी सरकार ने अनुपूरक बजट और कई विधेयक पेश किए। कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी कांग्रेस विधायक धरने पर बैठे रहे।

राज्य ब्यूरो, जागरण, गैरसैंण। सुबह से धूप व बादलों के बीच आंखमिचौनी और दोपहर से घने कोहरे के आगोश में सिमटी ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में मंगलवार को मानसून सत्र के पहले दिन सियासी पारा चरम पर रहा। इस दौरान सदन ने मर्यादा तार-तार होती देखी। विपक्ष कांग्रेस ने नैनीताल के पंचायत चुनाव में कानून व्यवस्था के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा काटा।
कांग्रेस विधायकों ने पीठ के सम्मुख पहुंचकर नारेबाजी की और विधानसभा सचिव की मेज पर लगा माइक व टेबलेट तोड़ा एवं उनकी मेज भी पलट दी। पीठ की ओर पर्चे भी उछाले। यह क्रम लगातार बना रहा। नतीजतन, प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया, जबकि शून्यकाल भी ठीक से नहीं चल पाया। स्थिति यह रही कि विधानसभा अध्यक्ष के बार-बार आग्रह के बावजूद जब कांग्रेस विधायक नहीं माने तो सदन की कार्यवाही आठ बार स्थगित करनी पड़ी।
ऐसे में हंगामे के बीच मात्र एक घंटा पैंतालीस मिनट ही सदन की कार्यवाही चल पाई। यद्यपि, इसी दौरान सरकार की ओर से 5315.39 करोड़ का अनुपूरक बजट और नौ विधेयक पेश किए गए। सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित होने के बाद भी कांग्रेस विधायक सदन के भीतर ही धरना देकर बैठे रहे। देर शाम विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कांग्रेस विधायकों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया। वार्ता के दौरान कांग्रेस विधायक नैनीताल के एसएसपी के निलंबन और डीएम के तबादले की मांग पर अड़े रहे। परिणामस्वरूप वार्ता बेनतीजा रही। कांग्रेस विधायक सदन के भीतर ही जमे थे।
विधानसभा के मानसूत्र सत्र की कार्यवाही शुरु हाेते ही कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर नियम-310 की सूचना दी और सदन की कार्यवाही रोककर इस पर चर्चा की मांग की। साथ ही कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। नैनीताल के पंचायत चुनाव में सरकार के संरक्षण में कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई गईं। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि भाजपा ने नैनीताल में सरकारी तंत्र, धनबल, बाहुबल का हर हथकंडा अपनाकर देवभूमि को कलंकित करने का काम किया है। इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि नैनीताल का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में इस पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती।
इसी बीच सदन में माैजूद कांग्रेस विधायक अध्यक्ष के आसन के सम्मुख पहुंचकर सरकार के विरुद्ध नारेबाजी करने लगे। तभी उन्होंने विधानसभा सचिव की टेबल पर लगा माइक व टेबलेट तोड़ डाला और फिर मेज पलट दी। कांग्रेस विधायकों ने कार्यसूची फाड़कर पीठ की ओर पर्चे उछाले। हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। इसके बाद कांग्रेस विधायक वहां धरना देकर बैठ गए और नारेबाजी करते रहे।
तब सदन में कांग्रेस के 19 में से 18 विधायक मौजूद थे। निर्दलीय विधायक उमेश कुमार भी धरने पर बैठे, जबकि बसपा विधायक शहजाद कुछ देर शामिल हुए। इसके चलते सदन की स्थगित कार्यवाही का चार बार समय बढ़ाया गया। इसके पश्चात कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायकों ने फिर हंगामा शुरू कर दिया। वे नैनीताल के डीएम व एसएसपी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग कर रहे थे।
विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार ने सदन में जबरन मतांतरण पर अंकुश लगाने के लिए कानून को कड़ा करने के उद्देश्य से उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध प्रतिषेध संशोधन विधेयक, लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक, उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक समेत एक-एक कर नौ विधेयक पेश किए। भोजनावकाश के बाद तीन बजे कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायकों ने फिर से विधानसभा सचिव की मेज पलट दी और सदन के पटल पर रखे गए प्रतिवेदन की प्रतियों से मेज पटकते रहे।
यद्यपि, विपक्ष के रवैये को देखते हुए संसदीय कार्यमंत्री ने कांग्रेस विधायकों को कार्यवाही से निलंबित करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन यह शोर-शराबे में सुनाई नहीं दिया। इस बीच फिर कार्यवाही स्थगित कर दी गई। शाम चार बजे कार्यवाही शुरू होते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अनुपूरक बजट पेश किया। साथ ही पीठ ने ध्यानाकर्षण की सूचनाएं ली और फिर सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
‘यह संपत्ति आपकी है, उत्तराखंड की है, जनता की है। यह प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई से बनी है। इसे मत तोड़िये। ऐसा करना बहुत गलत बात है।’ - ऋतु खंडूड़ी भूषण, अध्यक्ष विधानसभा।
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