Uttarakhand Vidhan Sabha: हंगामा बनाम विकास, तय कर रहा है आगे का राजनीतिक एजेंडा
देहरादून में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला तेज होने की संभावना है। कांग्रेस जहां सरकार को घेरने के लिए हंगामे का सहारा ले रही है वहीं भाजपा विकास के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री धामी ने अनुपूरक बजट में विकास कार्यों के लिए धन आवंटित किया है जिससे विपक्ष को कड़ी चुनौती मिल रही है।

रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण, देहरादून। विधानसभा चुनाव के लिए शेष डेढ़ वर्ष की अवधि में हंगामा बनाम विकास से उत्तराखंड की राजनीति का एजेंडा तय होने जा रहा है, वर्तमान में परिस्थितियों ने जिस ढंग से यू-टर्न लिया, उससे यही संकेत मिल रहे हैं। पंचायत चुनाव परिणाम के तत्काल बाद गैरसैंण में विधानसभा का मानसून सत्र कांग्रेस विधायकों के हंगामे के कारण दो दिन से पहले सिमट गया।
भाजपा और कांग्रेस में खींचतान नए मुकाम पर पहुंच गई है। अपनी खिसकती जमीन बचाने के लिए कांग्रेस जीवन-मरण की नई रणनीति के साथ अधिक उग्र दिख रही है। वहीं, नगर निकाय के बाद पंचायत चुनाव में प्रचंड जीत से उत्साहित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विकास को राजनीति के केंद्र में रखकर विपक्ष को बैकफुट पर धकेलने का मौका हाथ से जाने देने को तैयार नहीं हैं।
प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस की नजरें वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर हैं। विलंब के कारण वर्षाकाल में हुए पंचायत चुनाव की तिथियों, आरक्षण के निर्धारण से लेकर चुनाव परिणाम की घोषणा में सरकार से लेकर राज्य निर्वाचन आयोग को नाकों चने चबाने पड़े। कांग्रेस ने पंचायत चुनाव में लगभग हर स्तर पर सरकार और सत्ताधारी दल को मुश्किल हालात से जूझने को मजबूर किया। हाईकोर्ट में भी चुनौती दी गई। इस संघर्ष के बूते गांवों में मतदाताओं का समर्थन पाने की आस संजोई गई, लेकिन इस जुगत ने असर नहीं दिखाया।
गत वर्ष उपचुनाव में विधानसभा की दो सीट पर जीत दर्ज कर कांग्रेस के बढ़े मनोबल को नगर निकाय और फिर पंचायत चुनाव ने झटका दिया है। लगातार दो विधानसभा चुनाव, तीन लोकसभा चुनाव के बाद निकायों व पंचायतों में प्रदर्शन में सुधार नहीं होने से पार्टी के लिए हालात और विषम हुए हैं।
एंटी इनकंबेंसी उभारने के प्रयास सफल नहीं रहे। बदली रणनीति के तहत कांग्रेस ने हंगामे और प्रदर्शन को सरकार के विरुद्ध नया हथियार बना लिया है। विधानसभा के मानसून सत्र के बाद आने वाले समय में इस हथियार को और ताकत के साथ आजमाया जाएगा, इसके प्रबल संकेत हैं।
वहीं, भाजपा ने केंद्र के डबल इंजन के बूते विकास के एजेंडे को ही आगे भी राजनीति के केंद्र में रखने की मंशा स्पष्ट कर दी। अनुपूरक बजट में आमतौर पर सरकार बड़ी योजनाओं के लिए धन की व्यवस्था से बचती है। इस बार मुख्यमंत्री धामी ने अनुपूरक मांगों में भी राजस्व मद से एक हजार करोड़ से अधिक राशि पूंजीगत कार्यों के लिए रखी है।
शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान को पोटली खोली गई। धराली और जोशीमठ समेत आपदा से जूझते राज्य के कई हिस्सों में राहत व पुनर्वास कार्यों के साथ शहरों की दशा सुधारने और गंगा व शारदा कारिडोर के लिए अतिरिक्त बजट निकाला गया। जाम से बुरी तरह पीड़ित देहरादून को एलिवेटेड रोड नेटवर्क के लिए 925 करोड़ तो वर्ष 2027 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ की तैयारियों के लिए 200 करोड़ की व्यवस्था की गई।
अवस्थापना विकास को लेकर धामी सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि विकास को राजनीति के केंद्र में रखने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शैली पर ही कदम आगे बढ़ाए जाएंगे। ऐसे में आने वाले समय में विकास बनाम हंगामा, को लेकर राजनीति और तेज होना तय है।

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