उत्तराखंड परिवहन महासंघ के चक्का जाम का दिखा असर, गढ़वाल मंडल के रूटों पर नहीं चली बस-टैक्सी; यात्रियों ने झेली फजीहत
उत्तराखंड परिवहन महासंघ के चक्का जाम के कारण गढ़वाल मंडल में बसों और टैक्सियों का संचालन बाधित रहा। यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि परिवहन सेवाएं ठप रहीं और उन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए अन्य विकल्प खोजने पड़े।

चक्का जाम के बाद इंद्रमणि बडोनी चौक पर वाहनों का इंतजार करते यात्री। जागरण
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। उत्तराखंड परिवहन महासंघ के आह्वान पर बुधवार को चक्का जाम का व्यापक असर रहा। गढ़वाल मंडल के रूटों पर बसें और टैक्सी वाहन नहीं चले। इससे यात्रियों को दिक्कत झेलनी पड़ी। जो टैक्सी वाहन वाहन बाहर से सवारियां लेकर आ रहे थे उन्हें प्रदर्शनकारी परिवहन कारोबारियों ने इंद्रमणि बडोनी चौक पर रोक दिया। इस दौरान नोक-झोंक चलती रही।
बिना किराया बढ़ाए हर साल पांच फीसदी टैक्स में वृद्धि, फिटनेस सेंटर एआरटीओ कार्यालय में खोले जाने, डग्गामार वाहनों पर अंकुश लगाए जाने सहित सात सूत्रीय मांगों को लेकर महासंघ ने बुधवार को चक्का जाम का ऐलान किया था। सुबह छह से शाम पांच बजे तक चक्का जाम का आह्वान था।
गढ़वाल मंडल के रूटों पर सुबह तीन बजे से बसों का संचालन शुरू होता है। ऋषिकेश यात्रा बस अड्डे से सुबह छह बजे से पहले जाने वाली बसें भी रूटों पर नहीं गई। सुबह छह बजे ही परिवहन कारोबारी यात्रा बस अड्डे पर पहुंच गए थे। कुछ टैक्सी वाहन वहां से निकल रहे थे। उन्हें रोक दिया गया। इसके बाद परिवहन कारोबारी इंद्रमणि बड़ोनी चौक पहुंचे।

चौक पर कारोबारियों ने सांकेतिक प्रदर्शन किया। बाहरी राज्यों से जो वाहन आ रहे थे उन्हें गढ़वाल मंडल के रूटों पर नहीं जाने दिया गया। देहरादून की ओर से भी कई टैक्सी वाहन सवारी लेकर पहुंचे। उन्हें भी रोक दिया गया। बाहरी राज्यों के कई निजी नंबरों के वाहनों को डग्गामारी के शक में पकड़ लिया गया। इस दौरान नोकझोंक चलती रही। ऐसे वाहनों को चौक पर ही खड़ा करा दिया गया।
शाम तक परिवहन कारोबारी इंद्रमणि बडोनी चौक पर जमा रहे। पूरे दिन बसों का संचालन नहीं होने से यात्रियों को दिक्कत उठानी पड़ी। कई लोगों ने चक्का जाम की सूचना पर पहले ही अपनी यात्रा स्थगित कर दी थी। कुछ लोग वापस घर लौट गए।
वहीं, परिवहन कारोबारियों ने इंद्रमणि बडोनी चौक पर प्रदर्शन कर सरकार से समस्याओं के निस्तारण की मांग की। इस दौरान महासंघ के संयोजक संजय शास्त्री, अध्यक्ष सुधीर राय, गजेंद्र सिंह नेगी, योगेश उनियाल, आशुतोष शर्मा, शशि सेमवाल, हेमंत डंग, कृष्णा बड़ोनी, कुलदीप बहुगुणा, हरि सिंह रावत, बिजेंद्र कंडारी आदि मौजूद रहे।
सौ से अधिक बसों का होता है संचालन
संयुक्त रोटेशन के तहत आने वाली नौ परिवहन कंपनियों की करीब 120 बसें हर दिन गढ़वाल मंडल के अलग-अलग रूट पर चलती हैं। इसमें सिंगल रूट (श्रीनगर-कर्णप्रयाग) में करीब चालीस बसों का संचालन होता है। इसके साथ ही टिहरी-उत्तरकाशी (डिस्टिक रूट) और अन्य छोटे रूटों पर बाकी वाहन चलते हैं। परिवहन कंपनियों ने मंगलवार देर शाम ही चक्का जाम के चलते वाहन न चलाने के आदेश जारी किए थे। बुधवार को जिस वाहन को जिस समय पर रूट पर जाना था गुरुवार को वह उसी निर्धारित समय पर रूट पर जाएगा।
रोडवेज ने बारह अतिरिक्त बस भेजी
ऋषिकेश डिपो से हर दिन उत्तरकाशी, घनसाली, गुप्तकाशी और गोपेश्वर के लिए एक-एक बस सेवा चलती है। बुधवार को निजी बस संचालकों की हड़ताल के चलते रोडवेज बसों में भारी भीड़ रही। श्रीगनर, कर्णप्रयाग, उत्तरकाशी रूट पर ऋषिकेश डिपो से 12 अतिरिक्त बसें भेजी गई। सुबह आठ बजे से रोडवेज प्रबंधन ने अतिरिक्त बसों को भेजना शुरू कर दिया था।

ऋषिकेश डिपो के सहायक महाप्रबंधक नरेंद्र कुमार ने बताया कि सामान्य दिनों में ऋषिकेश डपो से पहाड़ी रूट पर चार बस जाती है। बुधवार को बारह अतिरिक्त बस भेजी गई। वहीं, हरिद्वार से भी निजी बसों का पहाड़ी रूट पर संचालन नहीं हुआ। इससे हरिद्वार से आने वाली रोडवेज बसें फुल होकर ऋषिकेश पहुंची। ऋषिकेश में खड़े यात्रियों को पहाड़ी रूट पर जाने के लिए सीट नहीं मिली।
आइएसबीटी नहीं गई कई रोडवेज बसें
पहाड़ी रूट से देहरादून आ रहे कई रोडवेज चालक बस अड्डे पर नहीं गए। भद्रकाली से इंद्रमणि बडोनी चौक पर उन्होंने हरिद्वार और ऋषिकेश के यात्रियों को उतार दिया। चौक पर परिवहन कारोबारी प्रदर्शन कर रहे थे। इसका हवाला देते हुए चालकों ने बस को आइएसबीटी ले जाने से इनकार कर दिया और सीधे देहरादून की ओर ले गए।
पहाड़ी रूट पर ट्रकों का संचालन भी नहीं हुआ
बसों और टैक्सी वाहनों के साथ ही ट्रकों का संचालन भी गढ़वाल मंडल के रूटों पर नहीं हुआ। इसके साथ ही शहर में विक्रम और आटो वाहन भी कम संख्या में चले। सुबह दस बजे तक कई आटो चलते रहे। लेकिन उसके बाद इक्का-दुक्का आटो-विक्रम वाहन ही नजर आए। हालांकि ई-रिक्शा का संचालन होता रहा। स्थानीय लोगों के पास अपने दोपहिया वाहन होने के चलते उन्हें दिक्कत नहीं उठानी पड़ी। तिपहिया वाहन कम चलने से बाहर से आने वाले यात्रियों को दिक्कत उठानी पड़ी।
आटो नहीं आए, अभिभावकों गए बच्चों को स्कूल छोड़ने
परिवहन महासंघ ने चक्का जाम से स्कूल बसों, दूध वाहनों आदि आवश्यक सेवा के वाहनों को छूट दी थी। कई स्कूल वाहन के संचालक चक्का जाम को लेकर सुबह असमंजस में रहे। छूट की जानकारी मिलने पर वह बच्चों को छोड़ने के लिए वाहन लेकर निकले। वहीं, कई अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल छोड़ने और लाने के लाने के लिए आटो लगाए हैं। कई आटो चालकों ने चक्का जाम का हवाला देते हुए आने से इनकार कर दिया। अभिभावकों को स्वयं बच्चों को छोड़ने और लाने के लिए जाना पड़ा।

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