'कंगाल' उत्तराखंड परिवहन निगम, 24 करोड़ रुपये बकाया; अनुबंधित बसों का संचालन भी होगा ठप
उत्तराखंड परिवहन निगम वित्तीय संकट से जूझ रहा है। कर्मचारियों को वेतन और अनुबंधित बस ऑपरेटरों को भुगतान नहीं किया गया है जिससे वे हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे रहे हैं। अनुबंधित बस ऑपरेटरों का 24 करोड़ रुपये बकाया है जिससे दिल्ली मार्ग पर बस सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। निगम पर 125 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है फिर लाभ दिखाने का दावा किया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड परिवहन निगम के आला अधिकारियों ने निगम को 'कंगाली' की राह पर लाने की पूरी तैयारी कर ली है। परिवहन निगम मुख्यालय में बैठे अधिकारी न तो अपनी नई बसें खरीद रहे, न कर्मचारियों का वेतन दे रहे। डीजल का भुगतान तक नहीं हो रहा। कर्मचारियों ने नौ सितंबर से प्रदेशव्यापी कार्य-बहिष्कार का ऐलान किया हुआ।
इंडियन आयल भी डीजल आपूर्ति देने से हाथ खींचने की तैयारी कर रहा है। अब अनुबंधित बस आपरेटरों ने भी आठ सितंबर से बस संचालन ठप करने की चेतावनी दे दी है। अनुबंधित बस आपरेटरों का जून, जुलाई व अगस्त का भुगतान लंबित है, जो करीब 24 करोड़ रुपये है। अनुबंधित बसों का संचालन रुका तो परिवहन निगम की दिल्ली मार्ग की अधिकांश सेवाएं ठप हो सकती हैं, क्योंकि 80 प्रतिशत अनुबंधित बसें इसी मार्ग पर संचालित हो रहीं हैं।
तीन माह से भुगतान न होने से आक्रोशित बस आपरेटरों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने गुरुवार को निगम मुख्यालय में महाप्रबंधक (संचालन) पवन मेहरा का घेराव कर आठ सितंबर से बसों का संचालन बंद करने की चेतावनी दे दी। परिवहन निगम में वर्तमान में करीब 500 अनुबंधित बसों का संचालन हो रहा है, जबकि 850 बसें निगम की खुद की हैं।
निगम की 85 प्रतिशत बसें यूरो-4 हैं, जो दिल्ली के लिए अनुमन्य नहीं हैं, ऐसे में दिल्ली व उससे जुड़े मार्ग पर अनुबंधित बसों का ही संचालन हो रहा है। अनुबंधित बसों में 90 प्रतिशत सीएनजी या बीएस-6 श्रेणी की हैं। इनमें सीएनजी साधारण व वोल्वो बसें भी शामिल हैं। दिल्ली मार्ग पर वर्तमान में 205 सीएनजी बसों का संचालन हो रहा, ये सभी अनुबंधित हैं।
अनुबंधित बस स्वामी संघ का आरोप है कि निगम प्रबंधन ने मई का भुगतान भी अगस्त के पहले सप्ताह में किया था। इसके बाद से उनका भुगतान नहीं किया है, जबकि करार की शर्त में 10 दिन के भीतर भुगतान का नियम है। अगस्त खत्म हो चुका है, ऐसे में अब उनका जून, जुलाई, अगस्त का 24 करोड़ रुपये लंबित हैं।
जुलाई 2024 से दिसंबर-2024 तक का एक करोड़ रुपये का भुगतान भी लंबित है। पहले भी बस आपरेटरों ने निगम के महाप्रबंधक संचालन मेहरा को ज्ञापन दिया था, लेकिन उन्होंने कार्रवाई नहीं की। आक्रोशित बस आपरेटरों ने गुरुवार को संघ के अध्यक्ष शेर सिंह चौहान व संरक्षक अरुण राजपूत के नेतृत्व में कुल्हान स्थित निगम मुख्यालय का घेराव कर हंगामा किया और अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर भुगतान नहीं हुआ तो सात अगस्त से बसों का संचालन बंद कर दिया जाएगा।
सवा सौ करोड़ की देनदारी, फिर लाभ में कैसे निगम
परिवहन निगम पर वर्तमान में 125 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है। इसके बावजूद निगम के अधिकारी हर बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष निगम को लाभ में बता रहे। पिछले दिनों भी अधिकारियों ने ये दावा किया कि निगम 15 करोड़ के मुनाफे में है। वर्तमान परिदृश्य पर नजर दौड़ाएं तो कर्मचारियों को जुलाई से अब तक वेतन नहीं मिला है, जो 42 करोड़ रुपये है।
इसी तरह मार्च से बचत ऋण समितियों का भुगतान नहीं किया गया, जो करीब 21 करोड़ रुपये है। अनुबंधित बस आपरेटरों का जून से अगस्त तक का करीब 24 करोड़ रुपये भुगतान लंबित है। इसी तरह स्पेयर्स पार्ट्स के भी 10 करोड़ रुपये से ऊपर के बिल लंबित हैं। डीजल के भी 11 करोड़ बकाया चल रहे। सेवानिवृत्त कर्मचारियों का भी 20 करोड़ रुपये से ऊपर बकाया है।
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