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    लोगों की पसंद बन रहे उत्‍तराखंड के पारंपरिक गहने, जानिए

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 14 Jan 2019 08:29 AM (IST)

    उत्तराखंड के सुदूरवर्ती अंचल में तो आज भी महिलाएं पारंपरिक ढंग से गढ़े गहनों को धारण करना पसंद करती हैं। अब एक बार फिर पारंपरिक गहने लोगों की पसंद बन रहे हैं।

    लोगों की पसंद बन रहे उत्‍तराखंड के पारंपरिक गहने, जानिए

    देहरादून, दीपिका नेगी। पारंपरिक गहने भला किसे नहीं लुभाते। यह इनका आकर्षण ही तो है, जो किसी का भी ध्यान ये अपनी ओर खींच लेते हैं। उत्तराखंड के सुदूरवर्ती अंचल में तो आज भी महिलाएं पारंपरिक ढंग से गढ़े गहनों को धारण करना पसंद करती हैं। लेकिन, नगरीय-महानगरीय कल्चर में लोग समय के साथ इनसे दूरी बनाते चले गए। हालांकि, अब एक बार फिर पारंपरिक गहने न केवल लोगों की पसंद बन रहे हैं, बल्कि शादी-पार्टियों की शान भी बढ़ा रहे हैं। 

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    हां, यह जरूर है कि इनका रूप-रंग अब पहले जैसा नहीं रहा। अब लोग अपनी सुविधा के हिसाब से हल्के, किंतु चित्ताकर्षक गहने पहनना पसंद करते हैं। अलबत्ता इनमें सोने की मात्रा जरूर कम हो गई है। साथ ही इनकी गढ़ाई भी हाथों की जगह मशीनों से होने लगी है। ज्वैलर्स भी इस बदलाव को अच्छा संकेत मान रहे हैं। उनका कहना है कि मशीनों से ढले नए कलेवर के गहनों में चमक ज्यादा होती है। साथ ही इसमें मिलावट की आशंका भी नहीं रहती।

    लाजवाब है टिहरी की नथ 

    टिहरी की नथ आज भी पहाड़ में खास पसंद की जाती है। यहां तक प्रवासी भी बच्चों की शादी-ब्याह के मौके पर पहाड़ आकर पारंपरिक नथ गढ़वाते हैं। हालांकि, करीब दो दशक पहले तक लोग तीन से पांच और छह तोले तक की नथ बनाना पसंद करते थे। लेकिन, अब युवतियां हल्के वजन की डिजाइन वाली नथ पहनना पसंद कर रही हैं। बाजार भी नई पसंद के हिसाब से ही नथ तैयार कर रहा है, जिनमें सोने पर की गई कसीदाकारी का काम काफी पसंद किया जा रहा है। इसके अलावा इन दिनों प्योर गोल्ड का काम भी काफी ट्रेंड में है।

    कम नहीं हुई गुलोबंद की चमक

    गले में पहने जाने वाला गुलोबंद सुहाग की निशानी माना जाता है। लाल-काली पट्टी में पिरोई चौकोर डिजाइन वाली सोने की टिक्कियां और उन पर जड़े नगीने बेहद खूबसूरत दिखाई देते हैं। बेटी को विवाह के मौके पर मायके से मिलने वाली यह सौगात अनमोल धरोहर जैसी है। आजकल बाजार में बिना पट्टी के हल्के वजन वाले डिजाइनर गुलोबंद चलन में हैं।

    नहीं छूटा पौंची का मोह

    कुमाऊं में विवाहित महिलाओं की कलाई पर सजने वाली सोने की पौंची का आकर्षण अब भी कायम है। हालांकि, बीच में पौंची की जगह कंगन को वरीयता दी जाने लगी थी, लेकिन पौंची कभी फैशन से बाहर नहीं हुई। अल्मोड़ा शहर विशेष रूप से आकर्षक पौंची तैयार करने के लिए जाना जाता है। पौंची का पैटर्न भी आमतौर पर एक जैसा ही होता है। कम वजन की पौंची में छोटे आकार वाले सोने के दाने और अधिक वजन की पौंची में बड़े दाने होते हैं। इन दानों में उकेरा गया डिजाइन अलग-अलग होता है। ज्वैलर्स विजय बग्गा बताते हैं कि पहले पौंची का डिजाइन नक्काशी से तैयार होता था, लेकिन अब ठप्पे का इस्तेमाल किया जाता है।

     

    चांदी का सूच अब सोने में भी

    जौनसार-बावर क्षेत्र में गले में पहना जाने वाला सूच महिलाओं का प्रिय आभूषण है। सूच के दोनों ओर चौड़ी पट्टेदार चेन और नीचे पान के पत्ते के आकार का चौड़ा पैडल लटका रहता है। पहले सूच चांदी में ही पहना जाता था, लेकिन अब सोने में तैयार सूच भी तेजी से चलन में आ रहा है।

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