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    किसी स्वर्ग से कम नहीं है उत्तराखंड का यह पर्यटन स्थल, एक बार दीदार के बाद हो जाएंगे खूबसूरती के कायल; ऐसे पहुंचें

    Updated: Mon, 22 Apr 2024 07:21 PM (IST)

    रोजमर्रा की जिंदगी और महानगरों के शोर से दूर कुछ पल शांति से बिताने वालों के लिए मुंडाली बेहद खास है। यदि पर्यटक कुदरती खूबसूरती के साथ-साथ कैंपिंग राफ्टिंग ट्रेकिंग रैपलिंग राक क्लाइंबिंग आदि रोमांचक खेलों का लुत्फ भी उठाना चाहते हैं तो इस लिहाज से भी यह एक आदर्श स्थल है। यहां हर तरफ ऐतिहासिक पुरातात्विक सामाजिक और सांस्कृतिक वैभव बिखरा हुआ है।

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    किसी स्वर्ग से कम नहीं है उत्तराखंड का यह पर्यटन स्थल

    संवाद सूत्र, चकराता। Uttarakhand Tourism: यूं तो चकराता व आसपास के पर्यटन स्थल अपनी खूबसूरती, पहाड़, बुग्याल, झरने के साथ-साथ शांत माहौल और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के लिए जाना जाता है। जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर में जौनसार की अनूठी संस्कृति, रीति रिवाज, परंपराएं, तीज त्यौहार आदि के कारण चकराता देशभर के पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थान बना रहा है।

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    वहीं, यहां स्थित पर्यटन स्थल मुंडाली की खूबसूरती भी पर्यटकों को आकर्षित करती है। रोजमर्रा की जिंदगी और महानगरों के शोर से दूर कुछ पल शांति से बिताने वालों के लिए मुंडाली बेहद खास है। यदि पर्यटक कुदरती खूबसूरती के साथ-साथ कैंपिंग, राफ्टिंग, ट्रेकिंग, रैपलिंग, राक क्लाइंबिंग आदि रोमांचक खेलों का लुत्फ भी उठाना चाहते हैं तो इस लिहाज से भी यह एक आदर्श स्थल है। यहां हर तरफ ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सामाजिक और सांस्कृतिक वैभव बिखरा हुआ है।

    साथ ही मुंडाली भीड़भाड़ और शोर शराबे से दूर देवदार, बांज, बुरांश के जंगल के साथ-साथ मखमली घास के मैदान बुग्याल के बीच में बसा है। जो पर्यटक एक बार मुंडाली का दीदार कर लेते हैं, वह उसकी खूबसूरती देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। कई लोग मुंडाली को मिनी स्विट्जरलैंड का नाम देते हैं।

    चकराता के समीप लगभग दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मुंडाली व खडंबा की पहाड़ियां ट्रेकिंग के लिए पंसदीदा जगहें बनती जा रही हैं। यहां पर स्थानीय कुलदेवी का मंदिर भी है। स्थानीय लोग इस मंदिर को परियों का मंदिर कहते हैं। इसके साथ ही मुंडाली में ब्रिटिश काल के गेस्ट हाउस भी हैं।

    शिमला को जोड़ने वाला ट्रेकिंग रूट भी

    ब्रिटिश काल में चकराता से शिमला को जोड़ने वाला 150 किमी लंबा ट्रेकिंग रूट हुआ करता था और यहीं से शिमला के लिए पैदल आवाजाही हुआ करती थी। ट्रैकिंग रूट पर रात्रि विश्रम के लिए बने वन विभाग के बंगले थे। औली के बाद मुंडाली उत्तराखंड में स्कीयर और स्नोबोर्डर्स के लिए सबसे पसंदीदा स्कीइंग स्थलों में से एक है। यहां पर सर्दियों में बर्फबारी के समय देश के अनेक पर्यटक स्नो स्केटिंग मजा भी लेते हैं।

    सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत

    स्थानीय निवासी अमित जोशी, दिनेश चांदना, विक्रम पंवार, राजेंद्र चौहान, पंकज चौहान, केसर सिंह चौहान आदि बताते हैं कि मुंडाली अपने आप में चकराता के सबसे खूबसूरत पर्यटक स्थलों में से एक है। परंतु यहां कई सारी सुविधाओं का अभाव देखने को मिलता है। यहां जाने वाला मोटर मार्ग कच्चा, संकरा व क्षतिग्रस्त है। वर्षाकाल में अक्सर यह मार्ग बंद हो जाता है। यहां पर शौचालय व कूड़ेदान की व्यवस्था भी नहीं है। सरकार व पर्यटन विभाग को मुंडाली को भी प्रदेश के अन्य पर्यटन स्थलों की भांति विकसित करना चाहिए।

    फोटोग्राफर अनमोल गुरु कहते हैं कि यह पर्यटन स्थल चकराता के सभी पर्यटन स्थलों से काफी सुंदर है। मुंडाली को विकसित किया गया तो प्रदेश के सबसे खूबसूरत पर्यटक स्थलों में से एक बनेगा। इतिहासकार टीकाराम शाह अपनी किताब जौनसार बावर ऐतिहासिक संदर्भ में लिखते हैं कि मुंडाली समुद्री तल से 9000 फीट की ऊंचाई पर है और यह जगह आइस स्केटिंग के लिए उपयुक्त स्थल है।

    अंग्रेज अधिकारी गर्मियों में यहां से मसूरी चकराता होते हुए शिमला जाते समय मुंडाली गेस्ट हाउस में विश्राम किया करते थे और यह पैदल मार्ग अपर शिमला घोड़ा मार्ग कहलाता था। यहां पर पर्यटकों के लिए फारेस्ट गेस्ट हाउस की व्यवस्था है, जो डीएफओ ऑफिस से बुक कराना पड़ता है। मुंडाली में कूड़ा फेंकना साफ मना है।

    कैसे पहुंचें 

    देहरादून से चकराता की दूरी सड़क मार्ग से करीब 90 किमी है। देहरादून से दो रास्तों मसूरी-नागथात और विकासनगर-कालसी होकर बस, टैक्सी या अन्य छोटे वाहनों से चकराता पहुंचा जा सकता है। चकराता क्षेत्र में पेट्रोल पंप की सुविधा कालसी चकराता मोटर मार्ग पर कोरवा के पास है।

    चकराता से 113 किमी की दूरी पर निकटतम देहरादून हवाई अड्डा है। निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून है। जौनसार-बावर की खूबसूरत वादियों विशेषकर मुंडाली का लुत्फ लेने के लिए मार्च से जून और अक्टूबर से दिसंबर का समय सबसे उपयुक्त होता है।

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