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    Uttarakhand Tourism : उत्‍तराखंड में हिमालय के यह गुप्त खजाने, केंद्र सरकार विकसित करे तो खिंचे आएंगे पर्यटक

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sun, 04 Dec 2022 11:40 AM (IST)

    Uttarakhand Tourism राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कई पानी के स्रोतों के किनारे समतल भूमि और ऊंचाई वाले स्थानों पर बुग्याल हैं। उत्तराखंड के प्रत्येक जनपद में यदि केंद्र सरकार की सहायता से एक पर्यटन स्थल विकसित हो तो पर्यटक और सैलानियों की आमद बनी रह सकती है।

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    Uttarakhand Tourism : उत्तराखंड में सालभर पर्यटक और सैलानियों की आमद बनी रह सकती है।

    जागरण संवाददाता, देहरादून : Uttarakhand Tourism : नैसर्गिक सौंदर्य और रमणीक स्थलों के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड के प्रत्येक जनपद में यदि केंद्र सरकार की सहायता से एक पर्यटन स्थल विकसित हो तो उत्तराखंड में सालभर पर्यटक और सैलानियों की आमद बनी रह सकती है।

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    इससे एमएसएमई सेक्टर से जुड़े होटल-रेस्टोरेंट से जुड़े व्यापारियाें को तो मुनाफा होगा ही, जीएसटी के रूप में केंद्र सरकार को उत्तराखंड से मिलने वाली आय में भी कई गुना वृद्धि हो सकती है।

    खिंचे चले आएंगे यहां पर्यटक

    होटल व्यवसायी कुलदीप बिष्ट, लाल सिंह नेगी, जीवन सिंह खुशहाल सिंह का कहना है कि मसूरी, नैनीताल, टिहरी, धनोल्टी, औली जैसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों पर लगभग सालभर सैलानी पहुंचते हैं, लेकिन लैंसडौन, चकराता, हर्षिल, उत्तरकाशी, गोपेश्वर-मंडल, तपोवन, कौसानी, गैरसैंण, भराड़ीसैंण, दुग्गल बिट्टा, पांडुकेशर, सांकरी जैसे रमणीक स्थलों को यदि केंद्र सरकार विकसित करे तो यहां पर्यटक खिंचे चले आएंगे।

    होटल उद्यमियों का कहना है कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कई पानी के स्रोतों के किनारे समतल भूमि और ऊंचाई वाले स्थानों पर बुग्याल हैं। ऐसे स्थानों पर पिकनिक स्पाट विकसित हो सकते हैं।

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    अभी तक राज्य का होटल व्यवसाय धार्मिक पर्यटन पर ज्यादातर निर्भर है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री के अलावा हेमकुंड साहिब में साल के छह से सात महीने ही श्रद्धालु आते हैं। इन धार्मिक स्थलों पर व्यापार की सीमित संभावना रहती है, जबकि पिकनिक डेस्टिनेशन में सैलानियों के अलावा फिल्म इंडस्ट्रीज के आने की भी संभावना बढ़ जाएगी।

    उत्तराखंड में 01 नवंबर 2022 तक हास्पिटेलिटी से संबंधित पंजीकृत उद्यम

    • बड़े होटल : 660
    • छोटे होटल एवं रेस्टोरेंट: 11560
    • ढाबे व भोजनालय : 4370
    • होम स्टे: 245

    ‘उत्तराखंड में पर्यटन को यदि प्रमुख रोजगार और उद्यम के रूप में स्थापित करना है तो केंद्र को 13 जनपदों में 13 पिकनिक डेस्टिनेशन विकसित करने चाहिए। इससे बड़े होटलों की संख्या भी बढ़ेगी और छोटे होटल कारोबारियों को भी मुनाफा होगा। अभी तक होटल व्यवसायी 12 प्रतिशत लग्जरी टैक्स व पांच प्रतिशत जीएसटी वसूलते हैं। जीएसटी का बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार को मिलता है। एक अनुमान के अनुसार अभी यदि प्रतिवर्ष पांच लाख सैलानी उत्तराखंड आ रहे हैं, यह संख्या बढ़कर आठ से नौ लाख पहुंच जाएगी। इससे जीएसटी संग्रह भी बढ़ेगा और स्थानीय होटल कारोबारियों को लाभ भी मिलेगा।’

    - राकेश नारायण माथुर, पूर्व अध्यक्ष मसूरी होटल एसोसिएशन

    ‘उत्तराखड में पहाड़ से मैदान तक नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर बड़ी संख्या में स्थल हैं। ये हिमालय के गुप्त खजाने हैं। यदि केंद्र सरकार इन स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे तो इससे होटल व्यवसाय तेजी से बढ़ेगा। अभी तक उत्तराखंड आने वाले सैलानी एक ही दिन के सैर-सपाटे के बाद लौट जाते है। यदि केंद्र सरकार 15 से 30 किलोमीटर के बीच में एक पिकनिक डेस्टिनेशन तैयार करे तो सैलानी एक सप्ताह यहां ठहर सकते हैं। ऐसे में होटल, रेस्टोरेंट, समेत सवारी वाहनों का कारोबार भी चमकेगा।’

    - पंकज गुप्ता, अध्यक्ष दून वैली हास्पिटेलिटी एंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन उत्तराखंड