बेसिक शिक्षकों ने TET अनिवार्य के लिए केंद्र को ठहराया जिम्मेदार, आंदोलन की दी चेतावनी
उत्तराखंड में 2011 से पहले नियुक्त लगभग दस हजार शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। शिक्षक संघ ने इस फैसले के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है आरोप है कि सरकार ने एनसीटीई कानून में संशोधन कर पुराने नियम को बदल दिया। अब शिक्षक संघ इस कानून के खिलाफ न्यायालय में लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहा है और आंदोलन की चेतावनी दी है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। प्रदेशीय एवं अखिल भारतीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने सर्वोच्च न्यायालय के बेसिक शिक्षकों को टीईटी अनिवार्य करने के निर्णय के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
अखिल भारतीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय महामंत्री सुभाष चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार देश के हर अमीर, गरीब, नौकरी पेशा की अभिभावक एवं पालक पोषक होती है। लेकिन केंद्र सरकार ने देश के लाखों बेसिक शिक्षकों के पेट पर लात मारते हुए एनसीटीई कानून में चुपके से 10 अगस्त, 2017 को संशोधन कर दिया और देश के सभी बेसिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य कर दिया। पूर्व के उस नियम को हटा दिया, जिसमें यह व्यवस्था थी कि वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखा गया था।
संगठन के सदस्य सुरेश सिंह एवं कुलदीप पांडेय ने कहा कि यह सब केंद्र सरकार ने इतनी चतुराई से किया कि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। एक सितंबर, 2025 को उसी नियम के तहत सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आया है।
उक्त संशोधित कानून में व्यवस्था कर दी थी कि वर्ष 2021 तक सभी को टीईटी करना अनिवार्य होगा। चाहे वह कितना भी पुराना शिक्षक क्यों न हो। इस सबके बावजूद इस संशोधन को इतने दिन बीत जाने के पश्चात भी जानबूझ कर देश के बेसिक शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए, दबाए रखा। संघ इस संशोधित कानून को रद्द कराने के लिए न्यायालय में लड़ाई लड़ेगा।
संघ के सदस्य योगेश त्यागी एवं नरेश कौशिक ने बताया कि देशभर के प्रभावित लाखों बेसिक शिक्षकों को एक वृहद आंदोलन किए जाने की तत्काल आवश्यकता है। सरकार पर भी दबाव बनाकर याचिका दायर कराने की जरूरत है। उत्तराखंड में वर्ष 2011 से पूर्व के करीब दस हजार से अधिक बेसिक शिक्षकों को टीईटी पास करना अनिवार्य होगा।
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