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    UKSSSC Paper Leak के बीच सख्त नकल रोधी कानून की चर्चा, आरोपितों को आजीवन कारावास तक हो सकती है सजा

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 02:15 PM (IST)

    उत्तराखंड में अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की परीक्षा में धांधली के बाद नकल रोधी कानून फिर चर्चा में है। 2023 में लागू इस कानून के तहत 80 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। कानून में आजीवन कारावास और भारी जुर्माने का प्रावधान है जिसका उद्देश्य परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना और नकल माफियाओं को रोकना है। सरकार ने इस मामले की जांच एएसपी को सौंपी है।

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    मौजूदा परिप्रेक्ष्य में अहम हो गई है नकल रोधी कानून की प्रासंगिकता। प्रतीकात्‍मक

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून । अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की ओर से आयोजित स्नातक स्तरीय समूह-ग की परीक्षा के दौरान एक केंद्र से प्रश्नपत्र के कुछ अंश बाहर आने के प्रकरण के बाद अब राज्य में लागू सख्त नकल रोधी कानून फिर से चर्चा के केंद्र में है।

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    वर्ष 2023 में यह कानून लागू होने के बाद से अभी तक 80 से अधिक व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। मौजूदा परिप्रेक्ष्य पर नजर डालें तो समूह-ग की भर्ती परीक्षा के प्रकरण में अब तक चार गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। इनमें दो गिरफ्तारी परीक्षा होने से पहले और दो परीक्षा होने के बाद हुई हैं।

    कानून के प्रविधानों के अनुसार आरोप सिद्ध होने पर आरोपितों को आजीवन कारावास व दस लाख तक का जुर्माना हो सकता है। यहां तक कि उनकी संपत्ति भी कुर्क की जा सकती है।

    प्रदेश में सरकारी सेवाओं के लिए होने वाली भर्ती परीक्षाओं की शुचिता और इनमें पारदर्शिता के दृष्टिगत राज्य में लागू नकल रोधी कानून को अधिक सख्त बनाया गया है। इसमें प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल माफियाओं के हस्तक्षेप को समाप्त करने की पुख्ता व्यवस्था की गई है।

    उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधन की रोकथाम व निवारण के उपाय ) अधिनियम पर नजर डालें तो इसमें परीक्षा के लिए किसी भी रूप अथवा माध्यम से प्राप्त सामग्री, सहायता अथवा किसी यंत्र के प्रयोग को अनुचित साधन का प्रयोग माना गया है। प्रश्नपत्र को गलत तरीके से प्राप्त करना, उसे हल करना, हल करने में सहायता करना, उत्तर पुस्तिका से छेड़छाड़ करने को भी इसी दायरे में लिया गया है।

    अधिनियम में स्पष्ट प्रविधान है कि परीक्षार्थी के प्रथम अपराध के लिए तीन से पांच वर्ष का कारावास व न्यूनतम पांच लाख का जुर्माना किया जाएगा। वहीं, अन्य व्यक्तियों के इसमें शामिल होने पर न्यूनतम 10 वर्ष के कारावास का प्रविधान है। संगठित तरीके से इस प्रकार के अपराध पर एक करोड़ का जुर्माना निर्धारित किया गया है। गिरोह के रूप में अनुचित कार्य करने पर अधिकतम आजीवन कारावास व 10 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रविधान है।

    आरोप पत्र दाखिल होने पर परीक्षार्थी को दो से पांच साल और दोषसिद्ध होने पर 10 साल तक के लिए परीक्षा में शामिल होने से रोकने का प्रविधान है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि दोष सिद्ध होने पर परीक्षा की समस्त लागत दोषियों से ही वसूली जाएगी और उन्हें हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।

    कानून में इस प्रकार के अपराधों के लिए न्यूनतम अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा जांच कराने की व्यवस्था है, इसी आधार पर सरकार ने ताजा प्रकरण की जांच एएसपी जया बलूनी को सौंपी है।