सोलर पावर परियोजनाओं के विस्तार को अब नहीं मिलेगा अतिरिक्त समय, यूपीसीएल को एग्रीमेंट निगरानी के निर्देश
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने राज्य में सोलर पावर परियोजनाओं को अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया है। आयोग का कहना है कि पहले ही कई बार विस्तार दिया जा चुका है, लेकिन परियोजनाओं का विकास आंशिक रूप से ही हुआ है। वन विभाग से अनुमति में देरी और भूमि अधिग्रहण जैसी समस्याओं के कारण परियोजनाएं पिछड़ रही हैं। आयोग ने यूपीसीएल को पावर परचेज एग्रीमेंट की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने राज्य में विकसित की जा रही सोलर पावर परियोजनाओं की संचालन तिथि बढ़ाने के अनुरोध पर निर्णय जारी कर स्पष्ट किया कि कई परियोजनाओं में विस्तार के बावजूद आंशिक विकास हुआ है। अब अतिरिक्त समय देने का कोई औचित्य नहीं है।
आयोग के अनुसार, वन विभाग से अनुमति में देरी, भूमि अधिग्रहण समस्याएं, भूमि पर अतिक्रमण और पेड़ काटने की अनुमति में देरी से सोलर पावर परियोजनाओं पर असर पड़ा। दरअसल आयोग ने 17 अगस्त, 2025 को सार्वजनिक नोटिस जारी कर स्टेकहोल्डर्स से टिप्पणियां आमंत्रित की थीं।
कुल 30 हितधारकों ने अपनी परेशानियां और सुझाव आयोग के सामने रखे। इनमें 12 निजी कंपनियों और यूजेवीएन लिमिटेड ने 6 से 12 महीने की अतिरिक्त समय सीमा की मांग की थी, ताकि पेड़ काटने, भूमि अधिग्रहण और अन्य अनुमति संबंधी समस्याओं से हुई देरी को पूरा किया जा सके।
यूपीसीएल ने आयोग को बताया कि परियोजनाओं में विलंब से उनकी कुल पावर खरीद योजना पर असर नहीं पड़ेगा और वे राज्य में सोलर पावर परियोजनाओं के विकास का समर्थन करते हैं। वहीं यूजेवीएन ने कहा कि सोलर प्रोजेक्ट जटिल होते हैं और निवेशकों को समय सीमा बढ़ाने से भरोसा और निवेश की सुविधा मिलती है।
आयोग ने कहा कि पिछले विस्तारों के बावजूद अधिकांश परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हुई हैं और इस बार अतिरिक्त विस्तार मंजूर नहीं किया जाएगा। आयोग ने यूपीसीएल को अपने पावर परचेज एग्रीमेंट्स की निगरानी और पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, ताकि नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्व प्रभावित न हो।
उधर विशेष परियोजनाओं की समीक्षा में यह भी पाया गया कि कई परियोजनाओं का विकास आंशिक रूप से ही हुआ है। इसके पीछे मुख्य कारण इको-सेंसिटिव ज़ोन में भूमि की कमी, पर्याप्त भूमि न मिलना और सरकारी मंजूरी में देरी रही।
आयोग ने डेवलपर्स को अपने पावर परचेज एग्रीमेंट में वास्तविक स्थापित क्षमता के अनुसार संशोधन करने की अनुमति दी, लेकिन जिन परियोजनाओं की भूमि या मंजूरी लंबित है, उन एग्रीमेंट को रद्द करने के लिए सख्त निर्देश दिए।
आयोग ने निर्देश दिया कि गलत वर्गीकरण से टैरिफ और उपभोक्ता हित प्रभावित न हों। साथ ही सभी हितधारकों को निर्धारित समयसीमा के भीतर परियोजनाओं को पूरा करने के निर्देश दिए गए।

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