उत्तराखंड पर इंद्रदेव मेहरबान, झमाझम बौछारों से मिली राहत; मई में 80 प्रतिशत अधिक बारिश
उत्तराखंड में इस साल ग्रीष्मकाल में अच्छी वर्षा हुई खासकर मई में जिससे तापमान सामान्य रहा। बारिश सामान्य से 80 प्रतिशत से अधिक हुई। बागेश्वर में सर्वाधिक और ऊधमसिंह नगर में सबसे कम वर्षा दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार अब मानसून सीजन शुरू हो गया है और जून के मध्य तक मानसून आने की संभावना है जिससे वर्षा सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है।

विजय जोशी, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में इंद्रदेव इस पूरे ग्रीष्मकाल में मेहरबान रहे। मार्च से लेकर मई के बीच रुक-रुककर वर्षा के दौर होते रहे। जिससे गर्मी सामान्य से कम रही। आमतौर पर सबसे गर्म रहने वाले मई में भी पारा सामान्य के आसपास ही बना रहा और बारिश सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक दर्ज की गई।
वहीं, पूरे ग्रीष्मकाल में भी मेघ 32 प्रतिशत अधिक बरसे। अब एक जून से मानसून सीजन माना जाएगा और जून मध्य तक उत्तराखंड में दक्षिण पश्चिम मानसून के दस्तक देने के आसार हैं। इसके साथ ही मानसून सीजन में भी वर्षा सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है।
इस वर्ष ग्रीष्मकाल में आसमान से राहत बरसती रही। खासकर मई में पहाड़ से मैदान झमाझम वर्षा के दौर होते रहे और ज्यादातर दिन बादलों का डेरा रहा। इस माह सभी जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज हुई। बागेश्वर में सर्वाधिक और ऊधमसिंह नगर में सबसे कम वर्षा हुई।
पूरे माह में सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक वर्षा
देहरादून में सामान्य से 123 प्रतिशत अधिक तो नैनीताल में सामान्य से 47 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। इसी के साथ पूरे माह में सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। वहीं, पूरे ग्रीष्मकाल (एक मार्च से 31 मई) तक प्रदेश में सामान्य से 32 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। जिसमें बागेश्वर में सर्वाधिक 144 प्रतिशत और पिथौरागढ़ में -06 प्रतिशत सबसे कम वर्षा हुई।
रुद्रप्रयाग में 335 मिमी वर्षा से कहीं-कहीं जनजीवन भी प्रभावित रहा। मौसम विभाग के अनुसार, अब आज से मानसून सीजन माना जाएगा, जो कि आगामी 30 सितंबर तक माना जाता है। जिसके बाद एक अक्टूबर से 28 फरवरी तक शीतकाल माना जाता है।
पिछले वर्ष 43 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंचा
बीते वर्ष उत्तराखंड में रिकार्ड तोड़ गर्मी पड़ी थी। प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में आसमान से आग बरसी और तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया था। वर्ष 2012 के बाद वर्ष 2024 में ही दून का अधिकतम तापमान मई में 10 दिन 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया।
पिछले वर्ष मार्च में प्रदेश में सामान्य से 29 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई थी, लेकिन अप्रैल में मेघ सामान्य से 46 प्रतिशत कम बरसे। इसके बाद मई में भी सामान्य से 21 प्रतिशत कम वर्षा हुई। पिछले वर्ष ग्रीष्मकाल में एक मार्च से 31 मई तक प्रदेश में 128 मिमी वर्षा हुई है। जो कि सामान्य वर्षा 159 मिमी से 19 प्रतिशत कम है।
ग्रीष्मकाल में प्रदेश में वर्षा की स्थिति
- जनपद, वास्तविक, सामान्य, अंतर
- बागेश्वर, 309, 126, 144
- टिहरी गढ़वाल, 264, 139, 91
- पौड़ी, 126, 79, 59
- अल्मोड़ा, 186, 126, 47
- रुद्रप्रयाग, 335, 245, 37
- हरिद्वार, 99, 75, 32
- देहरादून, 205, 155, 32
- उत्तरकाशी, 251, 191, 32
- चमोली, 242, 185, 31
- ऊधमसिंह नगर, 80, 62, 29
- चंपावत, 133, 105, 26
- नैनीताल, 166, 157, 06
- पिथौरागढ़, 227, 262, -06
- औसत, 208, 158, 32
(नोट: वर्षा मिमी में और अंतर प्रतिशत में है।)
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