प्रधानमंत्री मोदी के नाम उत्तराखंड की पाती...'देवभूमि आपका दूसरा घर, मैं जानता हूं आप मेरा दर्द समझेंगे'
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से राज्य में आई प्राकृतिक आपदा के बाद मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने केदारनाथ आपदा के समय मोदी जी की सहायता को याद किया और वर्तमान में हुए नुकसान का विवरण दिया। मुख्यमंत्री ने पुनर्वास और राहत पैकेज की आवश्यकता पर जोर दिया है ताकि राज्य आपदा से उबर सके और निवासियों को सहायता मिल सके।

आदरणीय, प्रधानमंत्री जी। मैं उत्तराखंड हूं, जिससे आप विशेष अनुराग रखते हैं और मुझे अपना दूसरा घर मानते हैं। यह स्वाभाविक भी है। बाबा केदार की आप पर असीम कृपा है। मैं कैसे भूल सकता हूं कि आपने एक दौर में केदारनाथ धाम के नजदीक ही साधना की थी।
जून 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए आपने ही सबसे पहले मदद के लिए हाथ बढ़ाया था। वर्ष 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद आपने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण का काम अपने हाथ में लिया और आज केदारपुरी नये कलेवर में निखर चुकी है। बदरीशपुरी को भी स्प्रिच्युअल हिल टाउन के रूप में विकसित किया जा रहा है तो हमारे अन्य धामों का भी कायाकल्प हो रहा है।
यही नहीं, मेरे हर दुख-दर्द में आप अभिभावक व मार्गदर्शक की तरह हमेशा साथ खड़े रहे हैं। आपके मार्गदर्शन में मैंने विकास के नये-नये प्रतिमान गढ़े हैं। अब मुझे फिर से आपकी मदद की प्रतीक्षा है। दरअसल, प्रकृति ने इस बार ऐसा रौद्र रूप दिखाया कि मुझे एक नहीं अनेक जख्म मिले हैं। पहाड़ टूटकर गिर रहे हैं तो कई गांव उजड़ गए हैं। सड़कें ध्वस्त हो गई हैं तो नदियों का वेग भयभीत कर रहा है। आसमान से बरसी आफत में कई परिवार आशियाने गंवा चुके हैं।
उत्तरकाशी के धराली में खीर गंगा के रास्ते आई तबाही ने पूरे धराली कस्बे को ही तबाह कर दिया। फिर चाहे चमोली के थराली की बात हो या फिर पौड़ी के पाबौ व बागेश्वर के पौंसारी क्षेत्र की अथवा रुदप्रयाग, पिथौरागढ़ समेत अन्य जिलों की, सभी जगह बर्बादी व बेहाली की कहानी ऐसी ही है। पहाड़ों में भूस्खलन से गांवों में अनेक घर ध्वस्त हो गए तो बड़ी संख्या में घर रहने लायक नहीं रहे हैं। खेत बर्बाद हो गए हैं। गांव को जोड़ने वाले रास्ते, सड़कें, पुल, स्कूल भवन, पेयजल व विद्युत लाइनें क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून समेत अन्य जिलों के नदियों से लगे क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। जैसा परिदृश्य है, उससे मेरी गोद में रह रहे सभी लोग पशोपेश में हैं कि क्या उनकी जड़ें बच पाएंगी। आपदा में लगभग सात हजार करोड़ की क्षति का अनुमान है। अब आप पर ही नजरें हैं।
मुझे अपने निवासियों के लिए पुनर्वास भी चाहिए तो आपदा में हुई क्षति से उबरने के लिए राहत पैकेज भी, ताकि आपदा में मिले जख्मों पर कुछ मरहम लग सके। मैं जानता हूं कि आप मेरे दर्द को अवश्य समझेंगे। मुझे भरोसा है कि आपके मार्गदर्शन और सहयोग से मैं और अधिक मजबूत बनूंगा।
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