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    फोर्स आधी, जिम्मेदारी दोगुनी, एसडीआरएफ के सामने बड़ी चुनौती

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 04:39 PM (IST)

    राज्य आपदा परिचालन बल (एसडीआरएफ) संसाधनों और जनशक्ति की कमी से जूझ रहा है। स्वीकृत पदों में से 40% खाली हैं जिससे बचाव कार्यों में कठिनाई हो रही है। एसडीआरएफ आपदा राहत के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी करता है। आधुनिक उपकरणों की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। इन चुनौतियों के बावजूद एसडीआरएफ उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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    भूकंप, भूस्खलन, बादल फटने और सड़क हादसे की घटना होने पर प्रथम पंक्ति में काम करती है एसडीआरएफ. File

    सोबन सिंह गुसांई, जागरण देहरादून। आपदा प्रबंधन में सबसे अहम भूमिका निभाने वाली राज्य आपदा परिचालन बल (एसडीआरएफ) खुद संसाधनों और जनशक्ति की भारी कमी से जूझ रही है। एसडीआरएफ के पास स्वीकृत नियतन से 40 प्रतिशत पद खाली चल रहे हैं। ऐसे में अचानक एक साथ बड़ी संख्या में आपदा की कई घटनाएं होती हैं तो तत्काल प्रभाव से बचाव कार्य शुरू करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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    आंकड़ों पर नजर डालें तो एसडीआरएफ के स्वीकृत पद 1093 हैं, लेकिन इनमें से 412 पद रिक्त चल रहे हैं। इसमें बचाव कार्य में अहम भूमिका निभाने वाले सिपाही, कंपनी कमांडर, प्लाटून कमांडर व अपर गुल्मनायक के सर्वाधिक पद खाली हैं। हर साल आपदा प्रभावित राज्य उत्तराखंड में भूस्खलन, बादल फटने, बाढ़ व सड़क हादसों जैसी घटनाएं घटती रहती हैं, जिनसे निपटने के लिए एसडीआरएफ सबसे आगे रहती है।

    आपदा के साथ-साथ कई ड्यूटी निभाते हैं जवान

    एसडीआरएफ न केवल आपदा के समय राहत और बचाव कार्य करती है, बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा में गुमशुदा लोगों की तलाश, नदियों में डूबने वालों का सर्च आपरेशन, सड़क हादसों में बचाव कार्य, धार्मिक यात्राओं के दौरान सुरक्षा व भीड़ प्रबंधन जैसी ड्यूटी भी निभाती है। जब भी किसी जिले में आपदा आती है तो सीमित संख्या वाले जवानों को कई मोर्चों पर एक साथ तैनात होना पड़ता है या फिर आसपास जिलों से फोर्स बुलानी पड़ती है।

    एसडीआरएफ को इन उपकरणों की सख्त जरूरत

    एसडीआरएफ के पास अभी रात्रि दृष्टि वाला ड्रोन नहीं है। ऐसे में रात में आने वाली आपदा की स्टीक जानकारी जुटाने के लिए एसडीआरएफ को रात्रि दृष्टि वाले ड्रोन की सख्त जरूरत है। मलबा के नीचे किसी के दबने की जानकारी का पता लगाने के लिए भू भेदी रडार भी नहीं है। जरूरत पड़ने पर सेना के इस उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। उत्तराखंड में नदी में वाहन गिरने की घटनाएं आम होती हैं, एसडीआरएफ के पास ऐसा कोई उपकरण नहीं है, जिससे ऊपर से ही पता लगाया जा सके कि पानी के नीचे कोई मैटल है या नहीं। हालांकि, एसडीआरएफ की ओर से इन खास उपकरणों की सूची शासन को भेजी गई है।

    एसडीआरएफ में सीधी भर्ती नहीं होती। यहां पर कर्मचारी व अधिकारी डेपुटेशन पर आते हैं। एसडीआरएफ की छठी बटालियन के लिए स्वीकृति मिल चुकी है। छठी कंपनी में जनशक्ति के लिए पुलिस मुख्यालय से पत्राचार किया गया है। - अरुण मोहन जोशी, पुलिस महानिरीक्षक, एसडीआरएफ

    एसडीआरएफ में यह अहम पद हैं खाली

    • पद नाम स्वीकृत पद खाली पद
    • कंपनी कमांडर (निरीक्षक) - 25 15
    • प्लाटून कमांडर (उपनिरीक्षक)- 96 48
    • अपर गुल्मनायक (उपनिरीक्षक) - 53 22
    • कांस्टेबल चालक -76 35
    • कांस्टेबल - 422 139
    • हेड कांस्टेबल - 116 29