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    Uttarakhand Scholarship Scam: करोड़ों के घोटाले में 17 नामी संस्थानों पर लटकी तलवार, एसआइटी ने मांगी रिपोर्ट

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 08:47 PM (IST)

    उत्तराखंड में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में तेजी आई है। एसआईटी ने पांच जिलों के 17 संदिग्ध संस्थानों पर शिकंजा कसने की तैयारी की है और पुलिस से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है। केंद्र सरकार की छात्रवृत्ति योजना में हुए इस फर्जीवाड़े में कई संस्थानों ने सरकारी धन का गबन किया है जिसकी जांच एसआईटी कर रही है। दोषी पाए जाने पर संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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    केंद्र सरकार की योजना में फर्जीवाड़े और धन के दुरुपयोग में बड़ी कार्रवाई की उम्मीद. Concept

    जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में बहुचर्चित करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में जल्द बड़ी कार्रवाई हो सकती है। एसआइटी ने पांच जिलों की पुलिस को तीन दिन के भीतर अपने-अपने जिले में उजागर अनियमितताओं की जांच की रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।

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    केंद्र सरकार की छात्रवृति योजना में उत्तराखंड में कुछ वर्ष पूर्व बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था, जिसमें अब तक 17 नामी संस्थानों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। अब इस मामले में एसआइटी की ओर से संदिग्ध संस्थान और व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई तय की जा सकती है।

    पुलिस मुख्यालय में बुधवार को केंद्र सरकार की अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजनाओं में करोड़ों रुपये की अनियमितताओं के मामले में विशेष अन्वेषण दल (एसआइटी) की बैठक हुई। जिसमें पुलिस महानिरीक्षक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) ने पांच जिलों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल और रुद्रप्रयाग के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को तीन दिन के भीतर संदिग्ध शैक्षणिक संस्थानों और व्यक्तियों की प्रारंभिक जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने के कड़े निर्देश दिए हैं।

    अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं के लिए केंद्र सरकार की तीन प्रमुख छात्रवृत्ति योजनाएं संचालित की जाती हैं। प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना और मैरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति योजना। ये योजनाएं राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) पर संचालित हैं और छात्रवृत्ति की राशि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा की जाती है। लेकिन, उत्तराखंड में वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे शैक्षणिक संस्थान और छात्र सामने आए, जिन्होंने फर्जीवाड़ा कर सरकारी धन का गबन किया।

    सूत्रों के मुताबिक, जांच में दोषी संस्थानों की मान्यता रद करने की तैयारी है। इसके साथ ही, धोखाधड़ी करने वाले व्यक्तियों, संस्थानों और बिचौलियों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जाएंगे।

    92 संस्थानों में से 17 पर गहरा संदेह

    केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को 92 संदिग्ध शैक्षणिक संस्थानों की सूची जांच के लिए भेजी गई थी। शासन ने बीते 19 मई को जारी शासनादेश में सभी जिलाधिकारियों को जांच के आदेश दिए। जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया था कि वे उपजिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जांच समितियां गठित करें और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। अब तक की जांच में 92 में से 17 संस्थान संदिग्ध पाए गए हैं, जिनकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी गई है।

    एसआइटी की सख्त कार्रवाई की तैयारी

    घोटाले की गंभीरता को देखते हुए गृह विभाग के बीते 24 जुलाई के शासनादेश तहत एक विशेष अन्वेषण दल (एसआइटी) का गठन किया गया। एसआइटी की अध्यक्षता पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था कर रहे हैं।

    यह टीम छात्रवृत्ति योजनाओं में धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज, फर्जी दाखिलों और पैसों के दुरुपयोग जैसे मामलों की तह तक जाएगी। अब उक्त पांचों जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को संदिग्ध संस्थानों और व्यक्तियों की जांच रिपोर्ट तीन दिन में सौंपने को कहा गया है। जांच में फर्जी दाखिले, बैंक खातों, दस्तावेजों, फीस रसीदों और छात्रवृत्ति आवेदनों की गहन पड़ताल की जा रही है।