दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान: आज उत्तराखंड के इन साहित्यकारों को मिलेगा सम्मान, मुख्यमंत्री धामी होंगे शामिल
उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा चयनित साहित्यकारों को दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देहरादून में आयोजित समारोह में यह सम्मान प्रदान करेंगे। इस वर्ष छह साहित्यकारों को चुना गया है जिनमें से चार को मरणोपरांत सम्मानित किया जाएगा। सम्मान में पांच लाख रुपये सम्मान पत्र और अंगवस्त्रम शामिल हैं। यह सम्मान साहित्यकारों को उनके साहित्यिक योगदान के लिए दिया जा रहा है।

राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। उत्तराखंड भाषा संस्थान ने दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान के लिए चयनित छह साहित्यकारों के नाम की घोषणा कर दी है। इसके तहत वर्ष 2024 व इस वर्ष के लिए तीन-तीन चयनित विभूतियां शामिल हैं। इनमें चार को मरणोपरांत यह सम्मान दिया जाएगा।
भाषा मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार हिंदी दिवस पर रविवार को देहरादून के सर्वे चौक स्थित आइआरडीटी सभागार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में आयोजित समारोह में यह सम्मान प्रदान किए जाएंगे। चयनित साहित्यकारों को सम्मान के तौर पर पांच लाख रुपये की राशि, सम्मान पत्र व अंगवस्त्रम प्रदान किया जाएगा।
साहित्य साधना में लीन ऐसे मनीषी साहित्यकार, जिनकी आजीविका का कोई साधन नहीं है और आर्थिक अभाव व विषम परिस्थितियों की परवाह किये बिना साहित्य सृजन में रमे हैं। साथ ही उनके द्वारा सरकार से न किसी प्रकार की मदद ली गई और न आवेदन किया गया। उनकी सुध लेने के दृष्टिगत भाषा मंत्री सुबोध उनियाल के निर्देश पर उत्तराखंड भाषा संस्थान ने दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान योजना का खाका खींचा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसी वर्ष नौ जून को यह योजना अनुमोदित की।
इसके बाद योजना के तहत दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान प्रदान करने के लिए चयन समिति का गठन किया गया। समिति ने हाल में वर्ष 2024 व 2025 के लिए तीन-तीन साहित्यकारों का चयन किया। सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद इन नामों की घोषणा कर दी गई। राज्य में पहली बार साहित्यकारों को यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है।
इन विभूतियों को मिलेगा सम्मान
वर्ष 2025
- जनकवि अतुल शर्मा
- साहित्यकार सोमवारी लाल
- कवि एवं साहित्यकार शेर सिंह बिष्ट ''अनपढ़'' (मरणोपरांत)
वर्ष 2024
- साहित्यकार शैलेश मटियानी (मरणोपरांत)
- जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा (मरणोपरांत)
- लोकगायक हीरा सिंह राणा (मरणोपरांत)
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।