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    खराब आर्थिक हालत से गुजर रहा रोडवेज 800 कार्मिकों को देगा वीआरएस, वेतन पर हर माह इतना खर्च

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Fri, 24 Sep 2021 03:05 PM (IST)

    Uttarakhand Roadways उत्तराखंड में रोडवेज प्रबंधन अपने 800 कार्मिकों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) देने की तैयारी में जुट गया है। इस संबंध में रोडवेज की बोर्ड बैठक में हुए फैसले के क्रम में सूची तैयार की गई है।

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    खराब आर्थिक हालत से गुजर रहा रोडवेज 800 कार्मिकों को देगा वीआरएस।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। Uttarakhand Roadways खराब आर्थिक हालात से गुजर रहा रोडवेज प्रबंधन अपने 800 कार्मिकों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) देने की तैयारी में जुट गया है। इस संबंध में रोडवेज की बोर्ड बैठक में हुए फैसले के क्रम में सूची तैयार की गई है। प्रबंधन ने दावा किया कि अगर ये कार्मिक वीआरएस लेते हैं तो इन्हें तत्काल ग्रेच्युटी और नगदीकरण का एकमुश्त लाभ दिया जाएगा। इसके साथ ही सेवाकाल के शेष वर्षों की एवज में मौजूदा प्रतिमाह वेतन का 25 फीसद भुगतान भी किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो रोडवेज को प्रतिमाह वेतन में साढ़े चार करोड़ की बचत होगी। वर्तमान में रोडवेज का प्रतिमाह वेतन का खर्च करीब 20 करोड़ रुपये है। प्रबंधन ने इस मामले में सभी कर्मचारी संगठनों से सहयोग मांगा है।

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    गुरुवार को रोडवेज प्रबंधन ने हाईकोर्ट में शामिल की जाने वाली सुधारीकरण योजना को लेकर सभी कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों के साथ मुख्यालय में बैठक की। रोडवेज प्रबंध निदेशक नीरज खैरवाल इसमें वर्चुअल रूप से जुड़े, जबकि महाप्रबंधक (प्रशासन) श्याम सिंह व महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन समेत अन्य अधिकारी व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे। अधिकारियों ने वीआरएस को लेकर पैदा विरोध और भ्रम दूर करने का प्रयास किया।

    अधिकारियों ने बताया कि कोरोना काल के बाद से रोडवेज के वित्तीय हालात बेहद खराब चल रहे हैं। पिछले साल मार्च से इस साल जुलाई तक का वेतन राज्य सरकार से मिली मदद के आधार पर दिया गया, वो भी हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद। हाईकोर्ट ने सरकार को रोडवेज के सुचारू संचालन के लिए एक ठोस सुधारीकरण योजना बनाने के आदेश दिए थे। उसी क्रम में योजना बनाई गई है।

    बताया गया कि वीआरएस व अन्य मदों में सरकार रोडवेज को 173 करोड़ रुपये देने को राजी हो गई है। इसके अलावा 40 करोड़ रुपये विश्व बैंक से भी मिल जाएंगे। ऐसे में वीआरएस देने के अलावा प्रबंधन के पास रोडवेज के सुधार का कोई उपाय नहीं बचा है। प्रबंधन ने कर्मचारी संगठनों से इस मामले में विरोध या आंदोलन ना करने की अपील की है।

    पद समाप्त होने पर पुरजोर विरोध

    इस दौरान सभी कर्मचारी संगठनों ने एक मुद्दे पर सर्वाधिक विरोध जताया। दरअसल, प्रबंधन ने बताया कि जो कार्मिक वीआरएस लेंगे, उनके पद फ्रीज हो जाएंगे। इन पदों पर नई नियुक्ति नहीं हो सकेगी। रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रांतीय महामंत्री अशोक चौधरी समेत सभी ने इसका विरोध किया। पूछा कि अगर कर्मचारी कम होंगे तो काम कैसे चलेगा। प्रबंधन ने बताया कि आउटसोर्स के जरिये कर्मचारी रखे जाएंगे।

    इस पर संगठनों ने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाए जिसमें वीआरएस लेने के बाद पद समाप्त नहीं होने चाहिए, जो पद खाली होंगे, उनमें मौजूदा विशेष श्रेणी और संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए। इम्प्लाइज यूनियन के महामंत्री रविनंदन कुमार ने कहा कि कर्मचारियों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।

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    एक दर्जन डिपो किये जाएंगे समायोजित

    रोडवेज प्रबंधन ने खर्चों में कटौती के लिए एक दर्जन डिपो और कार्यशाला को समायोजित करने की तैयारी कर ली है। देहरादून ग्रामीण व पर्वतीय डिपो, काशीपुर व रामनगर डिपो, हरिद्वार व रुड़की डिपो, हल्द्वानी व रामनगर डिपो आदि इनमें शामिल हैं। प्रबंधन के मुताबिक एक डिपो व कार्यशाला होने से मानव शक्ति भी कम लगेगी और फिजूलखर्ची पर रोक लगेगी।

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