मानसून में टूटीं उत्तराखंड की 2500 सड़कें, लेकिन अब पहाड़ सी चुनौती; 300 करोड़ से अधिक का नुकसान
उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण 2500 से अधिक सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं जिससे लोक निर्माण विभाग को 300 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। गढ़वाल क्षेत्र में सबसे अधिक सड़कें टूटी हैं। वर्तमान में 238 मार्ग बंद हैं जिससे पर्यटकों और स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है। बजट मिलने के बाद ही सड़कों की मरम्मत का कार्य शुरू हो पाएगा।

अश्वनी त्रिपाठी राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। बारिश के कहर से उत्तराखंड की 2500 से अधिक सड़कें टूट गईं। कहीं सड़कें चलने लायक नहीं बचीं तो कहीं पूरी सड़क ही बह गई। जलप्रलय से लोक निर्माण विभाग और पहाड़ की जनता, दोनों के सामने पहाड़ सी चुनौती है।
पर्वतीय क्षेत्रों में बच्चों को स्कूल जाना हो, मरीजों को अस्पताल या रोजी-रोटी का सफर, अब हर रास्ता खतरों से भरा हुआ है। गढवाल क्षेत्र में सड़कों को सर्वाधिक नुकसान हुआ। गढ़वाल क्षेत्र में 1193 सड़कें क्षतिग्रस्त हुईं, तो कुमाऊं क्षेत्र में 492 सड़कों को क्षति पहुंची। लोक निर्माण विभाग समेत अन्य निर्माण एजेंसियों को 300 करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचा है।
मानसून उत्तराखंड की सड़कों के लिए बड़ी तबाही लेकर आया। सड़कों पर 200 मीटर गहरा भू धंसाव तक हुआ तो कई क्षेत्रों में पूरी सड़क ही बह गई। ताजा स्थिति यह है कि प्रदेश के 238 मार्ग अभी भी बंद हैं। इसका असर सीधे तौर पर बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों पर भी पड़ रहा है।
खासकर उप्र, हरियाणा व दिल्ली-एनसीआर से आने वाले लोगों को इन सड़कों के कटने के कारण चुनाैतियों से रूबरू होना पड़ रहा है। इन मार्गों में से कई मार्ग तो ऐसे हैं, जिनमें मरम्मत का विकल्प ही शेष नहीं बचा है। बजट के लिए प्रस्ताव तैयार हैं, लेकिन बजट मिलने तक टूटी या बह गई सड़कें जनता को जख्म देती रहेंगी।
क्षतिग्रस्त सड़कें
- उत्तराखण्ड में मानसून काल में कुल प्रभावित सड़कें
- 2502
मानसून में लोनिवि की इतनी सड़कों को हुआ ऩुकसान
- टिहरी
-- -- -- 295 - चमोली
-- -- 106 - रूद्रप्रयाग –94
- पौड़ी
-- -378 - उत्तरकाशी
-- -120 - देहरादून –119
- हरिद्वार
-- -31 - पिथौरागढ़
-- 100 - चम्पावत –40
- अल्मोड़ा
-- -197 - बागेश्वर
-- -73 - नैनीताल –93
- ऊधमसिंहनगर
-- -08
सड़कों पर 690 जेसीबी-पोकलेन मशीनें
सड़कों को बनाने का काम बजट आने के बाद ही शुरू होगा, फिलहाल 690 जेसीबी व पोकलेन मशीन सड़कों से मलबा हटाने के काम में लगी हैं। मार्गों को खोलने के लिए 34.98 करोड़ व पूर्व स्थिति में लाने के लिए 343.02 करोड़ रुपये के बजट की जरूरत होगी।
सड़क कटी, मतलब पहाड़ों में कैद जिंदगी
उत्तराखंड में सड़कों से कनेक्टिविटी टूटते ही ग्रामीण पहाड़ों पर कैद होकर रह जाते हैं। बड़कोट में सड़क कटी तो यमुनोत्री हाईवे से लगे गांव कुपडा, कुनसाला और तिर्खली के बच्चे स्यानाचट्टी स्थित विद्यालय नहीं जा सके।
उत्तरकाशी के दुर्बिल गांव में मार्ग क्षतिग्रस्त होने से राजकीय इंटर कॉलेज राना में पढ़ाई करने जा रहे बच्चे हर दिन खतरों से खेल रहे हैं। बीमारों व बुजुर्गों को सड़क मार्ग तक कंडी-कंडी के सहारे लाना पड़ रहा है। इसी तरह पिथौरागढ़ में घंटाकरण-रई लिंक सड़क वर्षा में बदहाल होने से पुनेड़ी, लिंठ्यूड़ा सहित आसपास के लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।
प्रदेश में वर्षा से सड़कों को भारी नुकसान हुआ है। इसका सर्वे करा लिया गया है। विभाग के पास प्रत्येक जिले में सड़कों को हुए नुकसान की पूरी जानकारी है। सड़कों की मरम्मत के लिए बजट की मांग की गई है। अस्थाई तौर पर मार्गों को खोलने का काम किया जा रहा है। - राजेश चंद्र शर्मा, एचओडी, पीडब्ल्यूडी
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