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    ऊर्जा विभाग के मैप में एआई, सिस्मिक सेंसर व डिजिटल कंट्रोल रूम नहीं, आपदा के लिहाज से ये तीन समय की पहली मांग

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 04:25 PM (IST)

    उत्तराखंड में आपदा के कारण बिजली के ढांचे को हुए नुकसान के बाद राज्य सरकार बिजली के बुनियादी ढांचे को आपदा प्रतिरोधी बनाने की योजना बना रही है। इसके लिए भूमिगत केबल बिछाने सबस्टेशनों को सुरक्षित करने और नई तकनीक पर ध्यान दिया जा रहा है। ओडिशा और जापान के मॉडल से प्रेरणा लेकर उत्तराखंड अपने ऊर्जा तंत्र को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाने में काम कर रहा है।

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    केबल नेटवर्क को अंडरग्राउंड बिछाने का चल रहा काम, अभी बहुत कुछ होना शेष। प्रतीकात्‍मक

    अश्वनी त्रिपाठी, जागरण देहरादून। आपदा ने उत्तराखंड में पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमियां उजागर कर नेटवर्क को आपदा रोधी बनाने की बड़ी नसीहत दे डाली है। आपदा में हुए 100 करोड़ से अधिक के नुकसान व पहाड़ी क्षेत्रों पर बाधित विद्युत आपूर्ति ने बताया कि अब राज्य के लिए व्यवस्थित आपदारोधी तंत्र अपनाना जरूरी है।

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    ऊर्जा विभाग के मैप में एआई, सिस्मिक सेंसर व डिजिटल कंट्रोल रूम जैसे ट्रेक नहीं हैं, जो आपदा के लिहाज से समय की पहली मांग हैं। केंद्र की कई योजनाओं व एडीबी के सहयोग से उत्तराखंड ने शुरूआत तो की है, 537 किमी अंडरग्राउंड केबल नेटवर्क बिछाया जा रहा है, 354 रिंग मेन यूनिट, 99 काम्पैक्ट सबस्टेशन स्थापित करने का कार्य पाइपलाइन में है, लेकिन अभी यह बुनियादी स्तर पर है।

    तटीय राज्यों से प्रेरणा... 

    आपदा रोधी तंत्र विकसित करने में कई राज्य माडल बने हुए हैं। ओडिशा ने ऊर्जा क्षेत्र में आपदा-रोधी ढांचे को लागू करने की नई पहल की है। तटीय इलाकों में पाइप-लाइन केबलिंग, सबस्टेशन को बाढ़ स्तर से ऊपर उठाने, पावर-नेटवर्क को साइक्लोन-बाढ़ से निपटने के लिए प्रभावी, ट्रांसमिशन टावरों की मजबूती बनाने समेत अन्य कार्य किए गए हैं।

    गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में भी डिजास्टर रिसोर्स इनवेंट्री फार पावर सेक्टर पोर्टल लांच किया गया है, ताकि तटवर्ती राज्यों में पावर सेक्टर के संसाधनों की पहचान कर आपदा-स्थिति में उनका उपयोग किया जा सके।

    हवा की गति-जलस्तर से आपदा का अंदाजा लगाता ग्रिड

    पावर सेक्टर में जापान माडल सबसे अत्याधुनिक है। जापान पावर ग्रिड के साथ सिस्मिक सेंसर का प्रयोग कर रहा है। धरती के हिलते ही यह सेंसर सूचना दे देता है। उसी समय सब स्टेशन व पावर प्लांट्स को सिग्नल जाता है और आटोमेटिक शटडाउन हो जाता है।

    इसी तरह डिजिटल कंट्राेल ग्रिड मौसम, जलस्तर या हवा की रफ्तार के डेटा के अध्ययन से बाढ़, तूफान या अन्य आपदाओं का आंकलन कर ग्रिड को रीरूट या लोड शिफ्ट करने में सक्षम है। जापान माडल अपनाकर ऊर्जा क्षेत्र आपदाराेधी तंत्र को विकसित कर सकता है।

    यह उपाय जरूरी

    • हाइरिस्क जोन-मैपिंग के अनुरूप बिजली-इन्फ्रास्ट्रक्चर का पुनःनिर्धारण
    • संवेदनशील फीडर्स और सब स्टेशनों को प्राथमिकता के आधार पर ऊंचा करें
    • सबस्टेशन को फ्लड-प्रूफ व पोल-टावर को मजबूती देकर ड्रेनेज के उपाय करें
    • राज्य क्षेत्रीय स्पेयर-स्टोरेज तैयार करें, ताकि तात्कालिक मदद को पहुंचा सकें
    • बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम को प्रभावी बनाएं ताकि आपातकाल में आपूर्ति हो सके
    • डिस्ट्रीब्यूटेड एनर्जी माडल बपनाएं ताकि कम दूरी पर पावर जेनरेशन कर आपूर्ति को बहाल रखें

    यूपीसीएल के पावर सिस्टम को आपदारोधी बनाने पर तेजी से कार्य चल रहा है। अंडरग्राउंड केबलिंग से लेकर कई अन्य परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। आपदा ने कई सबक दिए हैं, नई कार्ययोजना में सिस्टम को और अधिक डिजास्टर प्रूफ बनाने पर काम किया जाएगा। - मदनराम आर्य, निदेशक, आपरेशन-यूपीसीएल