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    उत्‍तराखंड सियासी संकट: नौ बागी विधायकों की सदस्यता पर गाज

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Sun, 27 Mar 2016 09:45 AM (IST)

    सरकार से बगावत करने वाले नौ विधायकों को दिए गए कारण बताओ नोटिस की समयसीमा शनिवार को खत्म हो गई तो वही हुआ, जिसके कयास लगाए जा रहे थे।

    देहरादून। सरकार से बगावत करने वाले नौ विधायकों को दिए गए कारण बताओ नोटिस की समयसीमा शनिवार को खत्म हो गई तो वही हुआ, जिसके कयास लगाए जा रहे थे। शनिवार को दिनभर सियासी जिद्दोजहद के बीच बागी विधायकों के जवाब दाखिल होने और उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं की तकरीबन ढाई घंटे पैरवी काम नहीं आ सकी।

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    स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा अर्द्धरात्रि को नौ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की सूचना है। इससे पहले मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी रात लगभग ग्यारह बजे स्पीकर से मुलाकात की। हालांकि, स्पीकर, मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री की ओर से विधायकों की सदस्यता समाप्ति की पुष्टि नहीं की जा सकी है।
    बीती 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पारित कराने के मौके पर कांग्रेस के नौ विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

    इन विधायकों में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, अमृता रावत, डा शैलेंद्र मोहन सिंघल, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, सुबोध उनियाल, शैलारानी रावत, प्रदीप बत्रा और उमेश शर्मा काउ शामिल हैं। कांग्रेस सरकार ने इन विधायकों के खिलाफ दल-बदल कानून के उल्लंघन की शिकायत करते हुए स्पीकर को याचिका दी थी। स्पीकर ने उक्त विधायकों को नोटिस जारी किए थे।

    इस पर जवाब दाखिल करने का शनिवार आखिरी दिन था। आज बागियों की पैरवी के लिए विधायक सुबोध उनियाल के साथ वरिष्ठ अधिवक्ताओं की टीम ने विधानसभा पहुंचकर स्पीकर के सामने सभी नौ विधायकों के जवाब दाखिल किए। शनिवार शाम तकरीबन ढाई घंटे तक चली सुनवाई के बाद बागी विधायकों के पैरोकार दल बदल कानून के तहत दिए नोटिस में लगे तमाम आरोपों के बाबत सभी अभिलेख दिखाने और व्यक्तिगत सुनवाई का मौका नहीं दिए जाने से संतुष्ट नहीं दिखे।

    स्पीकर ने उन्हें रविवार सुबह नौ बजे कुछ अवशेष अभिलेख उपलब्ध कराने का भरोसा दिया, लेकिन इन अभिलेखों के मुआयने के बाद पैरोकारों और विधायकों को सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा। स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि सुनवाई पूरी हो चुकी है। विधायकों ने जवाब दाखिल कर दिए हैं। जवाब का परीक्षण करने के बाद पीठ अपना फैसला सुनाएगी। फैसले की समय सीमा बताने से उन्होंने इन्कार कर दिया। उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी शनिवार शाम स्पीकर से मुलाकात कर दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की मुख्य सचेतक की याचिका का समर्थन किया। उन्होंने नौ विधायकों की सदस्यता निरस्त कर उनके विधानसभा क्षेत्र रिक्त घोषित करने पर जोर दिया है।
    28 मार्च को विधानसभा में सरकार के बहुमत साबित करने का वक्त जैसे ही नजदीक आ रहा है, वैसे ही बागियों के दिलों की धड़कनें भी तेज हो गई हैं। बीती 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग बिल पारित कराने के मौके पर पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर दिखाने वाले नौ विधायकों को दल बदल कानून के तहत कार्रवाई का नोटिस स्पीकर ने दिया था। नोटिस पर जवाब दाखिल के आखिरी दिन शनिवार को विधानसभा में गहमागहमी रही।

    बागियों के प्रतिनिधि के तौर पर पहुंचे अधिवक्ता राजेश्वर सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के ओएसडी दीप डिमरी को शनिवार दोपहर नोटिस में लगे आरोपों से संबंधित अभिलेख दिखाने से इन्कार कर दिया गया। स्पीकर ने कहा कि विधायकों के अधिकृत प्रतिनिधियों को ही अभिलेख दिखाए जा सकते हैं। हालांकि बीते रोज उक्त दोनों प्रतिनिधियों की ओर से विधायकों की ओर से नोटिस का जवाब दाखिल करने को समय सीमा बढ़ाने के आवेदन को स्पीकर ने स्वीकार किया था। इस पर फैसला देते हुए विधायकों की मांग खारिज कर दी गई थी।

    इसके बाद नई दिल्ली से दून पहुंचे बागियों में शामिल विधायक सुबोध उनियाल सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं की टीम के साथ शाम करीब साढ़े चार बजे स्पीकर के सामने हाजिर हुए। तकरीबन ढाई घंटे तक वरिष्ठ अधिवक्ताओं दिनेश द्विवेदी, चेतन शर्मा, संजीव सेन और अमित सिंह चड्ढा ने बागियों की ओर से पैरवी की। स्पीकर से मुलाकात के बाद विधायक सुबोध उनियाल ने उम्मीद जताई कि स्पीकर पीठ की मर्यादा की रक्षा करते हुए फैसला सुनाएंगे।

    वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि काफी हीलाहवाली के बाद उन्हें पत्रजात देखने दिए गए, लेकिन पूरे अभिलेख नहीं दिखाए गए। कुछ पत्रजात देने तो कुछ नहीं देने की बात भी कही गई। कुछ अभिलेख रविवार सुबह नौ बजे दिखाने को कहा है, लेकिन इन अभिलेखों को देखने के बाद जवाब देने का मौका नहीं दिया जाएगा। पर्सनल हियङ्क्षरग का मौका देने से भी इन्कार किया गया है। उन्होंने कहा कि सभी विधायकों ने लिखित में जवाब दे दिया है।

    बाद में पत्रकारों से बातचीत में स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि सुनवाई पूरी हो चुकी है। नौ विधायकों के जवाब मिल चुके हैं। उनका परीक्षण करने के बाद फैसला सुनाया जाएगा। मुख्यमंत्री हरीश रावत और विधायी व संसदीय कार्य मंत्री इंदिरा हृदयेश ने भी स्पीकर से अलग-अलग मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने सत्तारूढ़ दल की मुख्य सचेतक की ओर से दल बदल कानून के तहत बागियों पर कार्रवाई की मांग का समर्थन किया।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि बागियों का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विश्वास नहीं रह गया है। 18 मार्च को उनके कृत्यों से यह जाहिर हो गया है। मंत्री इंदिरा हृदयेश ने भी तकरीबन दो घंटे तक स्पीकर से वार्ता की। माना जा रहा है कि कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की विधानसभा सदस्यता निरस्त करने की पटकथा को शनिवार को अंतिम रूप दिया गया। इस बारे में फैसला देर रात किए जाने की जानकारी सामने आई है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।

    दरअसल, राज्य सरकार की नजरें शनिवार को नई दिल्ली में होने वाली केंद्रीय कैबिनेट की बैठक पर टिकी थीं। राज्य सरकार को अंदेशा था कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। लिहाजा आनन-फानन में बागियों के बारे में फैसला लेने की चर्चा रही। अब केंद्रीय कैबिनेट की बैठक रविवार को होने और स्पीकर की ओर से बागियों के अधिवक्ताओं को रविवार सुबह नौ बजे कुछ अभिलेख दिखाए जाने को दोबारा बुलाने की वजह से फैसले को सार्वजनिक करने से गुरेज किया गया है।
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