Uttarakhand Panchayat Chunav: गांव की सरकार के बहाने 'माननीयों' की अग्निपरीक्षा, 31 को होगा फैसला
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में आज मतदान हो रहा है। रायपुर सहसपुर और डोईवाला विकासखंडों में मतदाता अपने प्रतिनिधि चुनेंगे। यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है क्योंकि परिणाम से विधायकों और सांसदों की लोकप्रियता का पता चलेगा। चकराता में प्रीतम सिंह और विकासनगर में मुन्ना सिंह चौहान की प्रतिष्ठा दांव पर है।

विजय जोशी, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मियां चरम पर हैं। पहले चरण का मतदान हो चुका है और आज दूसरे चरण में प्रत्याशियों का भाग्य मत पेटियों में कैद होने आ रहा है।
गांव की सरकार चुनने की प्रक्रिया जहां अपने निर्णायक मोड़ की ओर बढ़ रही है, वहीं यह चुनाव स्थानीय स्तर की राजनीति से कहीं आगे बढ़कर राष्ट्रीय दलों की साख और जनप्रतिनिधियों की लोकप्रियता की परीक्षा में तब्दील हो चुका है।
देहरादून में दूसरे चरण के मतदान में रायपुर, सहसपुर और डोईवाला विकासखंडों के मतदाता अपने-अपने पंच, प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुनेंगे। इससे पहले विकासनगर, चकराता और कालसी में मतदान हो चुका है, जहां राजनीतिक समीकरणों ने गहरे संकेत दिए हैं।
पंचायत चुनाव दल-निर्पेक्ष होते हैं, फिर भी भाजपा और कांग्रेस जैसी प्रमुख पार्टियों के लिए यह चुनावी संग्राम से कम नहीं। खासकर जब परिणामों से यह आकलन किया जा सकता है कि ग्रामीण मतदाता क्षेत्रीय विधायकों, सांसदों और राजनीतिक दलों के प्रति किस हद तक संतुष्ट हैं।
चकराता विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक प्रीतम सिंह न केवल अपने समर्थित प्रत्याशियों को जिताने के लिए मैदान में डटे हैं, बल्कि उनके पुत्र की किस्मत भी इस चुनावी अखाड़े में आजमाई जा रही है। यह चुनाव उनके लिए राजनीतिक विरासत की परीक्षा बन चुका है। वहीं, विकासनगर में भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
उनकी पत्नी मधु चौहान, जो निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष भी हैं, एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। विधायक से लेकर पारिवारिक स्तर तक की सक्रियता इस चुनाव को व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का सवाल बना रही है।
दूसरे चरण में रायपुर के भाजपा विधायक उमेश शर्मा ''''काऊ'''', सहसपुर से सहदेव पुंडीर और डोईवाला के बृजभूषण गैरोला के कार्यों और जनसंपर्क की परीक्षा होगी। पंचायत चुनावों में भले ही प्रत्याशी का व्यक्तिगत कद अधिक मायने रखता हो, लेकिन क्षेत्रीय विधायक की छवि और विकास कार्यों का प्रभाव नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सांसदों की लोकप्रियता पर भी निगाहें
देहरादून जिले की छह विकासखंडों में टिहरी सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत की सक्रियता और जनहित में किए गए कार्य भी मतदाताओं के तराजू में तौले जा सकते हैं।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने-अपने स्तर पर संगठन की पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोंक दी। गली-मोहल्लों में नुक्कड़ बैठकों से लेकर इंटरनेट मीडिया पर प्रचार अभियान तक चलाए गए। यही नहीं, गांव-गांव में जातीय और सामाजिक समीकरणों की जोड़-तोड़ भी अपने चरम पर है।
संगठन ने गांव-गांव प्रचार की दी जिम्मेदारी
भाजपा के जिलाध्यक्ष ग्रामीण मीता सिंह कहते हैं कि पंचायत चुनाव को लेकर संगठन ने अधिसूचना जारी होने के साथ ही जिम्मेदारी सौंप दी थी। जिसके चलते कार्यकर्ताओं के साथ गांव-गांव प्रचार किया गया, बैठकों के दौर चले। विधायक समेत संगठन के पदाधिकारियों ने भी पूर्ण सहयोग किया। सहसपुर विकासखंड में उन्हें सुद्धोवाला, शंकरपुर, खुशहालपुर और भुड्डी जिला पंचायत वार्ड की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
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