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    Uttarakhand Panchayat Chunav: पंचायत के मैच में इस जिले में कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक, भाजपा क्लीन बोल्ड

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 03:49 PM (IST)

    देहरादून जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को हराकर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पद जीत लिए। महिला आरक्षण के कारण कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदली और सुखविंदर कौर को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया। भाजपा की रणनीति निर्दलीयों का समर्थन न मिलने के कारण विफल रही। इस जीत ने कांग्रेस के संगठनात्मक कौशल और प्रीतम सिंह की राजनीतिक पकड़ को साबित किया। यह परिणाम भाजपा के लिए चेतावनी है।

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    जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस का परचम. Jagran

    विजय जोशी, जागरण देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में बुधवार का दिन देहरादून जिला पंचायत के नतीजों ने बड़ा संदेश दे दिया। भाजपा के कब्जे में रही इस पंचायत में कांग्रेस ने ऐसा सियासी दांव चला कि भाजपा का पूरा समीकरण उलट गया।

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    अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही पदों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की, जबकि भाजपा के हाथ सिर्फ हार और आत्ममंथन की मजबूरी लगी। देहरादून की सीट महिला आरक्षित होने के बाद कांग्रेस का गणित गड़बड़ाता नजर आ रहा था, लेकिन अंत में कांग्रेस ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक चला कि भाजपा क्लीन बोल्ड हो गई।

    देहरादून जिला पंचायत चुनाव की असली कहानी महिला आरक्षण से शुरू होती है। सरकार ने देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष पद को महिला के लिए आरक्षित किया। कांग्रेस की मूल योजना थी कि चकराता विधायक प्रीतम सिंह के बेटे अभिषेक सिंह को अध्यक्ष पद पर उतारा जाए, लेकिन आरक्षण ने यह रास्ता बंद कर दिया।

    कांग्रेस ने तुरंत रणनीति बदली अध्यक्ष पद के लिए डोईवाला ब्लाक के माजरीग्रांट वार्ड से जीतीं सुखविंदर कौर को मैदान में उतारा और अभिषेक सिंह को उपाध्यक्ष पद पर शिफ्ट कर दिया। नतीजा, दोनों पद कांग्रेस की झोली में गए।

    भाजपा का ‘गणित’ और ‘समीकरण’ फेल

    भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी और दो बार की अध्यक्ष रह चुकीं मधु चौहान पर दांव खेला। मधु चौहान चकराता ब्लाक के कचटा वार्ड से जीती थीं और उनके अनुभव को भाजपा ने अपनी सबसे बड़ी ताकत माना। लेकिन, असली खेल निर्दलीयों ने बिगाड़ दिया।

    30 सदस्यीय पंचायत में जीत के लिए 16 वोट जरूरी थे और कांग्रेस पहले ही मजबूत स्थिति में थी। भाजपा ने निर्दलीयों को साधने में पूरा जोर लगाया, लेकिन कांग्रेस ने अपने पाले से कोई सेंध नहीं लगने दी, उलटे निर्दलीयों का रुझान सुखविंदर कौर के पक्ष में हो गया। कांग्रेस को 17 और भाजपा को 13 वोट मिले।

    उपाध्यक्ष पद पर भी कांग्रेस का परचम

    उपाध्यक्ष पद की लड़ाई में कांग्रेस के अभिषेक सिंह और भाजपा के बीर सिंह चौहान आमने-सामने थे। यहां भी कांग्रेस ने बढ़त बनाए रखी और 18–12 के अंतर से जीत हासिल की। यह नतीजा न केवल कांग्रेस के संगठनात्मक कौशल का प्रमाण है, बल्कि प्रीतम सिंह की सियासी पकड़ का भी सबूत है।

    दो दिग्गज, दो किस्से

    यह मुकाबला असल में दो राजनीतिक धुरंधरों की प्रतिष्ठा की जंग था। भाजपा के मुन्ना सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रीतम सिंह। मुन्ना चौहान के लिए यह तीसरी बार अपनी पत्नी को अध्यक्ष बनाने का प्रयास था, लेकिन इस बार किलेबंदी टूट गई। दूसरी ओर, प्रीतम सिंह ने अपनी सटीक रणनीति और संगठन पर पकड़ से यह साबित कर दिया कि राजनीतिक अनुभव और समय पर रणनीति बदलना जीत की कुंजी है।

    जिले में भाजपा के नौ विधायकों पर कांग्रेस के प्रीतम भारी

    इस चुनाव ने भाजपा के लिए चेतावनी की घंटी बजा दी है। जिले में 10 में से नौ विधायक भाजपा के हैं और एकलौती चकराता सीट पर कांग्रेस के प्रीतम सिंह काबिज हैं। इसके बावजूद यहां कांग्रेस ने परचम लहराया है।

    पिछले चुनाव में जिस सीट पर भाजपा ने झंडा गाड़ा था, अब वह कांग्रेस के कब्जे में है। न केवल जीत का अंतर भाजपा के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह भी तथ्य कि वह निर्दलीयों का भरोसा जीतने में विफल रही। अब भाजपा में आत्ममंथन और समीक्षा का दौर भी शुरू हो गया है। जाहिर है, कि वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा को अभी से जुटना होगा।