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    उत्तराखंड के 3 नगर निकायों में OBC आरक्षण की रिपोर्ट तैयार, रिजर्वेशन तय होने पर चुनाव का रास्ता होगा साफ

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 05:30 AM (IST)

    पिछड़े राज्य के तीन नगर निकायों में निकाय चुनाव के लिए वार्डों में ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो गई है। एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने सर्वे औ ...और पढ़ें

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    अश्वनी त्रिपाठी, देहरादून। निकाय चुनाव में पिछड़े राज्य के तीन नगर निकायों में वार्डों के ओबीसी आरक्षण की तस्वीर साफ कर ली गई है। ओबीसी आरक्षण के निर्धारण को गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने सर्वे के बाद जनसुनवाई की प्रक्रिया पूरी कर ली है।

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    आयोग ने तीनों नगर निकायों में ओबीसी वर्ग की राजनीतिक भागीदारी व सामाजिक स्थिति का अध्ययन किया, अब आयोग राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। इसमें आयोग संस्तुति करेगा कि तीनों निकायों में वार्डवार कुल कितना ओबीसी आरक्षण दिया जाए। ओबीसी आरक्षण तय होने पर तीनों निकायों में चुनाव का रास्ता साफ होगा।

    ऊधम सिंह नगर जिले की नगर पंचायत गढ़ी नेगी, चंपावत जिले की नगर पंचायत पाटी और टिहरी जिले की नगर पालिका परिषद नरेंद्र नगर में निकाय चुनाव नहीं हो पाए थे। इसका मुख्य कारण इन निकायों में सीमांकन और मतदाता सूची से जुड़ी आवश्यक प्रक्रियाओं का पूरा न होना था।

    गढ़ी नेगी और नरेंद्र नगर जैसे निकायों में वार्डों की सीमाओं का अंतिम निर्धारण नहीं हो सका, जिससे इन निर्वाचन क्षेत्रों को अधिसूचित नहीं किया जा सका। इसके साथ ही मतदाता सूची और अन्य औपचारिकताओं में भी देरी हुई।

    इस वजह से इन निकायों में चुनाव स्थगित रहे, जबकि राज्य के अधिकांश नगर निकायों के चुनाव जनवरी, 2025 में संपन्न हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने समर्पित आयोग से तीनों निकायों में वार्डों के ओबीसी आरक्षण को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। आयोग ने निकायों के अध्ययन व जनसुनवाई के बाद रिपोर्ट तैयार कर ली है। जनसुनवाई की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। आयोग की रिपोर्ट राज्य सरकार को मिलने के बाद इन तीनों निकायों में चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ने की संभावना है।

    आयोग की रिपोर्ट बिना ओबीसी आरक्षण मान्य नहीं

    सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के एक मामले को लेकर दिए फैसले में कहा था कि नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण तभी दिया जा सकता है, जब राज्य सरकार आयोग का गठन करे, जो निकायों में ओबीसी की वास्तविक राजनीतिक भागीदारी का अध्ययन करे। बिना आयोग की रिपोर्ट के दिया गया ओबीसी आरक्षण असंवैधानिक माना जाएगा। इसके बाद राज्य सरकार ने आयोग का गठन कर उसकी संस्तुति के आधार पर ओबीसी आरक्षण तय करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।