Uttarakhand News: पहाड़ से उतरने को छटपटाते रहे हैं उत्तराखंड के गांव, पलायन बनी समस्या
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद गांवों से पलायन तेजी से बढ़ा है। शहरीकरण में वृद्धि और ग्रामीण आबादी में गिरावट चिंताजनक है। 2011 की जनगणना के अनुसार कुछ जिलों में जनसंख्या वृद्धि दर ऋणात्मक रही। राजधानी देहरादून में ग्रामीण मतदाताओं की हिस्सेदारी घटकर 35 प्रतिशत रह गई है। सरकार को गांवों में संसाधनों को बढ़ाकर पलायन को रोकना होगा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की दहलीज पर खड़े उत्तराखंड में खाली होते पहाड़ के सवाल पहाड़ की भांति ही जस के तस खड़े हैं। इस समय बेशक ग्रामीण आबादी की वृद्धि दर में गिरावट और शहरी आबादी में तेज विस्तार चुनौती बनते दिख रहे हैं, लेकिन इसकी शुरुआत राज्य गठन के समय से ही हो चुकी थी।
वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया तो अभाव में जी रहे गांव के लोग प्रदेश के मैदानी शहरों की तरफ रुख करने को आतुर हो उठे। वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण आबादी में 11.51 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जबकि हमारे शहर करीब 40 प्रतिशत की असामान्य दर से ओवरलोड होने लगे थे। समय के साथ यह रफ्तार और बढ़ी है।
वर्ष 2011 की जनगणना में पौड़ी और अल्मोड़ा ऐसे जिले भी थे, जहां आबादी की दर ऋणात्मक रही थी। जिससे इस बात की आशंका और बढ़ गई है कि आगे होने वाली जनगणना में गांवों के खाली होते चले जाने की तस्वीर बेहद स्याह हो सकती है। लिहाजा, समय रहते सरकारी मशीनरी को पहाड़ के वीराने को तोड़ने के लिए संसाधनों की राह गांवों की तरफ मोड़नी होगी।
ओवरलोड शहरों में डेमोग्राफिक चेंज को पकड़ना मुश्किल
मौजूदा समय में आबादी के दबाव में हांफ रहे शहरों में डेमोग्राफिक चेंज (जनसांख्यिकी बदलाव) को पकड़ पाना आसान नहीं। जिस तरह के डेमोग्राफिक चेंज को लेकर सरकारी मशीनरी सशंकित रहती है, उसे पहचान पाना चौतरफा पसरे शहर में आसान नहीं रहता। ऐसी ही कुछ चुनौती उत्तराखंड के शहरों में सामने भी आ रही है।
2011 की जनगणना और अब मतदाता आबादी में गांवों का मर्म
- 2011 में कुल जनसंख्या, 1,00,86,292
- ग्रामीण आबादी, 70,36,954 (70 प्रतिशत)
- शहरी आबादी, 30,49,338 (30 प्रतिशत)
- 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाता आबादी, 83.37 लाख
- जनवरी 2025 में निकाय चुनाव में शहरी मतदाता, 30.29 लाख (36.33 प्रतिशत)
- वर्तमान पंचायत चुनाव में ग्रामीण मतदाता, 47.77 लाख (57.29 प्रतिशत)
- गांव में जुड़े शहरी मतदाताओं के बाद ग्रामीण मतदाता, करीब 43 से 50 प्रतिशत तक
- दोहरी मतदाता सूची के बाद शहरी मतदाता, 43 से 57 प्रतिशत तक
राजधानी में 35 प्रतिशत रह गए ग्रामीण मतदाता
उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं की आबादी अभी भी अधिक है और हिस्सेदारी निरंतर घट रही है। वहीं, राजधानी देहरादून में यह हिस्सेदारी घटकर 35 प्रतिशत रह गई है। जबकि वर्ष 2011 की जनगणना में ग्रामीण आबादी 44 प्रतिशत थी। राज्य की भांति ही देहरादून में गांवों में जुड़े शहरी मतदाताओं को कम कर दिया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में न के बराबर आबादी रह जाती है।
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